ब्रेख्त के बहाने आज की राजनीतिक हालात पर खूब बरसे संस्कृतिकर्मी, कविताओं का भी चला दौर

PATNA (MR) : बर्तोल्त ब्रेख्त आज जिंदा होते तो 126 साल के होते। आज के ही दिन यानी 10 फरवरी 1898 को उनका जर्मनी में जन्म हुआ था। हालांकि, ब्रेख्त के निधन के भी हो गये लगभग 68 वर्ष। 14 अगस्त 1956 को बर्लिन में उनका निधन हुआ था। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें सात समंदर पार भारत के पटना में लोग याद कर रहे हैं। आज रविवार को 126वीं जयंती पर जलेस ने याद किया।

पटना के सूर्या भवन में जनवादी लेखक संघ, पटना और प्रेरणा (जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा) द्वारा आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए संस्कृतिकर्मी हसन इमाम ने कहा कि ब्रेख्त तमाम तरह के निरंकुशतावाद के खिलाफ प्रतिरोध की बात कहते हैं। वे मार्क्सवाद से गहरे जुड़ाव के साथ अपने नाटकों और कविताओं के माध्यम से नाजीवाद की आलोचना करते हुए यह संदेश देते हैं कि नाटकों, कविताओं एवं अन्य कला रूपों में समकालीन राजनीति और समाज की विसंगतियों की आलोचना दर्ज होनी चाहिए।

सेमिनार में मंजुल कुमार दास ने जहां ब्रेख्त के हिंदी में रूपांतरित कविता का पाठ किया। वहीं वामपंथी नेता अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि ब्रेख्त और कार्ल मार्क्स में समानता है। वे दोनों श्रमिक वर्ग के पक्षधर होने की वजह से ही निर्वासित जीवन जिए। जलेस के राज्य सचिव विनिताभ ने ब्रेख्त की कई कविताओं का पाठ किया। मगही कवि पृथ्वी राज पासवान ने कई मगही कविताओं का पाठ कर लोगों को अंधविश्वास से सचेष्ट रहने का संदेश दिया।

एस एफ आई नेता क्रांति ने संबोधित करते हुए कहा कि ब्रेख्त को न केवल याद करें, बल्कि उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें और दूसरों को भी उनकी राह पर चलने के लिए प्रेरित करें। संबोधित करनेवालों में पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार मिश्र, संजीव श्रीवास्तव, राजीव रंजन, सुजीत कुमार आदि भी शामिल रहे। सेमिनार में अमलेंदु मिश्र, पारसनाथ पाल, राजेश ठाकुर आदि भी मौजूद रहे। संचालन जलेस, पटना के सचिव कुलभूषण कर रहे थे, वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रेरणा के अमरेंद्र कुमार ने किया। सभा की अध्यक्षता विजय कुमार सिंह ने की।