PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। कुछ दूसरी बार भी जीते हैं। उनमें से कुछ विधायकों से बात की है बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है सातवीं कड़ी :
औरंगाबाद जिले के कुटुंबा से कांग्रेस के विधायक हैं राजेश कुमार। दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। सत्तारूढ़ के सचेतक भी हैं। सत्रहवीं विधान सभा का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि शुरू के 20 महीने हम मजबूत विपक्ष की भूमिका का निर्वाह कर रहे थे और अब सशक्त सत्ता पक्ष की भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विधान सभा के वेल में पुलिस बल का इस्तेमाल सत्रहवीं विधान सभा का सबसे दुर्भाग्यूर्ण पक्ष है। इससे लोकतंत्र की मर्यादा कलंकित हुई थी और विधायकों की गरिमा आहत हुई थी।
उन्होंने कहा कि सदन के अंदर हर सदस्य की दलीय मर्यादा होती है और वह दल की नीतियों से बंधा होता है, लेकिन सदन के बाहर सभी पक्ष के सदस्य किसी सदस्य के अच्छे भाषण की सराहना करते हैं, किसी मुद्दे की गंभीरता के आधार पर उसकी तारीफ भी करते हैं। यह एक बहुत ही सकारात्मक पक्ष है और लोकतंत्र की जरूरत भी यही है।
राजेश कुमार ने पूर्व स्पीकर विजय सिन्हा के सदन संचालन की शैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने विपक्ष को अहमियत नहीं दी थी और जब वे खुद नेता प्रतिपक्ष हो गये हैं तो कह रहे हैं कि विपक्ष मजबूत होगा तो सत्ता पक्ष स्वस्थ रहेगा। उन्होंने कहा कि सदन में उनके उठाये गये कई सवालों को सरकार ने गंभीरता से लिया और उस पर काईवाई भी हुई। उन्होंने उम्मीद जतायी कि महागठबंधन सरकार में विकास कार्यों को और तेजी से अंजाम दिया जायेगा।