PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर किताबों की महफिल सज गयी है। यह 40वां पुस्तक मेला है। 1985 में इसकी शुरुआत हुई थी। तब से CRD के बैनर तले इसका आयोजन होता आ रहा है। इसे लेकर आयोजक और उससे जुड़े लोग ही नहीं, पटना से लेकर बिहार भर के लोग उत्साहित हैं। युवा इसे पुस्तकों की दुनिया से लेकर किताबों की बगिया तक कह रहे हैं। वहीं आज के डिजिटल मोड युवा इसे ‘बुकिस्तान’ नाम दे रहे हैं। लेकिन इस बार की खासियत भी खास है। किताबों की इस बगिया में किताबों के साथ ही गांव-गलीचे के भी फूल खिले हैं। पुस्तक प्रेमी पटना शहर के गली-मुहल्लों से भी अवगत होंगे। यह पुस्तक मेला 17 दिसंबर तक चलेगा।
किताबें हैं लोगों की सच्ची दोस्त
दरअसल, किसी ने सच कहा है कि किताबें लोगों की सच्चा दोस्त होती हैं और जीवनभर साथ निभाती हैं। किताबों से दोस्ती ही जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। किताबों से अर्जित किया गया ज्ञान किसी भी परिस्थिति में हमेशा साथ बना रहता है और उस परिस्थिति से पार पाने में अहम भूमिका निभाता है। किताबें ज्ञान प्राप्ति का अहम स्रोत हैं। अधिक से अधिक लोगों को किताबों की इस बगिया से जोड़ने के लिए आयोजक पिछले 40 साल से इसका आयोजन कर रहे हैं और हर बार इसके थीम पर काफी मंथन होता है, तब उसका नाम तय होता है। PATNA BOOK FAIR 2024 का Theme इस बार ‘पेड़, पानी, जिंदगी; पर्यावरण सुरक्षा अभी’ तय हुआ है। उसी को लेकर मेला कैंपस में हरे-हरे पौधों का रोपण किया गया है। लेकिन इस बार चर्चा में पटना के गली मुहल्लों से पुस्तक प्रेमियों को अवगत कराना है।
तीनों गेट के अलग-अलग नाम
शहर के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित इस पुस्तक मेले में प्रवेश के लिए पहली बार तीन गेट लगाए गए हैं। तीनों के अलग-अलग नाम दिए गए हैं। जब आप श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल के सामने गेट नंबर 5 से गांधी मैदान में आएंगे तो मेला का मेन गेट दिखेगा। यह मुख्य गेट है। इसका नाम ‘अशोक राजपथ’ दिया गया है। इसी गेट के निकट अंदर में प्रशासनिक भवन बनाया गया है, जिसका नाम ‘राजेंद्र नगर प्रशासनिक भवन’ नाम दिया गया है। यहां से आपको सीधे ‘श्री कृष्णापुरी मंच’ दिखेगा। इसी तरह, दूसरे गेट का नाम ‘बोरिंग रोड’ और तीसरे गेट का नाम ‘फ्रेजर रोड’ रखा गया है। मेला कैंपस में आप जैसे-जैसे अंदर बढ़ेंगे, ब्लॉक और मंच के रूप में अन्य मुहल्लों के नामों से रूबरू होंगे।
इन नामों से भी होंगे अवगत
पुस्तक मेले में कला मुआयना का नाम एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी के रूप में चर्चित ‘कंकड़बाग’ के नाम पर रखा गया है। इसी तरह सिनेमा-उनेमा ‘बाकरगंज’, हरियाली रंगोत्सव ‘कुर्जी’ के नाम से जाना जाएगा। फूड कोर्ट और अन्य ब्लॉक के नाम मारूफगंज, खेमनीचक, दानापुर, किदवईपुरी, राजा बाजार, खगौल, अनिसाबाद, अदालतगंज आदि के नाम पर रखे गए हैं। हालांकि, इसमें कई बड़े नाम छूट भी गए हैं। मसलन, बेली रोड, सगुना मोड़, पटना का मेरीन ड्राइव सहित पटना सिटी की कई महत्वपूर्ण गलियां शामिल हैं। पुस्तक प्रेमी इस मंथन को अच्छा मान रहे हैं। और सबसे बड़ी बात है कि संस्कृति और साहित्य के इस उत्सव को पद्मभूषण अलंकृत शारदा सिन्हा और पद्मश्री अलंकृत उषा किरण खान को समर्पित किया गया है।
क्या कहते हैं अध्यक्ष रत्नेश्वर
देश के चर्चित लेखक और पटना पुस्तक मेला के अध्यक्ष रत्नेश्वर मुखियाजी डॉट कॉम से कहते हैं कि पटना पुस्तक मेला का थीम तय करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इस पर सालों भर मंथन करना पड़ता है। इस टीम में सभी लोगों से सलाह ली जाती है। एक-एक बिंदु पर विचार होता है। आइडिया किसी की हो, हर आइडिया पर मंथन होता है। यहां केवल पुस्तक प्रेमियों का ही नहीं, बुक स्टॉल लगाने वाले प्रकाशकों और उनके प्रतिनिधियों का भी ख्याल रखा जाता है। तब आपके सामने इस खूबसूरत रूप में नजर आता है पुस्तक मेला।