Mukhiya Views : IAS के बाद अब BPSC में भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले छात्रों की बढ़ रही संख्या

PATNA (SMR) : BPSC 66 वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट बुधवार 3 अगस्त को जारी कर दिया गया। BPSC के जॉइंट सेक्रेटरी सह एग्जाम कंट्रोलर अमरेंद्र कुमार के अनुसार इसमें 685 उम्मीदवार सफल हुए हैं। वैशाली के सुधीर कुमार टॉपर बने हैं। इसी तरह अरवल के अमर्त्य कुमार आदर्श सेंकेंड टॉपर, जबकि मुजफ्फरपुर के आयुष कृष्णा थर्ड टॉपर हुए हैं। लेकिन इसमें अब नया ट्रेंड सामने आ रहा है। IAS की तरह अब BPSC में भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 66 वीं BPSC के रिजल्ट में भी यह ट्रेंड देखा गया है। वरीय पत्रकार रविशंकर उपाध्याय ने इस पर विश्लेषण किया है। यह आलेख उनके सोशल मीडिया से अक्षरशः लिया गया है। यह लेखक के निजी विचार हैं। 

इएएस के बाद बीपीएससी में भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के छात्रों की संख्या बढ़ रही है। बीपीएससी की 66वीं परीक्षा का रिजल्ट कल ही आया है। इसमें इंजीनियरिंग सेवा के छात्रों का दबदबा रहा। टॉप 10 में अधिकतर छात्र बीटेक वाले हैं। इसके पहले 65 वीं के रिजल्ट में भी टॉप टेन में अभ्यर्थी बीटेक वाले ही थे। 

रविशंकर उपाध्याय, लेखक व वरीय पत्रकार

66 वीं BPSC के टॉपर सुधीर ने IIT कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 2019 में पूरी की। दूसरी रैंक लानेवाले अंकित कुमार आईआईटी (IIT) गुवाहाटी से बीटेक किया है। औरंगाबाद की मोनिका श्रीवास्तव ने 2016 में आईआईटी गुवाहाटी से कम्प्यूटर साइंस से पढ़ाई की। विनय कुमार रंजन आईआईटी दिल्ली से एमटेक किया है। यानी साफ है कि इंजीनियरिंग सेवा के छात्रों का झुकाव सिविल सेवाओं की परीक्षाओं के प्रति बढ़ा है। 

आखिरकार इसका क्या कारण है कि लोग आईआईटी में पढ़ कर के भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड में काम नहीं करना चाहते हैं? क्यों वे पब्लिक सर्विस कमिशन को तरजीह दे रहे हैं। यहां इस विषय से जुड़ा एक और तथ्य है। सरकारें कहती रही हैं कि आईआईटी जैसे संस्थान वह अनुदान देकर संचालित करते हैं ताकि देशभर में सबसे बेहतर शिक्षा कम फीस में मिल सके वहीं दूसरी ओर वहां पढ़ कर के भी बच्चे अपने उस कैरियर से संतुष्ट नहीं है। इधर वह जब पब्लिक सर्विस कमीशन में आ जाते हैं तो यहां की जड़ व्यवस्था को देखकर फिर से असंतुष्ट हो जाते हैं। आखिर इस समस्या का समाधान क्या है?

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