PATNA (MUKHIYAJEE DESK) : बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल काफी तेज है। क्षेत्रों में नेताओं का दौरा शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहार में कई योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास कर यहां के सियासी तापमान को बढ़ा दिया है। कांग्रेस के वरीय नेता राहुल गांधी का भी चुनावी दौरा बिहार में चल रहा है। मतलब बिहार का राजनीतिक माहौल चरम पर है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ताकत झोंकी हुई है। कुछ लोगों को भले यह मुगालता हो कि नीतीश कुमार एक्टिव नहीं हैं। ये विपक्षी खेमे के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकता है।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह योजनाओं की धड़ाधड़ झड़ी लगा दी है और जनप्रतिनिधियों से लेकर आमलोगों की मांगें पूरी कर रहे हैं, उससे विरोधियों की बोलती बंद हो गयी है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि वो चुपचाप ऐसे काम कर रहे हैं, जो आने वाले विधानसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित होगा। बताते चलें कि कि सीएम नीतीश कुमार की चर्चा उन राजनेताओं में होती है, जो चुपचाप बाजी पलटने का हुनर रखते हैं। इनका कोई भी कदम बेवजह नहीं होता है। हर कदम के मायने होते हैं। आपको याद होगा, जब ये पहली बार महागठबंधन में थे तो एक कार्यक्रम में ‘कमल’ की तस्वीर में ‘रंग’ भर दिये थे और एनडीए में रहते हुए भी ये बीमार पड़े राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को देखने अस्पताल पहुंच गए थे। बाद में दोनों संकेत के ‘मायने’ सबके सामने आ गए।

सियासी पंडितों की मानें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव के पहले ही लोगों की मांगों को पूरी कर बिहार की राजनीति में ‘सियासी भूचाल’ ला दिया है। इसी में 125 यूनिट मुफ्त बिजली भी है। उन्होंने राज्य के 1 करोड़ 86 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को इस महंगाई के जमाने में बहुत बड़ी राहत दी है। उनका मासिक बिल अब पूरी तरह माफ हो गया है। इस योजना से बिहार के उन तमाम घरों को लाभ मिलने लगा है, जिसके यहां बिजली पहुंच गयी है। राजनीतिक रूप से देखें तो ग्रामीण और निम्न-मध्यम वर्ग के वोटरों में इसकी सबसे ज्यादा चर्चा है। सर्वे में भी 63 परसेंट लोगों ने माना कि यह योजना सत्ता की राह आसान बनाएगी।
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बीते दो महीनों के दौरान सीएम नीतीश ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर बड़ी घोषणाएं की हैं। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये की। इस घोषणा से सीधे तौर पर 1 करोड़ 12 लाख लोग लाभान्वित हुए। इन लाभार्थियों में बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगजन शामिल हैं। यानी वह वर्ग जो चुनाव में वोट डालने में सबसे ज्यादा सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाता है। उसके लिए यह घोषणा राजनीति रूप से अहम माना जा रहा है। सरकारी डेटा के अनुसार, नीतीश कुमार अब तक 10 लाख सरकारी नौकरियां और 39 लाख रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं। चुनावी माहौल को देखते हुए उन्होंने इस लक्ष्य को बढ़ा कर इसी साल 12 लाख नौकरी और 50 लाख रोजगार का तय कर दिया। जिस पर काम जारी है।

इतना ही नहीं, सीएम नीतीश ने चुनावी दांव खेलते हुए अगले पांच में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का वादा भी कर डाला। नीतीश के इस दांव को काफी अहम माना जा रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि सीएम नीतीश के इस मास्टर स्ट्रोक की चर्चा राजनीतिक गलियारे में भी है। इस वादे ने युवा वोट बैंक और उनके परिवारों को भी अपने साध लिया है। सियासी पंडितों का मानना है कि लंबे समय से नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं और उनके परिवार को नीतीश कुमार के विकास कार्यों और औद्योगिक क्षेत्र के विकास के ऐलान से उम्मीद जगी है। हाल में हुए सी-वोटर सर्वे में भी सीएम नीतीश बढ़त बनाए हुए हैं। इस सर्वे में बिहार की 65 परसेंट जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पसंद बताया है।

बहरहाल, नीतीश कुमार ने मुफ्त बिजली देकर ग्रामीण और गरीब वर्ग को साधने की कोशिश की। पेंशन में बढ़ोतरी से बुजुर्ग, महिलाओं और दिव्यांगों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया, नौकरी और रोजगार के वादे से युवाओं को, मानदेय और पेंशन बढ़ोतरी से सरकारी कर्मी ओर समाजसेवी वर्ग प्रभावित करने वाला दांव खेला है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किए गए ये फैसले सीएम नीतीश कुमार के लिए किसी मास्टर स्ट्रोक से कम नहीं है। इसमें केंद्र की डबल इंजन सरकार का भी पूरा लाभ मिल रहा है।