बिहार के नगर विकास मंत्री जीवेश कुमार सहित 5 दवा के सैंपल फेल मामले में दोषसिद्ध, इस धारा में मिली जमानत

Rajasthan (Mukhiyajee Report) : राजस्थान के देवगढ़ स्थित कंसारा ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर्स से दवा के सैंपल फेल मामले में बिहार के नगर विकास मंत्री जीवेश कुमार सहित 5 लोग राजसमंद के स्थानीय कोर्ट से दोष सिद्ध। लेकिन, कोर्ट ने अपराधी परिवीक्षा अधिनियम (Carriage of Offenders Probation Act) की धारा 4 का लाभ देकर सालभर की हिदायत के साथ जमानत दी। इसके तहत सभी आरोपियों को 5 हजार रुपये की जमानत, 5 हजार का स्वयं के बंध पत्र प्रस्तुत करने और एक वर्ष तक शांति व सदाचार बनाए रखते हुए इस प्रकार के अपराध की पुनरावृति नहीं करने के लिए पाबंद किया। यह मामला 2012 का है। इसमें 4 जून को फैसला आया था। बताया जाता है कि मामले की जानकारी लेने बिहार के नगर विकास मंत्री राजस्थान पहुंचे थे। बता दें कि जिस समय का यह मामला है, उस समय जीवेश कुमार मंत्री नहीं बने थे।

बताया जाता है कि यह मामला टेबलेट सिप्रोलिन 500 के सैंपल से जुड़ा हुआ है। सैंपल की जांच में दवा की गुणवत्ता सही नहीं पायी गयी। इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया। इसमें मैसर्स आल्टो हेल्थ केयर सिरसपुर नयी दिल्ली के डायरेक्टर व बिहार के नगर विकास एवं आवास मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा (पिता- आर के मिश्रा), माणक चौक देवगढ़ निवासी कंसारा ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर्स राजकीय अस्पताल के पास देवगढ़ मालिक फर्म प्रतिभा कंसारा (पति- शिवप्रकाश कंसारा), पदमावती कॉलोनी-ए-निर्माण नगर जयपुर निवासी मैसर्स कौशल फार्मा व मैसर्स नंदी फार्मा गोयल कलर लेब के सामने नेहरू बजार जयपुर के महेश चंद्र (पिता- रूडमल गुप्ता), मैसर्स नंदी फार्मा के भागीदार पवन (पिता- रामकुमार मित्तल) और मैसर्स नंदी फार्मा के भागीदार किशनसिंह (पिता) गुरुदयाल सिंह को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के आरोप में दोषी पाया। लेकिन कोर्ट अपराधी परिवीक्षा अधिनियम की धारा 4 का लाभ देकर जमानत दी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि न्यायालय द्वारा बुलाये जाने पर वे सब कोर्ट में उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा कोर्ट ने एक वर्ष तक शांति व सदाचार बनाए रखते हुए इस प्रकार के अपराध की पुनरावृति नहीं करने के लिए पाबंद किया है। साथ ही धारा 5 परिवीक्षा अधिनियम के तहत प्रत्येक आरोपी को 7-7 हजार रुपये सहित 70 हजार रुपये अभियोजन व्यय के रूप में जमा कराने पर उन्हें सदाचार की परिवीक्षा पर छोड़ने का आदेश दिया। इसे लेकर जीवेश कुमार मंगलवार (1 जुलाई) को कोर्ट परिसर पहुंचे और वरिष्ठ अधिवक्ताओं से मुलाकात कर आगे की न्यायिक प्रक्रिया की जानकारी ली।

क्या है मामला : जिले के औषधी नियंत्रण अधिकारी राजसमंद सुरेश सामर ने 20 जनवरी 2012 को परिवाद पेश कर जीवेश कुमार मिश्रा, प्रतिभा कंसारा, महेशचंद्र गुप्ता, पवन मित्तल, किशन सिंह के अलावा ज्योति गोयल (बिहार), कुंज बिहारी गोयल (झारखंड), अनुज सिंह (उत्तर प्रदेश), कैमिस्ट रामेश्वर दयाल उपाध्याय तथा विश्लेषण कैमिस्ट प्रदीप शर्मा पर दवा की गुणवत्ता सही नहीं होने को लेकर दवा के सैंपल जांच करने के लिए लिखा था। इस पर सभी सैंपल को जांच के लिए राजकीय परीक्षण प्रयोगशाला और राजकीय विश्लेषक राजस्थान जयपुर प्रयोगशाला में भेजा गया था। वहां से मिली रिपोर्ट में शिकायत सही पायी गयी थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने 5 को दोषी माना, जिसकी सुनवाई पिछले माह 4 जून को हुई।