
PATNA (MR) : बिहार विधानमंडल का बजट सत्र का आज तीसरा दिन था। उम्मीद के अनुसार आज का सत्र काफी हंगामेदार रहा। खासकर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच जमकर सियासी बहस हुई और मामला ‘पिताजी’ और ‘बाप’ पर पहुंच गया। बिहार की राजनीति पर अपनी पैनी पकड़ रखने वाले वरीय पत्रकार अशोक कुमार मिश्रा ने लिखा है कि सदन में नेताजी ‘फरियाने’ के मूड में दिखे। उनका यह आलेख उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिया गया है और इसमें उनके निजी विचार हैं।
चुनावी वर्ष में बिहार विधान मंडल के बजट सत्र की शुरुआत से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि यह सत्र सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति वाली है यानी सदन के अंदर और सदन के बाहर दोनों पक्ष एक-दूसरे से फरियाने के मूड में थे, ताकि चुनाव में जनता के बीच जाने से पहले पूरी तरह से रिहर्सल हो जाए और आज यही हुआ भी। मौका राज्यपाल के अभिभाषण पर विपक्षी दल के नेता तेजस्वी यादव का सरकार को घेरने या कटघरे में करने का अवसर था तो सरकार के मुखिया नीतीश को इसका जवाब देने का सुनहरा मौका। यही वजह रही कि जब आज सदन में तेजस्वी पूरी तैयारी कर के आए थे। भोजनावकाश के बाद जब विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने तेजस्वी को बोलने के लिए कहा तो सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या काफी कम थी। साथ ही सीएम और दोनों डिप्टी सीएम भी सदन से नदारद थे। वैसी स्थिति में तेजस्वी ने शुरुआत ही सत्ता पक्ष पर हमले के साथ की और सरकार का जम कर मजाक उड़ाया। फिर कुछ देर में सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा जब आए तो व्यक्तिगत कटाक्ष भी किया। इतना तक तो ठीक था, लेकिन जब तेजस्वी ने सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी का नाम लेकर सीएम नीतीश के बारे में पूर्व में दिए गए उनके बयान का उदाहरण दिया और दावा किया कि सम्राट के राजनीतिक जीवन का असली घर राजद है और वे नकली बीजेपी है। इस पर सम्राट आगबबूला हुए और फिर जमकर दोनों के बीच नोकझोंक और शब्दों के ऐसे तीर चले, जिसने मर्यादा को तार-तार कर दिया।

तेजस्वी यादव ने विजय सिन्हा की भी जमकर किरकिरी की। खासकर अटल बिहारी वाजपेयी के बयान और वापस को आपस बोलकर। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने शांत करने की कोशिश की, लेकिन सदन में पूरी तरह से एक-दूसरे को देख लेने की धमकी भी दी गयी, खासकर तेजस्वी के बड़े भाई तेजप्रताप के द्वारा।
तेजस्वी की तैयारी आज 2005 के पहले बिहार को लेकर थी। नीतीश कुमार के उस बयान को लेकर, जिसमें सीएम बार-बार यह कहते हैं कि 2005 के पहले कुछ था जी। तेजस्वी यही साबित करने के लिए आए थे कि 2005 यानी नीतीश राज के पहले बिहार की स्थिति 2025 यानी नीतीश राज के 20 वर्षों के शासन काल से ज्यादा बेहतर थी। आंकड़ों के साथ उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि लालू-राबड़ी राज में बिहार के गरीबों को आवाज ही नहीं मिली, उनकी सूरत बदलने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में बेहतर काम किए गए। बिहार की प्रगति में बाधक तत्कालीन केंद्र सरकार थी। साथ ही तेजस्वी ने नीतीश सरकार को खटारा सरकार बताते हुए 2025 में बिहार को देश ही नहीं, विश्व के सबसे पिछड़ा राज्य बताया। साथ ही तेजस्वी ने दावा किया कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो 5 वषों में बिहार को विकसित बिहार बनाएंगे।

तेजस्वी के बाद अब बारी नीतीश की थी। उन्होंने फिर दावा किया कि 2005 के पहले लोग शाम होते ही घर से बाहर नहीं निकलते थे। नीतीश ने राजद के ‘माय समीकरण’ पर सीधा हमला बोला और दावा किया कि दंगा फैलाने में इन्हीं लोगों का हाथ था, जबकि उन्होंने इसे रोकने में सफलता पायी। नीतीश कुमार ने अपनी उपलब्धियों में कब्रिस्तान की घेराबंदी, शिक्षा, स्वास्थ्य बिजली आदि क्षेत्रों में किए गए कार्यों की चर्चा की। नीतीश कुमार के दावे पर तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर भड़के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि तुम्हारे बाप को सीएम हमने बनाया और यादव जाति के लोग ही लालू का विरोध करते थे। बिहार में शिक्षकों की बहाली को भी नीतीश ने अपनी उपलब्धि बतायी और तेजस्वी को निकम्मा बताया। साथ ही दावा किया कि सरकार में काम नहीं करने और गड़बड़ करने के चलते उन्होंने राजद को दो-दो बार सरकार से बाहर किया और अब कभी राजद के साथ नहीं जाएंगे।


नीतीश के इस बयान के बाद राजद समेत सभी विपक्षी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया और विपक्ष की अनुपस्थिति में ही नीतीश ने अपनी बात पूरी की। एक लंबे अरसे के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शब्दों के तीर चले और सरकार के मुखिया, उपमुखिया और विपक्ष आमने-सामने थे। सदन में आज चारा घोटाला और वंशवाद पर भी जमकर घमासान हुआ और तेजस्वी के निशाने पर सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, विजय चौधरी के साथ ही नीतीश मिश्रा भी रहे। लेकिन अंत में यही कहा जा सकता है कि 2005 बनाम 2005 के बहाने विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। नीतीश कुमार भी शायद यही चाहते हैं। बहरहाल, नीतीश कुमार की बिसात पर तेजस्वी यादव भी अब पूरी तरह मात देने की कोशिश में दिखने लगे हैं, लेकिन यह तो अभी झांकी है, पूरी फिल्म बाकी है।
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