‘पहलगाम में Tourists ने आतंकियों का क्या बिगाड़ा था, जमीन खरीदने कश्मीर तो आए नहीं थे…’

PATNA / DELHI (SMR) : देश के लिए काला अध्याय में एक और तारीख जुड़ गयी। 22 अप्रैल। पहलगाम में कल दिल-दिमाग को झकझोर देने वाली घटना हुई है। कश्मीर में पुलवामा के बाद की सबसे बड़ी नृशंस घटना हुई है। आतंकवादियों ने दो दर्जन से आधिक टूरिस्टों की हत्या कर दी। देश ही नहीं, पूरा विश्व इस घटना की निंदा कर रहा है। वहां तीन दशक से देश के वरीय पत्रकार अश्विनी कुमार पत्रकारिता कर रहे हैं। पहलगाम में जिस तरह की हृदयविदारक घटना हुई है, उससे वे भी हतप्रभ ही नहीं हैं, बल्कि अंदर ही अंदर रो रहे हैं। वे अंदर से इतने विचलित हैं कि उनके लिखे गए शब्दों से महसूसा जा सकता है। उन्होंने अपनी यह पीड़ा आधी रात को एक फोटो के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया है। उनकी पीड़ा को मुखियाजी डॉट कॉम पर अक्षरशः प्रकाशित की जा रही है। इसमें उनके निजी विचार हैं।

पिक्चर बोलती है। कैप्शन लगाना मुश्किल है। पिछले 35 सालों से मैंने कई पहलगाम जैसे कत्लेआम देखे भी है और आजतक टीवी और इंडिया टुडे में रिपोर्ट भी किए हैं। जनवरी1990 में कश्मीरी पंडितों के घाटी से विस्थापन और 1990 के बाद डोडा, किश्तवाड़, भद्रवाह, रामबाण, पूंछ, राजौरी, रियासी और उधमपुर में भी इस तरह के कत्लेआम देखे और रिपोर्ट भी किए। इस तरह से कश्मीर में छत्तीस सिंह पूरा और बंधहमाहा में भी आतंकवादियों ने नरसंहार किया। लेकिन आज जो आतंकवादियों ने चुन-चुन कर टूरिस्टों को गोलियों से भूना, वह काफी दुखी करने की बात है। आखिर टूरिस्टों ने आतंकवादियों का क्या किया था। वह तो यहां जमीन खरीदने नहीं आए थे। कुछ घूमने आए थे और कुछ शादी करके हनीमून मनाने आए थे। कोई भी धर्म निहिते टूरिस्टों को मारने को नहीं कहता है। क्या पाकिस्तान और वहां से भेजे गए आतंकवादी यह बता पाएंगे कि यह कौन-सा धर्म है। इस कपल का पिक्चर देखकर रोना आता है कि यह लोग हनीमून क्यों मनाने यहां आए थे।

पहलगाम में 28 टूरिस्टों को आतंकवादियों द्वारा मारे जाने पर इस बार पहली बार कश्मीर की जनता आतंकवादियों के खिलाफ खुल कर बोल रही है। पहलगाम और कश्मीर के कई इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। जम्मू के बाद कश्मीर घाटी में सभी ऑपोजिशन पार्टी ने भी कल घाटी को बंद करने का आह्वान किया है। पहले ऐसा नहीं होता था। कश्मीर के लोगों का कहना है कि यह इंसानियत का कत्ल है। कश्मीरी लोगों की मेहमान नवाजी का कत्ल है यह। आज जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के लोगों का भी मानना है कि शर्म के नाते वह रो रहे हैं। पीडीपी के प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और मीरवाइज उमर फारूक ने भी पहली बार कश्मीर बंद का ऐलान किया है।

हम सबको मिलकर इस कातिलाना हमले की पुरजोर मज़मत करनी चाहिए और सुरक्षा बलों की मदद करके इन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मरवाना चाहिए। कश्मीर की आवाम के लिए यह सही मौका है कि इन पाकिस्तानी एजेंटों का खात्मा करवाना चाहिए, जिस तरह से पंजाब के लोगों ने वहां आतंकवाद खत्म करवाया था।