Patna (MR)| कोरोना संकट का बिहार विधान परिषद पर सीधा असर पड़ा है। सभापति-उपसभापति के लिए चुनाव नहीं हो सका। उपसभापति का पद पहले से ही खाली था, जबकि सभापति का पद भी अब खाली हो गया। वहीं, बिहार सरकार ने कार्यकारी व्यवस्था के तहत किसी के नाम की सिफारिश भी नहीं की। ऐसे में सभापति की शक्तियां फिलहाल राज्यपाल में निहित रहेंगी। बता दें कि कार्यकारी सभापति हारूण रशीद की विधान परिषद की सदस्यता का मौजूदा कार्यकाल 6 मई को समाप्त हो गया। वे 2015 में उप सभापति और 2017 में कार्यकारी सभापति बने थे।
बिहार विधान परिषद में विधानसभा कोटे की 9 और शिक्षक-स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भरी जाने वाली 8 कुल 17 सीटें 6 मई को खाली हो गईं।
दरअसल, बिहार विधान परिषद में विधानसभा कोटे की 9 और शिक्षक-स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भरी जाने वाली 8 कुल 17 सीटें 6 मई को खाली हो गईं। कोरोना संकट के कारण इन सीटों पर चुनाव नहीं हो सका है। अनिश्चितकाल के लिए टल गया है। हालांकि महाराष्ट्र को देखते हुए बिहार में चुनाव की उम्मीद जगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
इसी तरह, राज्यपाल कोटे की 12 सीटें 23 मई को खाली हो रही हैं। यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो वे सीटें भी खाली ही रह जाएंगी। बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं। तब दोनों मिलाकर कुल 29 सीटें खाली रह जाएंगी। बता दें कि शिक्षक-स्नातक की सीटें चुनाव से जबकि राज्यपाल के मनोनयन की सीटें कैबिनेट की सिफारिश से भरी जाती हैं।