PATNA (APP) : TV पर बहुत पहले एक सीरियल आता था CID… उसमें पुलिस अफसर प्रद्युमन का दया को लेकर कई हिट डायलॉग आए थे। लेकिन, बिहार के पूर्णिया में कल मंगलवार को जो कुछ हुआ, उससे पूरा पुलिस महकमा शर्मसार है। पूर्णिया एसपी दयाशंकर के 7 ठिकानों पर SVU और EOU की ताबड़तोड़ छापेमारी हुई और इसमें करोड़ों की संपत्ति का तो पता चला ही, ऐसे नेटवर्क की भी जानकारी मिली, जो पुलिस महकमे को कलंकित कर गया। घुसखोरी के इस नेटवर्क में एसपी के रीडर से लेकर थानेदार तक शामिल था।
दरअसल, बिहार में भ्रष्टाचार की जड़ अब खादी वर्दी से होते हुए खाकी वर्दी तक फैल गयी है। इसकी लत सिपाही, जमादार, दारोगा, थानेदार से होते हुए अब पुलिस कप्तान के कॉलर तक पहुंचने लगी है। पुलिस महकमे के ऊंचे कॉलर वाले अधिकारी भी अब इसकी जद में आ गये हैं। कल तक दूसरों को पकड़ने के आदेश देने वाले अब खुद शिकंजे में आ रहे हैं। कल तक अपने जूनियर पर रौब दिखाने वाले अधिकारी अब उनके सामने शर्मिंदगी के बोझ से दबे जा रहे हैं। यह तो भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है कि जिससे लोग इंसाफ की गुहार लगाते थे, आज वही अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे हैं। यह तो हद हो गयी है।
पुलिस महकमे में कल उस समय सनसनी मच गयी, जब सुबह से ही पूर्णिया के एसपी दयाशंकर के कई ठिकानों पर जांच एजेंसियों की ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू हो गयी। यह छापेमारी पूर्णिया से लेकर पटना तक के ठिकानों पर की गई। बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट यानी एसवीयू और आर्थिक अपराध इकाई यानी इओयू की टीमों ने एसपी दयाशंकर के आठ ठिकानों को एक साथ खंगाला। रेड किए गए ठिकानों में पूर्णिया स्थित एसपी का सरकारी आवास और पटना स्थित उनका घर भी शामिल है।
पूर्णिया एसपी दयाशंकर के ठिकानों के अलावा उनके दफ्तर में तैनात 6 से ज्यादा थानाध्यक्षों व पुलिसकर्मियों के ठिकानों पर भी स्पेशल विजिलेंस की टीमों ने छापा मारा। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस छापेमारी में दो दर्जन से अधिक विजिलेंस के अधिकारी शामिल रहे। छापमारी में भारी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया गया था। पूर्णिया सदर थाने में तैनात थानेदार संजय सिंह, एसपी के रीडर नीरज कुमार सिंह, करीबी पुलिसकर्मी सावन कुमार, श्रीनगर थानाध्यक्ष कुंदन कुमार के आवास और थाने पर एक साथ छापेमारी की गई।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, एसपी दयाशंकर के अलावा अन्य पुलिसकर्मियों पर अवैध तरीके से रुपयों की उगाही करने के साथ ही अवैध तरीके से संपत्ति बनाने का भी आरोप है। SVU को जांच में जो सबूत मिले हैं, उसके आधार पर SP के खिलाफ पटना में 71 लाख 41 हजार 666 रुपए की आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया है। निगरानी कोर्ट से सर्च वारंट मिलने के बाद 10 अक्टूबर की सुबह जांच एजेंसियों ने छापेमारी शुरू की। कहा जाता है कि एसपी के आवास पर नोट गिनने वाली मशीन भी मंगाई गयी थी।
दरअसल, बिहार में लंबे समय के बाद किसी आईपीएस के ठिकाने पर रेड हुई। एसवीयू के इस कार्रवाई के बाद भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारियों में हलचल मच गयी। एसपी पर आय से 65% अधिक संपत्ति रखने का आरोप है। उन्होंने अपनी बेनामी संपत्ति रियल इस्टेट में लगायी है। इसे लेकर जांच एजेंसी बिल्डर संजीव कुमार के पटना स्थित ठिकाने को भी खंगाला है। लेकिन, सबसे बड़ी बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लाख चेतावनी के बाद भी अधिकारी घूस लेने और अवैध ढंग से संपत्ति बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त एसपी दयाशंकर कोई पहला पुलिस कप्तान नहीं है। इसके पहले भी कई एसपी के ठिकानों पर रेड हुई है। वहीं शिकायत मिलने के बाद कुछ सीनियर अधिकारी टारगेट में हैं।
थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं तो भी बहुत पीछे जाने की जरूरत नहीं है। सब दो-तीन साल के अंदर का मामला है। मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार, औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार पोरिका, भोजपुर के तत्कालीन एसपी राकेश दुबे और अब पूर्णिया के एसपी दयाशंकर…। इनके अलावा गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार और गया के ही तत्कालीन आइजी अमित लोढ़ा के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर विभागीय कार्रवाई का अलग ही मामला है। उन दोनों के खिलाफ बिहार सरकार की ओर से कार्रवाई की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे इन अधिकारियों में किसी पर अवैध बालू खनन से जुड़ा मामला है तो किसी पर शराबबंदी कानून में ढील बरतने का आरोप है। और किसी पर अवैध संपत्ति बनाने और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला चल रहा है।
