PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार को ऐसे नहीं कहा जाता है आंदोलन की धरती और नीतीश कुमार को भी ऐसे नहीं कहा जाता है सियासत का चाणक्य। उनकी 10 माह की मेहनत ने बीजेपी के पेशानी पर बेशक पसीना ला दिया है। तभी तो बीजेपी की ओर से केंद्र में जेपी नड्डा से लेकर अमित शाह और बिहार में सम्राट चैधरी से लेकर सुशील मोदी तक पटना में हुई महागठबंधन की बैठक को लेकर खूब बरस रहे हैं। जोर-जोर से कह भी रहे हैं कि 2024 में आएगी तो बीजेपी ही और लगातार तीसरी बार पीएम की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी काबिज होंगे। वहीं पाॅलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो कहने और होने में काफी फर्क है। यदि नीतीश कुमार की महागठबंधन वाली रणनीति सफल रही तो इसमें कोई संदेह नहीं कि बीजेपी के लिए 2024 की लड़ाई काफी मुश्किल होने वाली है। और, इसी रणनीति पर नीतीश कुमार कच्छप गति से लगातार आगे बढ़ रहे हैं और उनके लिए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव खुलकर बैटिंग कर रहे हैं। पटना में इसका शंखनाद हो चुका है और इसके सियासी पत्ते शिमला में खुलेंगे।
बिहार की राजधानी पटना में जिस तरह 17 में से 15 राजनीतिक दल के दिग्गज नेता जुट गए, बेशक इससे नीतीश कुमार के कद में और अधिक इजाफा हुआ है। इसने नेशनल पाॅलिटिक्स में जोरदार धमाका किया है और इसकी गूंज दिल्ली की सियासत में अब तक सुनाई दे रही है। उन राज्यों की भी बीजेपी विंग में बेचैनी छा गयी है, जहां के सीएम और पूर्व सीएम पटना की बैठक में शामिल होने के लिए आए थे। अंदर ही अंदर उन राज्यों की कांग्रेस इकाइयों में भी हलचल मची हुई है। हालांकि, पटना की बैठक में जिस तरह राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार और लालू यादव के प्रति आत्मीयता दिखायी, उसकी वजह से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को कुछ बोलते नहीं बन रहा है। पाॅलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बीजेपी के खिलाफ जिस तरह रणनीति बन रही है, उससे कांग्रेस के तमाम नेताओं को संयम बरतने की जरूरत है और इसे राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे तक महसूस कर रहे हैं। ऐसे में शिमला बैठक के पहले तक कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेता तक को विवादित बयान देने से बचना होगा।
बीजेपी तो चाहती ही है कुछ ऐसा हो कि महागठबंधन में ‘भंडोल’ हो जाए। इस तरह के कई मुद्दे सामने में हैं भी। उसी तरह की रणनीति भी बनायी जा रही है। यह तो याद ही होगा कि 25 जून को ही देश में इमरजेंसी लगी थी। इसे लेकर आज भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बीजेपी घेर रही है। आरएसएस की पत्रिका ‘पांचजन्य’ में तो इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से की गयी है और इसे लेकर बड़ा लेख लिखा गया है। यहां तक कि आज ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी इमरजेंसी को देश के लिए कलंक बताया और कहा कि यह ऐसा कलंक है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इसके बाद भी पटना में 23 जून को हुई महागठबंधन की बैठक ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की नींद उड़ा दी है। तमाम राज्यों में जिस तरह महागठबंधन की बैठक को लेकर बीजेपी की ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, उससे पार्टी की बेचैनी को महसूस किया जा सकता है। जबकि, इसके इतर नीतीश कुमार से लेकर लालू यादव तक चुप हैं।
लेकिन, पटना में एक साथ 15 राजनीतिक दलों के नेताओं को जुटाकर नीतीश कुमार ने तो इतना तो विरोधियों को बता ही दिया कि उन्हें कमजोर नहीं समझें। दरअसल, नीतीश कुमार पिछले साल से ही लगातार बीजेपी के खिलाफ अपनी रणनीति को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। 2022 में अगस्त के पहले पखवारे में वे एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हो गए। बीजेपी विपक्ष में चली गयी। तब से नीतीश कुमार देश भर के गैर बीजेपी नेताओं को एकजुट करने में जुट गए थे। उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, केसीआर, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, नवीन पटनायक, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, एमके स्टालिन, सीताराम येचुरी, डी राजा, हेमंत सोरेन समेत अनेक नेताओं से मुलाकात की। कुछ नेताओं से मुलाकात के दौरान तेजस्वी यादव भी साथ में रहे, जबकि सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान लालू यादव खुद साथ में थे। इसी मुलाकात के दौरान ममता बनर्जी ने पटना में सर्वदलीय मीटिंग करने को कहा था। इस पर अमल करते हुए नीतीश कुमार ने 23 जून को बड़ी बैठक आयोजित की। सबसे अधिक मुखर होकर ममता बनर्जी ने ही कहा कि बिहार से क्रांति के शंखनाद के मायने हैं। यहीं से जेपी ने भी क्रांति का आगाज किया था। उन्होंने दो टूक कहा कि हमलोग एक हैं और बीजेपी के खिलाफ सब मिलकर लड़ेंगे। आगे की रणनीति शिमला की बैठक में तय होगी। कांग्रेस इस बैठक का नेतृत्व करेगी। यह बैठक 10 से 12 जुलाई को होनी है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि शिमला की बैठक में आगे की रणनीति क्या होती है? इस पर महागठबंधन के घटक दल कितने खरे उतरते हैं। हालांकि, अरविंद केजरीवाल को लेकर महागठबंधन में उहापोह की स्थिति है, जबकि नवीन पटनायक और केसीआर ने पहले ही खुद को किनारा कर लिया था। इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल और केसीआर से महागठबंधन में आने की पूरी उम्मीद है।
दूसरी ओर, पटना में हुई बैठक को लेकर नीतीश कुमार बेशक और अधिक बड़े कद वाले नेता बन गए हैं। वे इस बैठक के पहले वामदलों के अधिवेशन से लेकर पूर्णिया में हुई महागठबंधन की रैली तक में सभी को सुना दिया है कि यदि महागठबंधन की रणनीति सफल रही और कांग्रेस ने बड़ा दिल दिखाया तो बीजेपी 2024 की लड़ाई से बाहर हो जाएगी और वह 100 सीटों के नीचे चली जाएगी। दरअसल, पाॅलिटिकल एक्सपर्ट की मानते हैं कि नरेंद्र मोदी यदि किसी विरोधी से घबराते हैं तो वह हैं नीतीश कुमार। और इसे कांग्रेस भी अब समझने लगी है। बाकी दलों के लोग भी नीतीश कुमार की रणनीति के कायल हो गए हैं। यह अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल से लेकर नवीन पटनायक तक अपना सियासी स्वार्थ देख रहे हैं। नीतीश कुमार केंद्र से लेकर बिहार की राजनीति में छाए हुए हैं। कई टर्म केंद्र में मंत्री रहे हैं। बिहार में भी सीएम के पद पर लंबं समय तक रहने का रिकाॅर्ड बना लिया। इसके बाद भी इनका चेहरा बेदाग है। इन पर किसी तरह के करप्शन का दाग नहीं है। जिस तरह बीजेपी वाले नरेंद्र मोदी को बेदाग बताते हैं, उसी तराजू पर नीतीश भी हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार चाहकर भी नीतीश कुमार के खिलाफ केंद्रीय जाचं एजेंसियों के माध्यम से एक्शन नहीं ले पाती है और न ही किसी तरह का आरोप ही लगा पाती है। इतना ही नहीं, नरेंद्र मोदी की तरह नीतीश कुमार भी परिवारवाद से काफी दूर हैं। ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार के पास परिवार नहीं हैं। इनके पास तो भरा-पूरा परिवार है। इनके बड़े भाई हैं, बेटा है, कई सगे-संबंधी हैं, इसके बाद भी नीतीश कुमार परिवारवाद से काफी दूर हैं। एक बार तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि नीतीश बाबू के परिवार से कोई नहीं है पॉलिटिक्स में। तब नीतीश कुमार एनडीए में थे। फिर वे खुद कई बार कह चुके हैं कि मेरे लिए तो पूरा बिहार ही परिवार है। ऐसे में बीजेपी चाह कर भी नीतीश कुमार पर परिवारवाद का आरोप नहीं लगा पाती है। इसके अलावा इन्हें बिहार पॉलिटिक्स का चाणक्य भी कहा जाता है। ये कब, कौन-सी चाल देंगे, सामने वाले को भी पता नहीं रहता है।
बहरहाल, नीतीश कुमार ने देश को जो नयी सियासी राह दिखायी है, उस पर अब गैर बीजेपी नेता चल पड़े हैं। बीजेपी से जिस पार्टी की सीधी लड़ाई है, वह बिना देर किए महागठबंधन में शामिल हो रही है, जबकि बाकी दल भी थोड़ा टालमटोल करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो साफ कर दिया कि शिमला में अब आगे की रणनीति तय होगी। उन्होंने साफ कहा कि तमाम राज्यों में पार्टियों की अलग-अलग स्ट्रैटजी है और उसी के तहत पार्टी निर्णय लेगी, ताकि क्षेत्रीय दलों को भी किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। इसके अलावा किस लोकसभा क्षेत्र में किस तरह की रणनीति सूट करेगी, उस पर मंथन होगा। ऐसे में यह भी देखना दिलचस्प होगा कि शिमला बैठक में कैसी रणनीति बनती है ? लेकिन, लालू यादव ने तो साफ कह दिया है कि हम अब बिलकुल फिट हैं और 2024 की लड़ाई में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को पूरी तरह ‘फिट’ कर देंगे। वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि हमें खुशी है कि लालू यादव बिलकुल तगड़ा हैं। और सबसे खास बात कि राहुल गांधी अब दुल्हा बनने को तैयार हैं।