फिल्म अभिनेता राजीव वर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे पहली बार बिहार आए थे। इस दौरान उनका बिहार म्यूजियम में लगभग एक घंटा से अधिक समय का व्याख्यान हुआ। उन्होंने माना कि बिहार को लेकर पहले उनके मन में गलत धारणा थी। यहां की धरती तो स्वर्ग से भी सुंदर है। उन्होंने बापू टावर संग्रहालय का पहला टिकट भी खरीदा। इतना ही नहीं, वे पटना सिटी स्थित तख्तश्री हरमंदिर भी गये। खास बात कि उन्होंने बिहार के प्रसिद्ध लजीज व्यंजन लिट्टी-चोखा का भी टेस्ट लिया। बिहार दौरे के दौरान उनके साथ उनकी पत्नी रीता भादुड़ी (अब वर्मा) भी मौजूद रहीं। पत्नी ने भी बिहार की खूब प्रशंसा की।
PATNA (RAJESH THAKUR) : विदेशों में कलाकारों के भी उतना ही कद्र होता है, जितना नेताओं का। वहां कलाकारों के भी पोस्टरों से पटा रहता है शहर, लेकिन अपना देश भारत में केवल नेताओं के पोस्टरों से ही शहर पटा रहता है। ये बातें ख्यातिलब्ध फिल्म अभिनेता राजीव वर्मा ने मंगलवार को कहीं। वे बिहार म्यूजियम में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उनसे सवाल कर रही थीं बिहार की लोकप्रिय कलाकार सोमा चक्रवर्ती। राजीव वर्मा ने दर्शकों के सवालों का भी जवाब दिया। इसी कड़ी में एक दर्शक ने सवाल किया कि कलाकारों के लिए भी एक अलग से म्यूजियम बनाने की जरूरत है, ताकि उनके बारे में लोग जान सके। राजीव वर्मा पहली बार बिहार आए थे।
देश की सुपर-डुपर हिट फिल्म मैंने प्यार किया में अभिनेता सलमान खान के पिता का रोल करने वाले राजीव वर्मा ने कहा कि बिलकुल नेताओं की तरह कलाकारों के भी शहरों में लगने चाहिए। उन्होंने कहा कि रंगमंच सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं है, यह जीने का तरीका सीखाता है। भारत में अभिनय कला को ज्यादा महत्व नहीं मिलता। यहां सिर्फ नेताओं के ही पोस्टर लगाते हैं और उनकी मूर्तियां लगायी जाती हैं। कलाकारों की मूर्तियों को नहीं लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विदेशों में कलाकारों को ज्यादा सम्मान मिलता है। उस कॉन्सेप्ट को यहां भी अपनाने की जरूरत है।

इसके पहले बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने राजीव वर्मा और उनकी पत्नी रीता भादुड़ी (अब रीता वर्मा) को गुलदस्ता, शॉल और मोमेंटो देकर उनका जोरदार स्वागत किया। स्वागत भाषण अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने दिया। उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि राजीव वर्मा मध्य प्रदेश के भोपाल से आर्किटेक्चर में स्नातक और दिल्ली से अर्बन डिजाइन में स्नातकोत्तर, फिर भोपाल से ही कानून की डिग्री लेने के बाद 23 वर्षों तक मध्य प्रदेश सरकार की आर्किटेक्चर और अर्बन डिजाइन की उच्च पदस्थ सेवा में रहे। उसके पहले मध्य प्रदेश के अपने जन्म स्थान होशंगाबाद के ही गांव में बचपन में ही वे नाटकों में भाग लेने लगे थे। अपने पहले ग्रामीण नाटक में वे राम की ‘बानर सेना’ में शामिल हुए। वर्ष 1987-88 में टीवी सीरियल ‘चुनौती’ ‘मुजरिम हाजिर’ और छोटी बहू में राधिका विशाखा के पिता रूप में थे। रोल में ब्रेक मिला तो फिर मुड़कर पीछे नहीं देखा। उन्होंने फिल्म मैंने प्यार किया, दीदार, हम दिल दे चुके सनम, ये रास्ते हैं प्यार के’, हम साथ-साथ हैं, कच्चे धागे, बीबी नम्बर-1, हिम्मतवाला, जीत, चलते-चलते, हर दिल जो प्यार करेगा आदि में यादगार अभिनय किया था।
सुप्रसिद्ध उद्घोषिका सोमा चक्रवर्ती के साथ बातचीत के क्रम में राजीव वर्मा ने कहा कि मैं बिहार आकर अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली समझता हूं। खास तौर से बिहार संग्रहालय में आकर मुझे अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि बिहार मैं पहली बार आया हूं, लेकिन बिहार के बारे में दूसरे राज्यों में बहुत ही गलत धारणा बना दी गयी है। बिहार पूरी तरह बदल चुका है। यह तो स्वर्ग है। उन्होंने कहा कि उनका दुर्भाग्य है कि वो बिहार में पैदा नहीं हुए। बिहार संग्रहालय के रख-रखाव तथा संग्रह की तारीफ करते हुए कहा कि बिहार संग्रहालय देश का सबसे सुंदर एवं व्यवस्थित संग्रहालय है, लेकिन इस संग्रहालय को देखने के लिए समय चाहिए।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे बचपन से ही नाटक में रूचि थी। मैं नौकरी नहीं करना चाहता था। लेकिन मां के दबाव में मुझे सरकारी नौकरी करनी पड़ी, लेकिन जब अवसर आया तो सरकारी नौकरी को छोड़कर अभिनय से जुड़ गया। सोमा चक्रवर्ती ने जब पूछा कि आप फिल्मों में पिताजी की ही भूमिका करते हैं, क्या हीरो की भूमिका का मन नहीं था। जवाब में राजीव वर्मा ने कहा कि मैं फिल्मों में हीरो बनने ही आया था, लेकिन मुझे पहला ब्रेक यंग फादर के रूप में मिला। हालांकि, किसे कौन-सा रोल करना है, यह फिल्म के निर्देशक तय करते हैं। उसके बाद में पिता की भूमिका में बंध गया। एक बार जिस रोल पर ठप्पा लग जाता है, उसे फिर वैसा ही रोल मिलने लगता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तो मुझे दादा का रोल मिलने लगा है।

बिहार कनेक्शन पर उन्होंने कहा कि मेरी वाइफ रीता वर्मा का दानापुर में ननिहाल है। मुझे तो बिहार और पटना आकर जमाई वाली फिलिंग आ रही है। इसके अलावा वे पटना सिटी स्थित गुरुद्वारा भी गये, साथ ही बिहार म्यूजियम का भी भ्रमण भी किया। उन्होंने अपने व्याख्यान में यह भी बताया कि बिहार को लेकर जो मन में सुने थे, वह सब केवल भ्रम था। यह तो भ्रमण करने लायक राज्य है। यहां बिहार म्यूजियम के अलावा बापू टावर संग्रहालय भी खुला है। दरअसल, 4 फरवरी से गर्दनीबाग में बने बापू टावर संग्रहालय को भी आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। संग्रहालय का बुकिंग काउंटर मंगलवार से रविवार तक सुबह 10:30 बजे से शाम चार बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा। सोमवार को यह बंद रहेगा। इस संग्रहालय का पहला टिकट राजीव वर्मा ने ही खरीदा।
