बुद्ध पूर्णिमा पर अपना चंदा मामा; एक दिन पहले रुई की तरह उजला, पूनम का चांद टूहु-टूहु लाल…

PATNA (RAJESH THAKUR) : जब आकाश में चंदा मामा पूर्णिमा से एक दिन पहले चतुर्दशी को अपनी रुई-सी उजली चादर बिछाते हैं और पूर्णिमा की रात वह टूहु-टूहु लाल हो उठते हैं। उनके टूहु-टूहु लाल-लाल रंगों में अंधियारी निशा भी लालिमा से नहा उठती है, तब बुद्ध पूर्णिमा का पवित्र पर्व आत्मा को शांति का संदेश देता है। इस खास मौके पर चंद्रमा की सौम्य किरणें और बुद्ध की करुणा एक साथ धरती को आलोकित कर रही हैं।

बुद्ध पूर्णिमा के आकाश पर अपनी लालिमा संग दमक रहे चांद की अद्भुत छवि को अपने कैमरे में कैद किया है भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी संजय कुमार ने। ये जितने अच्छे अधिकारी हैं, उतने ही अच्छे फोटोग्राफर भी हैं। लेकिन, केवल फोटोग्राफी ही इनका शौक नहीं है। अब तो ‘गौरैया मैन’ शब्द भी इनके नाम से जुड़ चुका है। ये सालों से गौरैया संरक्षण मुहिम चला रहे हैं। गौरैया संरक्षण पर अब तक इनकी तीन पुस्तकें ‘अभी मैं जिंदा हूं…गौरैया, ओ री गौरैया और आओ गौरैया प्रकाशित हो चुकी है। इनकी अब तक 16 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

यहां हम बात कर रहे हैं बुद्ध पूर्णिमा पर संजय कुमार द्वारा चांद के लिये गये अद्भुत फोटो की। इनकी तस्वीर में चंद्रमा एक रहस्यमयी लाल रंग में नहाया दिखता है, मानो बुद्ध की करुणा का आलोक धरती पर बिखेर रहा हो। हैरानी की बात यह कि, मात्र एक दिन पहले यानी चतुर्दशी की रात को संजय ने उसी चांद को अपने कैमरे में उतारा था, तब वह रुई-सा उजला, शीतल और निर्मल था। एक ही चांद, दो रातों में दो अलग रंग- यह प्रकृति का वह जादू है जो बुद्ध पूर्णिमा की रात को और भी अलौकिक बनाता है।

चतुर्दशी पर संजय कुमार द्वारा चांद की ली गयी तस्वीर।

यह रात केवल चांद की चमक या तारों की टिमटिमाहट तक सीमित नहीं, बल्कि एक गहरे आध्यात्मिक अर्थ की सैर है। बुद्ध पूर्णिमा, जो भगवान बुद्ध के जन्म, बोधि प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है, मानवता को अहिंसा, प्रेम और आत्म-जागृति का मार्ग दिखाती है। जैसे चांद अपनी शीतलता से रात को सुकून देता है, वैसे ही बुद्ध का उपदेश जीवन के ताप को शांत करते हैं।
आज, जब भारत सहित विश्व इस पर्व को धूमधाम से मना रहा है, मंदिरों में दीप जल रहे हैं, भक्त ध्यान और प्रार्थना में डूबे हैं, और चंद्रमा अपनी लालिमा के साथ साक्षी बनकर खड़ा है। पटना के कंकड़बाग स्थित अपने घर की छत पर से संजय कुमार द्वारा ली गयी चांद की ये तस्वीरें हमें याद दिलाती हैं कि प्रकृति और अध्यात्म का यह संगम कितना अनूठा है। यह पर्व हमें सिखाता है कि अंधेरे में भी प्रकाश की किरण संभव है, और मन की शांति ही सच्ची पूर्णता है। तो आइए, इस चांदनी रात में बुद्ध के संदेशों को आत्मसात करें और अपने भीतर के अंधकार को चांद के दीप से उजाला करें। प्रकृति के इस जादू को महसूस करें।

बुद्ध पूर्णिमा पर संजय कुमार द्वारा चांद की ली गयी तस्वीर…’

बता दें कि संजय कुमार भागलपुर (बिहार) के मूलनिवासी हैं। हालांकि इनका जन्म आरा में हुआ है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविध्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा एवं एनओयू से स्नातकोत्तर हैं। इन्होंने वर्ष 1987 में भागलपुर शहर से पत्रकारिता की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में विविध विषयों पर ढेरों आलेख, रिपोर्ट-समाचार, फीचर आदि प्रकाशित हुए हैं। आकाशवाणी से वार्ता प्रसारित और रेडियो नाटकों में भागीदारी रही, साथ ही नुक्कड़ नाट्य आंदोलन के शुरूआती दौर से ही जुड़ाव एवं सक्रिय भूमिका रही। मीडिया, वंचित वर्ग, सामाजिक सरोकर, पर्यावरण एवं जीव-जंतु संरक्षण के मुद्दे को लेकर अभी भी इनका लगातार लेखन जारी है।

आकाशवाणी के समाचार प्रभाग और दूरदर्शन के समाचार सेवा प्रभाग से जुड़े। अब तक इनकी 14 पुस्तकें तालों में ताले अलीगढ़ के ताले, नागालैंड के रंग बिरंगे उत्सव, बिहार की पत्रकारिता तब और अब, आकाशवाणी समाचार की दुनिया, पूरब का स्वीट्जरलैंड : नागालैंड, रेडियो पत्रकारिता, 1857 : जनक्रांति के बिहारी नायक, मीडिया में दलित ढूंढते रह जाओगे, मीडिया : महिला, जाति और जुगाड़, मीडिया में दलित, मैं अभी जिंदा हूं…गौरैया, ओ री गौरैया, जुल्फिकार अली 1857 के गुमनाम योद्धा और आओ गौरैया प्रकाशित हुई हैं।

संजय बिहार राष्ट्रभाषा परिषद द्वारा ‘नवोदित साहित्य सम्मान’, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, स्वतंत्रता सेनानी तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान के अलावा विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा कई सम्मानों से सम्मानित हो चुके हैं। गौरैया संरक्षण में सक्रिय संजय बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से गौरैया संरक्षण के लिए कई बार नवाजे गये हैं। इन्हें फोटोग्राफी का बचपन से शौक रहा है। चिड़ियों, खासकर गौरैया की फोटोग्राफी रोजाना करते हैं। अब तक 10 हजार से ज्यादा गौरैया और अन्य चिड़ियों की तस्वीर खींच चुके हैं। ये वर्ष 1993 से भारतीय सूचना सेवा में है। फिलहाल, केंद्रीय संचार ब्यूरो-प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पटना में उप-निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। बहरहाल, बुद्ध पूर्णिमा और एक दिन पहले चतुर्दशी पर लिये गये चांद के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।