ठेंगा दिखाते रहेंगे तो कहां से कम होगा वायु प्रदूषण, बिहार में पटना का भी हाल बुरा

PATNA (KULBHUSHAN) : बिना जन जागरूकता और प्रशासनिक सख्ती से राज्य में वायु प्रदूषण (Air Pollution) की समस्या को दूर करना अब असंभव हो गया है। प्रशासनिक सख्ती की यही हाल रहा तो पटना समेत राज्य के कई शहर रहने लायक नहीं रह जायेगा।

दरअसल, प्रदूषण बोर्ड द्वारा दिवाली के दिन प्रदूषण कम करने के लिए सभी जिलों कार्य करने का अनुरोध किया गया था। इसके बावजूद प्रदूषण कम होने के बजाय दमघोंटू प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है। दिवाली के दिन तो राज्य के कई जिलों की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गयी थी। पटना, हाजीपुर, मोतिहारी, बेगूसराय, भागलपुर, राजगीर समेत कई शहरों की वायु गुणवत्ता 300 के ऊपर यानी खतरनाक स्तर तक पहुंच गयी थी।

वायु प्रदूषण के लिए राज्य की मिट्टी का एल्युवियल प्रकृति का होने के साथ-साथ नमी की कमी, बादल के बनने और बारिश नहीं होने के साथ-साथ डीजल, पेट्रोल चलित वाहन, कोयला के जलावन हेतु उपयोग और दिवाली के दिन और रात बड़े पैमाने पर पटाखा चलाना बड़ा कारण है। प्रदूषण बोर्ड की सख्ती के बावजूद जहां पटाखे की बिक्री और उपयोग की मनाही थी, वहां व्यापक पैमाने पर पटाखे का उपयोग किया गया। इससे पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया। पटना की वायु गुणवत्ता विश्व के प्रदूषित एक सौ शहरों में शामिल हो गया।

आश्चर्य है कि इतने बड़े पैमाने पर पटाखे की खरीद-बिक्री और उपयोग हुए, पर कार्रवाई के नाम पर खानापूरी की भी सूचना नहीं है। ऐसे में वायु प्रदूषण पर रोक की उम्मीद नहीं की जा सकती है। राज्य में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड द्वारा दिवाली के मौके पर पटना, हाजीपुर, मुजप्फरपुर और गया नगर निगम क्षेत्र में किसी भी प्रकार के पटाखे की बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के हवाले से जारी निर्देश में कहा गया कि पटना गया, हाजीपुर, और मुजप्फरपुर के अलावा अन्य जिला मुख्यालयों में भी सिर्फ ग्रीन श्रेणी के पटाखे का ही उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बोर्ड के इस आदेश को लोग ठेंगा दिखा रहे हैं।

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