महाशिवरात्रि पर विशेष : मिथिला की हर बेटी की यही कामना पति हो तो महादेव-सा, घर-घर होती गौरी पूजा

PATNA (MR) : महाशिवरात्रि। भगवान भोलेनाथ और पार्वती की शादी की रात। भगवान श्रीराम भी मिथिला के दामाद थे। लोगों के बीच वे ज्यादा प्रचारित हैं। लेकिन, मिथिला में एक दामाद के रूप में महादेव का स्थान सदा सर्वोपरी रहा है। इस साल 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है। वरीय पत्रकार कुमुद सिंह के शब्दों में जानते हैं कि क्यों पति होने का मतलब है महादेव होना ? यह आलेख उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिया गया है। इसमें लेखक के निजी विचार हैं।

और रहे भी क्यों ना, गौरी को वो सारा सुख मिला, जो एक महिला की चाहत होती है। गौरी के जीवन में दुख जैसा शब्द महादेव ने कभी आने ही नहीं दिया। महादेव ने पति के हर दायित्व को ऐसे निभाया कि वो पति के मानक बन गये। गौरी से ताकतवर पत्नी दूसरी नहीं हुई। जिस महादेव के गुस्से से तीनो लोक कांप जाता है, वो महादेव महज गौरी के रूठ जाने से परेशान हो जाते हैं। यह दापत्य का स्नेह है, जो गौरी को मिला। महादेव से अधिक नारी सम्मान देनेवाला दूसरा पति नहीं है। महादेव से अधिक नारी सशक्तीकरण किसी दूसरे ईश्वर ने नहीं किया। आदर्श परिवार किसे कहते हैं, वो महादेव के परिवार को देखकर ही समझा जा सकता है।

आज भी जब मिथिला में कोई पिता अपनी बेटी के लिए वर खोजता है, तो वो महादेव खोजता है, न कि विष्णु खोजता है। वसंत पंचमी के दिन जब मिथिला के लोग कैलाश (शिवालय) जाकर महादेव को गौरी से विवाह का निमंत्रण देते हैं, तो दल का हर सदस्य बेटी का पिता होता है और उसके लिए जीवन का सबसे अनमोल वरदान महादेव को दामाद के रूप में निमंत्रित करने का सुअवसर होता है। आज भी मिथिला की हर बेटी यही कामना करती है कि पति हो तो महादेव-सा, वर्ना जीवन व्यर्थ है। लोगों की यह भी चाहत रहती है कि उनकी बेटी का सौभाग्य गौरी जैसा हो…!!!