PATNA (MR) : पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक सह पीएमडीआरएफ के निदेशक प्रो फिरोज मंसूरी ने वक्फ अमेंडमेंट बिल 2024 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति भारत के गरीब, वंचित, शोषित पसमांदा मुस्लिमों की संपत्ति है। यह वह दान है, जिसके हकदार केवल गरीब, मुफलिस, यतीम लाचार, विधवा, वृद्ध गरीब मुस्लिम हैं।
उन्होंने कहा कि वक्फ की जितनी भी और जहां भी जमीन और प्रोपर्टी है, उनका वास्तविक रैयत वंचित मुस्लिम होनी चाहिए, ना कि भारत के कुछ खास परिवार। वाकिफ ने अपनी प्रोपर्टी अल्लाह के नाम उनके बंदे के हक में किया था, मगर कुछ खास मजहबी खानदान अपने निजी हित में वक्फ/दान की जायदाद का प्रयोग वर्षों से करते रहे हैं। कहीं भी वास्तविक हकदार को लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि वक्फ बोर्ड गठन में अविलंब 65% आरक्षण लागू किया जाये।
प्रो मंसूरी ने कहा कि चूंकि वक्फ की प्रोपर्टी गरीब पसमांदा मुस्लिम की है, इसलिए जस्टिस सच्चर कमिटी की सिफारिश के आधार पर वक्फ संपत्ति का समान बंटवारा हो। ज्ञात रहे जस्टिस सच्चर ने अपनी रिपोर्ट में मुस्लिम समाज को तीन श्रेणियों में बांटा था। उन्होंने कहा कि देश के गरीब मुस्लिम वक्फ संपत्ति को लेकर धार्मिक कट्टरपंथियों के किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। इनको भारत की एकता अखंडता व शांति से सदैव चिढ़ है। सच्चाई तो यह है कि वक्फ संपत्ति पर नाजायज कब्जा इन्हीं लोगों के इशारे पर हुआ है। उन्होंने कहा कि अपने हाथ से अरबों की संपत्ति निकल कर भारत के गरीब मुस्लिम के बीच जाने की अशंका मात्र से ये लोग भयभीत होकर मासूम पसमांदा गरीब मुस्लिम को बरगलाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं । यही वजह है कि कभी गांधी मैदान में बुलाते हैं तो कभी बापू सभागार में। वे हर मुद्दे को मजहब से जोड़ कर केवल अपना उल्लू सीधा करते हैं। ऐसे लोगों को किसी गरीब, मुफलिस मुसलमान से कोई मतलब नहीं है। वे हमेशा तत्कालीन हुकूमत से सौदा करते हैं।
प्रो फिरोज मंसूरी ने कहा कि वक्फ बिल को लेकर हमें ठंडे दिमाग से सोचने-समझने की आवश्यकता है। वक्फ की संपत्ति गरीब मुस्लिमों की है, यह बात सभी जानते हैं। इसके बाद भी उन्हें आज तक वक्फ का लाभ नहीं मिला, आखिर क्यों। आज तक अरबों-खरबों की संपत्ति से एक भी विश्वस्तरीय अस्पताल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, मदरसे, समुदायिक भवन, इस्लामिक रिसर्च सेंटर, औद्योगिक केंद्र, स्कील सेंटर, नारी उत्थान रोजगार केंद्र आदि क्यों नहीं खोले गए, उन्हें किसने रोका है। इसका जबाब तो उन्हें देना होगा। उन्होंने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि देश की लाखों एकड़ जमीन पर केवल कुछ परिवार का कब्जा है। कहीं भी इसके वास्तविक मालिक भारत का गरीब मुस्लिम नहीं है। बोर्ड के मतवल्ली संरक्षक पद पर केवल उच्च, अशराफ, अमीर तबका कुंडली मार कर बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि जेपीसी वक्फ बिल 2024 के माननीय सदस्यों के सामने कुछ आवश्यक सुझाव व आग्रह के साथ रख रहा हूं। 85% बहुसंख्यक गरीब पसमांदा मुस्लिमों के हित को देखते हुए बोर्ड तथा वक्फ संपत्ति में 100% आरक्षण रोस्टर का पालन कराया जाये। किसी भी बाहरी मजहब के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाये। वक्फ का वास्तविक मालिक केवल भारत के मूल निवासी जो धर्मान्तरित होकर इस्लाम कबूल किये हैं वही हो, इसका विशेष प्रावधान किया जाये। वक्फ संरक्षक व सदस्यों में पिछड़ा, अतिपिछड़ा महिला व दिव्यांग फ्रीडम फाइटर को प्राथमिकता दी जाये। पसमांदा मुस्लिम को उनके आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी दी जाये। उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी सरकार हो, अगर वह बहुसंख्यक पसमांदा मुस्लिमों के हित में बिल लायेगी, उसका स्वागत दिल खोल कर किया जायेगा।