‛बिहार संग्रहालय किलकारी के बच्चों की नजर से’ पुस्तक में क्या नहीं है, सामा-चकेवा से परिधान तक

PATNA (MR) : पटना में किलकारी बाल भवन के बच्चों की लिखी कहानी और आलेख की पुस्तक ‛बिहार संग्रहालय बच्चों की नजर में’ का लोकार्पण गुरुवार 5 अक्टूबर को किया गया। बिहार संग्रहालय में आयोजित समारोह में इसका लोकार्पण संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह, किलकारी की निदेशक ज्योति परिहार, संग्रहालय के एडिशनल डायरेक्टर अशोक कुमार सिन्हा, कला समीक्षक अनीश अंकुर ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में  किलकारी के बच्चे सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

इस मौके पर युवा रचनाकारों से उनकी रचना पर जयप्रकाश और अनीश अंकुर ने बातचीत भी की। संग्रहालय के निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ें, क्योंकि बच्चे ही भविष्य हैं। बच्चों को आगे करने की जरूरत है। बच्चों को नये रचनात्मक काम के लिए उत्साहित करना चाहिए। किलकारी की शुरुआत भी इसी सोच के तहत की गई कि बच्चे अपने मन का काम कर सके।

दरअसल, किलकारी के युवा लेखकों की दस रचनाएं इस संग्रह में शामिल है। बहुत दिलचस्प तरीके से युवा लेखकों ने इतिहास जैसे कठिन विषय को कथा में ढाला। उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों, परिधान, केश सज्जा, सिक्के, गांव, पर्यावरण को अपनी कथा का हिस्सा बनाया है।

बातचीत में युवा लेखक सुमन ने कहा कि म्यूजियम भ्रमण करते वक्त मुझे सामा-चकेवा की कथा काफी अच्छी लगी, इसलिए मैंने प्रसिद्ध कथा सामा-चकेवा को चुना। आकाश की कहानी में गिरमिटिया के संघर्ष की कथा है। सम्राट समीर ने ऐतिहासिक परिधानों की कथा कही है। इसके अलावा सुप्रिया कुमारी, माउंटेन राज, गणपत हिमांशु, आदित्य राज,विष्णु कुमार, खुशी कुमारी, अक्षत आदर्श ने बहुत ही खूबसूरत ढंग से इतिहास को कथा में पिरोया है।

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