PATNA (MR) : बिहार में होली के बाद पंचायत चुनाव तय है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। वोटर लिस्ट से लेकर इवीएम तक पर तेजी से काम किए जा रहे हैं। पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50 परसेंट आरक्षण दिया गया है। इसमें जिला पार्षद, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, ग्राम कचहरी सरपंच व पंच यानी छह पदों के लिए चुनाव होना है। इसके बाद प्रखंड प्रमुख, उपमुखिया, जिला पार्षद अध्यक्ष, जिला पार्षद उपाध्यक्ष, सरपंच आदि को जनता की ओर से निर्वाचित जनप्रतिनिधि चुनेंगे।
लेकिन जनप्रतिनिधियों का नामांकन तभी वैध होगा, जब उनके घरों में कम से कम एक शौचालय होगा। जानकारी के अनुसार, सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लडऩे वालों के लिए घर में कम से कम एक शौचालय की उपलब्धता को अनिवार्य कर रखा है। यानी जिनके घर में शौचालय नहीं होगा, वे चुनाव लड़ने के हकदार नहीं होंगे। दरअसल, बिहार के लगभग तमाम जिले व पंचायत ओडीएफ घोषित हो चुके हैं। अधिसंख्य गांवों को खुले में शौचालय से मुक्त घोषित कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि जब जनप्रतिनिधि के घर में ही शौचालय नहीं होगा, तो लोगों को वे कैसे घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
बता दें कि बिहार में पंचायत जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल इस साल जून में समाप्त हो रहा है। ऐसे में जून के पहले पंचायत चुनाव कराना सरकार की मजबूरी है। उम्मीद की जा रही है कि होली के बाद कभी भी चुनाव कराए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि इस बार सूबे में नौ चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। इवीएम से चुनाव कराने की मंजूरी सरकार पहले ही दे चुकी है। बता दें कि इवीएम से बिहार में पहली बार चुनाव होगा, जबकि पूरे देश में यह पांचवां राज्य बन जाएगा।