PATNA (RAJESH THAKUR)। महागठबंधन के जवाब में भाजपा (BJP) ने भी 18 जुलाई को ही आनन-फानन में एनडीए (NDA)की बैठक बुला ली। नहला पर दहला मारते हुए 26 दलों के जवाब में 38 दलों को जुटा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी मौजूद रहे। बिहार से हम पार्टी के मुखिया जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) के अलावा लोजपा (LJP) के दोनों गुट LJPR और RLJP शामिल हुए थे। पार्टी में हुई टूट के बाद पहली बार चिराग पासवान (Chirag Paswan) अपने चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) से मिले।

चिराग पासवान बैठक में न केवल चाचा के पैर छुए बल्कि गले भी मिले। चाचा ने भी अपने भतीजे को बांहों में भर लिया। तब कहां किसी को पता था कि यह मिलन सियासी है। इस चाचा-भतीजे के मिलन को भाजपा वाले भी भुनाने में जुट गए थे। लेकिन, एक सप्ताह भी नहीं हुआ कि पारस के पटना पहुंचते ही यह सियासी रिश्ता ब्लास्ट कर गया। रिश्ते पटल पर आ गए। उन्होंने साफ कह दिया कि चिराग को हमने गले क्या लगा लिया देश को गलतफहमी हो गयी। पैर छूने को लेकर लोग गलतफहमी में नहीं रहें।

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह अगला लोकसभा चुनाव हाजीपुर से ही लड़ेंगे। उन्होंने चिराग पासवान के हाजीपुर से चुनाव लड़ने के दावे को खारिज कर दिया। बता दें कि हाल ही में चिराग पासवान ने कहा था कि वह अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। हाजीपुर मेरी मां जैसा है। लेकिन, पारस ने एक बार फिर दोहराया कि जब तक वे जिंदा हैं, इस सीट को नहीं छोड़ने वाले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं एनडीए का हिस्सा हूं और इसमें कोई संदेह नहीं है। चिराग भले ही दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल हुए हों, लेकिन उन्हें संसद के अंदर हुई गठबंधन के सांसदों की बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि मैं चिराग के साथ मतभेद को लेकर जारी अटकलों को खारिज करता हूं, जो दिल्ली में चिराग के मेरे पैर छूने और मेरे उन्हें आशीर्वाद देने की तस्वीरों के बाद पैदा हुई है। यह बिहार और मिथिला क्षेत्र की संस्कृति का एक हिस्सा है, जहां से हम संबंध रखते हैं।

हालांकि, पशुपति कुमार पारस के बयान देने के एक दिन बाद ही चिराग भी पटना पहुंचे। फिर क्या, उन्हें मीडिया ने घेर लिया। चाचा पारस के बयान को लेकर उनके आगे सवालों की झड़ी लगा दी। इन सवालों पर उन्होंने इतना ही कहा कि चाचा को गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए। उन्होंने चाचा को कई नसीहतें भी दी। इतना ही नहीं, उन्होंने फिर से दुहाराया कि वे हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि हाल में ही चिराग ने कहा था कि हाजीपुर मेरी मां के समान है और यह धरती हमारे पिता की कर्मभूमि रही है। गौरतलब है कि चिराग के पिता रामविलास पासवान हाजीपुर से आठ बार सांसद बने थे, जबकि वर्तमान सांसद पशुपति पारस हैं।
बहरहाल, चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच चल रही खींचतान को लेकर सबसे अधिक टेंशन बीजेपी को ही है। कहा जाता है कि इसी वजह से केंद्रीय मंत्रिमंडल का अब तक विस्तार नहीं हुआ है। अंदरखाने की मानें तो चिराग पासवान की शर्त थी कि चाचा के रहते वे एनडीए में नहीं जाएंगे। और अब यह भी कहा जा रहा कि इसी शर्त पर चिराग दिल्ली की बैठक में शामिल हुए थे। 18 जुलाई को हुई बैठक के पहले मैसेंजर के तौर पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने चिराग से दो बार मुलाकात की थी। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इसे कैसे हैंडल करती है?