ऋषिकुंड के बीच बनी मां सरस्वती की प्रतिमा दे रही जल-जीवन-हरियाली का संदेश, काशी विश्वनाथ भी

PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार का पर्यटन विभाग राज्य के चप्पे-चप्पे में फैले पर्यटन केंद्रों के विस्तार और विकास में लगा हुआ है। नये-नये पिकनिक स्पॉट्स की पहचान कर रहा है। पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा के निर्देश पर ‘मेरा प्रखंड मेरा गौरव’ के तहत ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों की खोजबीन में जुटा है। ऐसे स्थलों की पहचान और विकास कराना चाहता है, ताकि आनेवाली पीढ़ी को उनके बारे में जानकारी मिल सके। बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है मुंगेर का ऋषिकुंड। इसी ऋषिकुंड को सरस्वती पूजा से जोड़ा है काष्ठ और माटी के ख्यातिलब्ध कलाकार विनोद शर्मा ने। उन्होंने मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर अनुमंडल मुख्यालय में ऋषिकुंड की कलाकृतियों के बीच विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की प्रतिमा बनायी है। इसकी चहुँओर तारीफ हो रही है। पर्यटन विभाग ने भी इस पहल की सराहना की है।

दरअसल, हवेली खड़गपुर खुद में ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक स्थलों को समेटे हुए हैं। इनमें भीमबांध, ऋषिकुंड और खड़गपुर झील प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनके अलावा रामेश्वर कुंड, भौराकुंड, घोड़ाखुर, देघरा पहाड़, तितलपनिया समेत कई अन्य पिकनिक स्पॉट्स हैं। इसमें अधिसंख्य पर्यटन स्थल गर्म पानी के लिए प्रसिद्ध है। ऋषिकुंड भी गर्म जलकुंड के लिए लोकप्रिय है। यहां जाड़े में काफी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इसी ऋषिकुंड के सिनेरियो के बीच माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर प्रेमराज आर्ट्स के कलाकार विनोद शर्मा ने एक साथ कई संदेश दिए हैं। उन्होंने मुखियाजी डॉट कॉम को बताया कि उन्होंने इस बार दो सिनेरियो बनाए हैं। पहला स्थानीय पर्यटन केंद्र ऋषिकुंड तथा दूसरा देश के ख्यातिलब्ध काशी विश्वनाथ मंदिर का है। इन्हीं सिनेरियो के बीच मां सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं।

कलाकार विनोद ने यह भी बताया कि दोनों सिनेरियो को बनाने में दो से तीन सप्ताह का समय लगा। इसमें वॉटर केमिकल कलर का प्रयोग किया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर का सिनेरियो 18 x 15 तथा ऋषिकुंड का 18 × 12 फीट के साइज में बनाया गया है। उन्होंने बताया कि ऋषिकुंड के बनाने के पीछे पर्यटन केंद्र को बढ़ावा देना है। जो लोग प्रतिमा देखने आए, वह यहां की महत्ता को समझें। इसके बारे में वे ज्यादा से ज्यादा जानें। धार्मिक के साथ ही यह जल-जीवन-हरियाली का भी मैसेज देता है। इसी थीम पर बिहार सरकार भी काम कर रही है। जल-जीवन-हरियाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसी तरह, काशी विश्वनाथ की महत्ता अब देश से बाहर पहुंच गयी है। इसके बारे में लोगों को बहुत अधिक बताने की जरूरत नहीं है। ऋषिकुंड के पहले वह स्थानीय स्तर पर खड़गपुर झील, लघु देवघर के रूप में प्रसिद्ध पंचबदन मंदिर, नवोदय विद्यालय आदि पर आधारित सिनेरियो पिछली सरस्वती पूजा में बना चुके हैं। इस बार भी लोग दोनों सिनेरियो के बीच प्रतिष्ठापित मां सरस्वती को लोग काफी पसंद कर रहे हैं।

बता दें कि मुंगेर जिला मुख्यालय से महज 20 किमी दूर हवेली खड़गपुर प्रखंड में पहाड़पुर (लोहची) के निकट अवस्थित ऋषिकुंड गर्मजल के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ की तराई से निकलने वाले गर्म जल से न सिर्फ लोग स्नान करते हैं, बल्कि खुद को स्वस्थ रखने के लिए भी गर्म जल का सेवन करते हैं। गर्म जल में स्नान करने व उसके सेवन से पेट रोग, चर्म रोग आदि से लोगों को मुक्ति मिलती है। भू-गर्भ में गंधक की मात्रा अधिक होने के कारण 24 घंटे गर्मजल की धारा प्रवाहित होती है। गर्म जल की धारा जहां से प्रवाहित हो रही है, उसी के निकट एक तालाब बना हुआ है, जिसे ऋषिकुंड कहा जाता है। प्राकृतिक के अलावा इसकी धार्मिक महत्ता भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसका संबंध रामायण काल से जुड़ा हुआ है। रामायण काल के तपस्वी ऋषियों के मंदिर सहित कई ऋषियों की समाधि और कई आश्रम भी मौजूद हैं। ऋषि विभांडक ने यहां कठोर तपस्या की थी। ऋषि विभांडक के पुत्र ऋषि शृंग (शृंगी) की जन्मस्थली भी यही है। शृंगी ऋषि ने ही राजा दशरथ के यहां पुत्र प्राप्ति का यज्ञ कराया था और उन्हीं के प्रताप भगवान श्रीराम समेत सभी भाइयों का जन्म हुआ था। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान काफी रमणीक है। यहां प्रत्येक तीन वर्ष में यहां मलमास मेला भी लगता है।