Bihar NDA का सीट बंटवारा : BJP-JDU में छोटा-बड़ा का भेद ‘खत्तम’, मांझी-कुशवाहा भी हुए ‘बराबर’; चिराग की बल्ले-बल्ले

Rajesh Thakur l Patna : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर आखिर NDA ने बाजी मार ली। महागठबंधन अभी किंतु-परंतु में ही उलझा हुआ है और इसने चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को मनाते हुए सीट शेयरिंग कर ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब खुद कमान संभाली तो जदयू भी ‘चांय-चुपुड़’ नहीं कर सका। भाजपा और जदयू की दोस्ती के इतिहास में पहली बार दोनों की सीटें बराबर हो गयी। बड़ा भाई और छोटा भाई का भेद ही समाप्त हो गया। वे दोनों ‘बराबर’ हो गये। NDA के दोनों बड़े घटक दल फिलहाल सदा के लिए ‘दोस्त’ बन गये। इतना ही नहीं, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पैंतरेबाजी भी नहीं चली। हां, चिराग पासवान कुछ हद तक इसमें कामयाब रहे।

सियासी पैंतरेबाजी और मुखियाजी : दरअसल, वेब पोर्टल मुखियाजी डॉट कॉम और मुखियाजी ईपेपर (mukhiyajee.com) ने पहले ही छोटे दलों की ‘सियासी पैंतरेबाजी’ पर प्रमुखता से स्टोरी प्रकाशित की थी। इसमें बताया गया था कि NDA और महागठबंधन में न केवल छोटे दल बल्कि बड़े दल भी सीटों की डिमांड को लेकर खूब पैंतरेबाजी कर रहे हैं। NDA में मांझी, कुशवाहा तो महागठबंधन में मुकेश सहनी सहित तीनों वामदल ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का फंडा अपनाये हुए हैं। यहां तक कि इसमें कांग्रेस भी बराबर के साझेदार हैं। इसके अलावा AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी भी इसके लिए राजद सुप्रीमो लालू यादव पर प्रेशर दे रहे थे। यह अलग बात है कि ओवैसी को इसमें सफलता हाथ नहीं लगी और वे अब खुद अकेले 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है।

दिल्ली में हुई बैठक : यहां हम बात कर रहे हैं NDA की। कई दौर के बाद 12 अक्टूबर को दिल्ली में NDA की अहम बैठक हुई। इस बैठक की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने हाथों में ली। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल सहित अन्य शामिल हुए। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में हुई इस बैठक में सीटों का बंटवारा कर दिया गया। इसके तहत भाजपा और जदयू को 101-101 तो हम और रालोमो को 6-6 सीटें मिलीं। वहीं, लोजपा (आर) को 29 सीटें दी गयीं। सियासी सूत्रों की मानें तो NDA घटक दलों के बीच यह सहमति इतनी आसान नहीं थी। चिराग पासवान पहले रूठ गये थे, उनका कहना था कि लोजपा (रामविलास) को अपेक्षित सम्मान नहीं मिल रहा। जब चिराग मान गये तो रूठने की बारी जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की आयी। लेकिन प्रधानमंत्री ने फिर संदेश दिया कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।

सभी दल खुश, लेकिन… हालांकि, भले ही कहा जा रहा हो कि इस सीट शेयरिंग को लेकर माहौल सौहार्दपूर्ण है और सभी दल खुश हैं, लेकिन ऐसी बात नहीं है। सीट बंटवारे के बाद जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा का बयान आया। मांझी ने कहा कि उम्मीद से काफी कम सीटें दी गयी हैं। इसका प्रतिकूल असर चुनाव में NDA पर पड़ सकता है। दूसरी ओर, उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी त्वरित टिप्पणी में कहा है कि रालोमो को भी काफी कम सीटें मिली हैं। हमारी इस पीड़ा को पार्टी के नेता और कार्यकर्त्ता समझेंगे। बहरहाल, जदयू और भाजपा के बीच विधानसभा चुनावों में 2005 से 2020 तक के टिकट वितरण के आंकड़े को देखा जाए तो इसके पहले हर चुनाव में जदयू बड़े भाई के रोल में रहा है। 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू ने 138 सीटों पर लड़ा था, वहीं भाजपा को 102 सीटें दी गयी थीं। 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 141 और भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा। 2020 के चुनाव में सीट बंटवारे में जदयू को 115 सीटें और भाजपा को 110 सीटें मिली थीं। यह पहली बार है जब दोनों दल बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2025 का यह सीट बंटवारा इस बात का प्रतीक है कि नीतीश अब बड़े भाई नहीं रहे और भाजपा अब गठबंधन की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी है।