जिलों में तैनाती के दौरान इन पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। इनमें से विवेक कुमार, सुधीर कुमार पोरिका और राकेश दुबे के ठिकानों पर पूर्णिया एसपी दयाशंकर की तरह ही जांच एजेंसी की टीमों ने छापेमारी की थी। पहले बात करते हैं मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार की। विवेक कुमार पर शराब माफियाओं से सांठगांठ के आरोप में उनके ठिकानों पर 2018 में छापेमारी हुई थी। तब उनके सरकारी आवास से कथिततौर पर अवैध एके 47 राइफल के भी मिलने की बात सामने आयी थी। 2007 बैच के आइपीएस अधिकारी विवेक कुमार जब मुजफ्फरपुर के एसएसपी थे, तब उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में एसवीयू की टीम ने 17 अप्रैल 2018 को छापेमारी की थी। जांच में उनकी वास्तविक आय से 300% से ज्यादा की संपत्ति का पता चला था। जांच एजेंसिया की इस कार्रवाई के बाद विवेक कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था।
इसी तरह, औरंगाबाद के एसपी रहे सुधीर कुमार पोरिका के ठिकानों पर भी जबर्दस्त ढंग से छापेमारी की गई थी। यह छापेमारी अवैध बालू खनन मामले में की गई थी। उन पर आरोप लगा कि अवैध बालू खनन रोकने के मामले में वे अपने जूनियर पदाधिकारियों पर कंट्रोल नहीं कर पाए। सुधीर कुमार पोरिका पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर उन पर 24 अगस्त 2021 को विभागीय कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया था। साथ ही उन्हें निलंबित कर दिया गया था… यह छापेमारी 27 जुलाई 2021 को की गई थी और उसी दिन उन्हें निलंबित कर दिया गया था। जिस दिन सुधीर कुमार पोरिका के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, उसी दिन राकेश दुबे के ठिकानों पर भी रेड की गई थी।
आर्थिक अपराध ईकाई के एडीजीपी नय्यर हसनैन खान के अनुसार, एसवीयू की अलग-अलग टीमें दयाशंकर के सात ठिकानों पर छापेमारी की है। स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीमों ने पूर्णिया और पटना स्थित दयाशंकर के सरकारी और निजी आवास पर रेड डाली। दयाशंकर के खिलाफ भी अपने पद का दुरुपयोग करके लाखों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने की शिकायत मिली थी। जांच में आय से अधिक संपत्ति का मामला उजागर हुआ है। दयाशंकर 2016 बैच के आइपीएस अफसर हैं।
भ्रष्ट खाकी वर्दी वालों की लिस्ट यही नहीं थमती है। गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार को तो आप जान ही रहे हैं। इसी साल उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किया गया था। इनका भी मामला शराबबंदी कानून से ही जुड़ा हुआ है। दरअसल, शराब के मामले में कार्रवाई नहीं करने को लेकर गया के फतेहपुर थाना में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी साल, मार्च महीने में उत्पाद अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ था। पिछले जुलाई माह में स्पेशल एक्साइज कोर्ट ने इनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इन पर गया के एसएसपी रहते इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान शराब मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की थी। मामला सामने आने के बाद पुलिस महकमे की काफी किरकिरी हुई थी। इसके बाद डीजीपी द्वारा इसकी जांच शुरू कराई गई। जांच कराने के बाद आरोप को सही पाया गया, जिसके बाद गया के निवर्तमान एसएसपी आदित्य कुमार समेत फतेहपुर थानेदार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। और इसी मामले में गया के तत्कालीन आइजी अमित लोढ़ा को भी गया से हटाते हुए मुख्यालय में अटैच कर लिया गया था। अमित लोढ़ा पर एक फिल्म कंपनी में पैसा लगाने का भी आरोप है, जिसकी पड़ताल ईओयू की टीम कर रही है।
बहरहाल, आपको याद होगा पिछले साल एक सिपाही करोड़पति निकला था। इसका खुलासा तब हुआ था, जब ईओयू की टीम ने उसके नौ ठिकानों पर छापेमारी की थी। उस सिपाही की पहचान नरेंद्र कुमार धीरज के रूप में हुई थी। तब आर्थिक अनुसंधान इकाई की टीम ने छापेमारी में बिहार पुलिस के इस सिपाही के पास से करोड़ों की संपत्ति होने का खुलासा किया था। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि पूर्णिया एसपी दयाशंकर आखिरी भ्रष्ट पुलिस अधिकारी होंगे या ऐसे अफसरों की लिस्ट आगे भी जारी रहेगी।