कृषि कानून के खिलाफ बिहार में सड़क पर प्रदर्शन, पीएम नरेंद्र मोदी का विरोधियों ने फूंका पुतला

PATNA (MR) : किसानों का नए बिल के खिलाफ आंदोलन थम नहीं रहा है। वे लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के समर्थन में अन्य संगठन के लोग भी टाइम टू टाइम प्रदर्शन करते रहते हैं। कोरोना काल में भी यह नहीं रुक रहा है। आज बुधवार को भी बिहार में कई संगठनों के लोगों ने नए कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया। पटना, सीवान, मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में संगठन के लोग सड़क पर उतरे। खासकर जाप पार्टी ने राजधानी समेत पूरे प्रदेश में आंदोलन किया, जबकि सीपीआई माले समेत अन्य वामदलों के लोगों ने प्रदर्शन किया और पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका।

कृषि कानून के खिलाफ देश भर में आंदोलन जारी है। पूर्व सांसद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी ने आज पूरे बिहार में काला दिवस मनाया। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और संगठन प्रभारी भाई दिनेश ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कानूनों से पहले मंडियों पर पूंजीपतियों का कब्ज़ा होगा। फिर धीरे-धीरे किसानों से उनकी जमीन छीन ली जाएगी। आज छह माह से किसान सड़क पर बैठे हैं। हमारी पार्टी संयुक्त किसान संघर्ष समिति के हर फैसले के साथ है। जाप के राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचंद सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसान विरोधी सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।

कृषि कानून के खिलाफ मुजफ्फरपुर में भी प्रदर्शन किया गया। ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर ने अपने कार्यालय के समीप केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया. जमकर नारेबाजी की। संगठन के बिहार विंग के सदस्य नरेश कुमार ने बताया कि किसान आंदोलन के आज छह माह पूरे हो गए, मगर यह निकम्मी केंद्र की सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. यह काफी दुखद है। यह सरकार किसान विरोधी है। अगर किसान बिल को वापस नहीं लिया जाता है तो सड़कों पर भी आंदोलन किया जाएगा।

उधर, सीवान में सीपीआई माले ने प्रदर्शन करते हुए काला दिवस मनाया। भाकपा माले ने राष्ट्रव्यापी कायर्क्रम के तहत सिवान में जिला कार्यालय, प्रखंड कार्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक काला बिल्ला लगाकर काला दिवस मनाया। सीपीआई माले के जिला सचिव हंसनाथ राम ने कहा कि किसान आंदोलन के आज छह माह हो गए, लेकिन केंद्र की घमंडी, तानाशाह व फासीवादी मोदी सरकार न किसानों से वार्ता कर रही है और न ही कानून को वापस ले रही है। इस कानून के तहत किसानों को जो शंका थी कि समर्थन मूल्य पर किसानों से अनाज नहीं खरीदा जाएगा, वह सच साबित हो रही है। जिले के अंदर कहीं भी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद नहीं हो रही है। अखबारों में झूठा बयान दिया जा रहा है। इसका उदाहरण आंदर प्रखंड के जैजोर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष के बयान से मिलता है। उन्होंने बताया कि कहीं गेहूं नहीं खरीदा जा रहा है, इसलिए सरकार को इसकी डेडलाइन बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है।

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