PATNA (RAJESH THAKUR) : उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की दिवंगत माँ और तारापुर की पूर्व विधायक पार्वती देवी की जयंती को हर वर्ष राजकीय समारोह के रूप में मनाने का फैसला बिहार सरकार ने पिछले सप्ताह लिया था। 15 मार्च को तारापुर में इसे लेकर भव्य आयोजन किया गया। इसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जदयू के स्थानीय विधायक राजीव सिंह, पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी सहित जिले के वरीय प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए। लेकिन इसे लेकर विरोधी तरह-तरह के आरोप लगाने लगे। इस पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विरोधियों को करारा जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सरकार के इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया है। उनके इस अनुरोध की बुद्धिजीवियों ने सराहना की तथा इसे उनका साहसिक कदम बताया।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर बधाई भी दी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा- ‘मेरे लिए यह अत्यंत ही गर्व की बात है कि मुझे आपके कुशल नेतृत्व में बिहार की एनडीए सरकार में दायित्व निर्वहन का अवसर मिला है। यह आपकी महान संवेदनशीलता है कि आपने मेरी पूजनीय माता भूतपूर्व विधायक स्व. पार्वती देवी जी के सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यों को पहचानते हुए उनकी जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय मेरी पूजनीया माता के प्रति आपकी श्रद्धा, सम्मान और आपके विराट व्यक्तित्व का परिचायक है। अनुरोध है कि मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार, पटना के पत्रांक 272, दिनांक 13.03.2025 को वापस लेने की कृपा की जाए।’ बता दें कि उपरोक्त पत्रांक से ही दिवंगत विधायक पार्वती देवी की जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के इस निर्णय का बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है और इसकी सराहना की है। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक सह पीएमडीआर के निदेशक प्रो. डॉ फिरोज मंसूरी ने स्वागत करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि सचमुच ऐसे फैसले राजनीति में शुचिता व नैतिकता को मुकाम देती रही है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का यह फैसला प्रशंसनीय और अनुकरणीय है और वे सचमुच बधाई के पात्र हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने मुखियाजी डॉट कॉम को फोन कर बताया कि उनका वापस लेने का अनुरोध न केवल साहसिक कदम है, बल्कि विरोधियों का तगड़ा जवाब भी है। वहीं बिहार-झारखंड की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरीय पत्रकार विवेकानंद सिंह कुशवाहा ने लिखा है कि तारापुर की पूर्व विधायक स्वर्गीय पार्वती देवी की जयंती को राजकीय समारोह के तौर पर मनाये जाने के बिहार सरकार के निर्णय के बाद विपक्ष द्वारा फैसले का भारी विरोध किया जा रहा था व सम्राट चौधरी पर सवाल उठाये जाने लगे थे। इस पत्र के जरिये उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बड़े हृदय का परिचय दिया है।
इसके पहले उन्होंने विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए सोशल मीडिया पर यह भी लिखा था कि बिहार पर पांचवीं पास मुख्यमंत्री थोपने वालों को भी स्वर्गीय पार्वती देवी की राजकीय जयंती समारोह उनके विधानसभा क्षेत्र में मनाये जाने से आपत्ति है। चूंकि, पार्वती देवी के पुत्र अभी बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं, तो दर्द स्वभाविक भी है। पार्वती देवी तारापुर से समता पार्टी के टिकट पर 1998 में हुए उपचुनाव में विधायक बनी थीं। दरअसल, 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में 310 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के बाद समता पार्टी को मात्र सात सीटों पर (7.1% वोट शेयर के साथ) जीत मिली थी, जिसमें तारापुर से शकुनी चौधरी (पार्वती देवी के पति) भी एक थे। जब शकुनी चौधरी 1998 में समता पार्टी के टिकट पर खगड़िया से सांसद बने तो उनकी खाली सीट पर उनकी पत्नी पार्वती देवी चुनाव लड़कर विधायक बनीं। भले ही पार्वती देवी की पहचान शकुनी चौधरी जी से थी, लेकिन उस समय समता पार्टी के टिकट से बिहार में चुनाव जीत लेना मामूली बात नहीं थी। समता पार्टी (जो बाद में जदयू बनी) ही वह पहली कील थी, जिसने लालू यादव को ‘जनता दल’ को बिहार में ‘राष्ट्रीय जनता दल’ में बदलने पर विवश किया। साथ ही समता पार्टी ने ही राष्ट्रीय जनता दल में छेद कर बिहार की सत्ता से बाहर करने में सबसे अहम भूमिका निभायी।

विवेकानंद आगे लिखते हैं कि नीतीश कुमार आज भी बिहार की सत्ता में समता पार्टी के वर्करों के बलिदान की वजह से टिके हैं। यह ठीक बात है कि 1999 में नीतीश कुमार से राजनीतिक मतभेद होने की वजह से समता पार्टी के संस्थापक सदस्य शकुनी चौधरी ने राजद को सत्ता में बनाये और बचाये रखने की जिम्मेदारी उठा ली। राजद को तो पार्वती देवी के विधानसभा क्षेत्र में राजकीय समारोह मनाये जाने का स्वागत करना चाहिए था, क्योंकि शकुनी चौधरी जैसे नेताओं के राजद में आने की वजह से 5 साल और राजद को बिहार की सत्ता में रहने का अवसर प्राप्त हो गया। नहीं तो, नीतीश कुमार 2000 ईस्वी में ही बिहार का किला फतह कर गये होते। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधीनस्थ समान्य प्रशासन विभाग ने पार्वती देवी जी की जयंती, राजकीय समारोह के तौर पर उनके कर्म क्षेत्र में मनाने का निर्णय लिया है, तो कुछ सोच कर ही लिया है। अरुण जेटली का बिहार से क्या रिश्ता है? जब उनकी जयंती राजकीय समारोह के तौर पर बिहार में मनायी जा सकती है, तो पार्वती देवी तो बिहार की बेटी हैं। समता पार्टी के संस्थापक सदस्य की पत्नी हैं, समता पार्टी के चंद विधायकों में एक रहीं। आज उनका बेटा बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। आलोचना करने के लिए तो हर चीज की आलोचना हो सकती है, लेकिन जिनके घर शीशे के हों, वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।
बहरहाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उपरोक्त फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया है। उनके इस अनुरोध का बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है। लेकिन उनके समर्थकों में विरोधियों के अनर्गल आरोप के प्रति गुस्सा भी है। इस गुस्से का खामियाजा चुनाव के समय विरोधियों को भुगतना पड़े तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं।