CENTRAL DESK (MR) : यह तो जान ही गए होंगे कि हम जाफराबादी नामक भैंस की बात कर रहे हैं। यह भैंस की एक प्रजाति का नाम है। यह ज्यादातर गुजरात के भावनगर जिले में पाई जाती है। जाफराबाद भी गुजरात में ही है।
जाफराबादी प्रजाति अन्य भैंसों की तुलना में ज्यादा दिन तक दूध देती है। यह भैंस हर साल बच्चा देती है जो डेयरी का काम करने वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद है। बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करते हैं और फिर वह दूध देने के लिए तैयार हो जाता है। जाफराबादी भैंस के माथे पर सफेद निशान होती है, जो उसके असली होने की पहचान देती है। जाफराबादी का क्रॉस ब्रीड कराकर लोग कई दुधारू नस्लें तैयार करते हैं। इनके दूध या इन भैंसों को बेचकर पशुपालक अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
जाफराबादी भैंस प्रतिदिन 30 लीटर तक दूध देती है। इन भैसों की कीमत डेढ़ लाख रुपये के आसपास होती है। जाफराबादी भैंस का वजन काफी भारी होता है और मुंह छोटा होता है। सींग घुमावदार होते हैं। दूध का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए जाफराबादी भैंस काफी फायदेमंद मानी जाती है।
गुजरात के भावनगर, जूनागढ़, अमरेली, पोरबंदर समेत इन जिलों के बॉर्डर इलाके में यह भैंस बड़ी संख्या में पाली जाती है। अमरेली जिले में जाफराबादी भैंस की सबसे अच्छी नस्ल पाई जाती है। जाफराबादी भैंस के सींग घुमावदार होते हैं, लेकिन मुर्रा नस्ल से कम घुमावदार होते हैं। भैंसों में यह सबसे भारी भरकम प्रजाति है। इनका वजन 800 किलो ग्राम से लेकर 1 टन तक होता है। इस भैंस के माथे गुंबद के आकार के होते हैं। इसका रंग आम तौर पर काला होता है और त्वचा ढीली होती है।
इस भैंस के आहार और आराम का बहुत खयाल रखना पड़ता है। सादा पिलाया जाता है। आराम देना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसका बड़ा असर दूध उत्पादन पर देखा जाता है। आहार में संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है। आहार में दाना और चारे में एक संतुलन होना चाहिए। हरा चारा जितना जरूरी है, उतना ही दाना भी जरूरी है। जाफराबादी भैंस वजनी होती हैं, इसलिए इनका आहार भी ज्यादा होता है।
चारे में दाना का प्रतिशत लगभग 35 परसेंट के आसपास होना चाहिए। इसके अलावा चना, मूंगफली, अलसी और बिनौले का खल खिलाया जा सकता है। चारगाह में छोड़ देने पर जाफराबादी भैंस खुद चर लेती हैं और वापस घर लौट आती हैं। दाने के रूप में गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का या अन्य अनाज की दलिया दी जा सकती है। दूध बढ़ाने के लिए खल के अलावा चोकर भी खिला सकते हैं। दाना बनाने के लिए अनाज के टुकड़ों के साथ सरसों, मूंगफली या अलसी की खल मिला देनी चाहिए। इसमें एक किलो नमक भी मिला दें। दाने को पानी के साथ गर्म कर दें और दिन में दो बार खिलाएं। इससे दूध की मात्रा और बढ़ जाती है।