तेजस्वी यादव के सामने नहीं चली कांग्रेस की ‘सियासी साजिश’, राहुल गाँधी ने संभाला मोर्चा तो बनी बात

  • कांग्रेस को समय पर ‘सदबुद्धि’ आ गयी, वरना और छिछालेदर हो सकता था
  • ‘डबल पॉलिटिक्स’ में फंसने से ही कृष्णा अल्लावरु से पार्टी नेताओं की बढ़ी नाराजगी
  • राजद के कड़े तेवर के बाद कांग्रेस ने किया ‘सरेंडर’

Rajesh Thakur l Patna : आखिर राजद नेता तेजस्वी यादव को कांग्रेस ने बिहार का मुख्यमंत्री फेस मान लिया। इतना ही नहीं, मुकेश सहनी को भी कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री का चेहरा मान लिया। लेकिन यह सब इतनी आसानी से नहीं हुआ। इसके पीछे राजद को भी अपना ‘तेवर’ कड़ा करना पड़ा। तब जाकर राहुल गांधी गंभीर हुए और उनकी पहल पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तेजस्वी यादव के साथ बिहार कांग्रेस के वरीय नेताओं की उपस्थिति में ‘गंभीर मंथन’ किया, तब जाकर बात बनी। यह ऐलान सभी दलों की मौजूदगी में मीडिया के सामने किया गया। हालांकि, दो और उपमुख्यमंत्री बनाये जाने की चर्चा है। लेकिन यह गनीमत रही कि वोटिंग के पहले खासकर कांग्रेस को सदबुद्धि आ गयी, वरना सियासी जगत में उसकी मिट्टीपलीद होने से कोई नहीं रोक सकता था।

कांग्रेस करने लगी डबल पॉलिटिक्स : दरअसल, महागठबंधन में कांग्रेस को छोड़कर मुकेश सहनी की वीआईपी सहित तीनों वाम दल तेजस्वी यादव को अघोषित रूप से मुख्यमंत्री का चेहरा मान लिया था। सीपीआई का राष्ट्रीय अधिवेशन दो माह पहले ही हुआ था। उसमें भी सीपीआई के महासचिव रामनरेश पांडेय ने तो तेजस्वी यादव को ‘महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार’ के रूप में ही संबोधित किया था। लेकिन कांग्रेस ‘डबल पॉलिटिक्स’ खेलने लगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, इसके पीछे पूर्णिया सांसद पप्पू यादव पर राजद के लोग कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को झांसे में लेने का आरोप लगा रहे हैं। कहा तो यह भी जाता है कि इन लोगों ने ‘प्रियंका गांधी की टीम’ के साथ ही बिहार प्रभारी को भी झांसे में रखा। भ्रम की राजनीति के बीच कांग्रेस भी ‘फीलगुड’ करने लगी। वह खुद को राजद से भी ‘ऊपर और बड़ा’ समझने लगी। और फिर वही हुआ, जिसकी आशंका थी। राजद ने ‘फ्रेंडली फाइट’ के नाम पर कांग्रेस की सीट पर अपना उम्मीदवार उतरना शुरू कर दिया। यहां तक कि कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ भी राजद ने उम्मीदवार देने की घोषणा कर दी।

अपनी ही पार्टी से नाराज होने लगे कांग्रेसी : राजद और कांग्रेस की तनातनी के बीच कांग्रेसियों में ही विक्षोभ की स्थिति बन गयी। कुछ सीटों पर तो कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवारों को उतार दिया, जिससे पार्टी के अंदर बगावत वाली स्थिति हो गयी। टिकट बंटवारे पर नेताओं का गुस्सा फुटने लगा। कई वरिष्ठ नेताओं ने तो प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को आड़े हाथों ले लिया। कुछ ऐसी ही स्थिति सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिली। कांग्रेस के वरीय नेता आनंद माधव ने तो इस्तीफा देने तक को तैयार हो गये थे। यहां से ही राजेश मिश्रा भी चाह रहे थे। यह अलग बात है कि मुंगेर में सिटिंग विधायक अजय सिंह का टिकट कटने के बाद भी उन्होंने शांति से काम लिया। यह स्थिति तब हुई, जब बिहार प्रभारी अल्लावरु, राहुल गाँधी के काफी नजदीकी माने जाते हैं। कहा जाता है कि तेजस्वी यादव उस समय काफी नाराज हो गये, जब आरएसएस से जुड़े कुछ ‘हेलीकाप्टर नेता’ को बिहार प्रभारी की सहमति पर टिकट दे दिया गया।

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तब जाकर राहुल गाँधी हुए एक्टिव : बहरहाल, इस सियासी तनाव की वजह से पार्टी नेताओं की वोटरों के बीच किरकिरी होने लगी। तब राहुल गांधी एक्टिव हुए और मोर्चे को खुद संभाला। उन्होंने वरीय नेता अशोक गहलोत को बिहार भेजा। गहलोत ने राबड़ी आवास पर लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। इसके साथ ही अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को विश्वास में लिया। फिर जाकर गुरुवार को महागठबंधन के सभी दलों ने एकजुटता का परिचय देते हुए तेजस्वी को सीएम फेस और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोई गड़बड़ी नहीं हो, इस पर तेजस्वी यादव की पैनी नजर रही। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस ‘देर आए दुरुस्त आए एकजुटता’ को बिहार के मतदाता किस तरह लेते हैं।

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