Bihar MLA Election 2025 : कुर्था में क्या करेगा राजद, स्थानीय को देगा टिकट या फिर बाहरी ?

Rajesh Thakur l Patna : कुर्था विधानसभा क्षेत्र में चुनावी चर्चा एक बार फिर उसी पुराने सवाल पर लौट आयी है- क्या राजद तोड़ पाएगा बाहरी प्रत्याशियों की परंपरा ? क्या यहां के मतदाताओं को मिल पाएगा अपना क्षेत्रीय विधायक ? या फिर 2020 की तरह पार्टी की ओर से कुर्था के लोगों पर बाहरी प्रत्याशी को थोपा जाएगा…? कुछ ऐसे ही सवालों को लेकर नेताओं से लेकर वोटर तक कन्फ्यूजन में हैं। अब तो बाहरी प्रत्याशी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के अंदर में आवाज भी उठने लगी है। कुर्था के वोटरों के मन में भी यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर क्षेत्र को ‘अपना विधायक’ कब मिलेगा ? क्या 2025 में भी यहां से बाहरी विधायक का ही ठप्पा लगेगा। इसे लेकर अब लोग अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं और अपनी पीड़ा से वे राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव और पार्टी के वरीय नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अवगत करा चुके हैं। कह चुके हैं कि इस बार बागी कुमार वर्मा स्वीकार नहीं हमें। बागी के लिए वे ‘बागी’ भी हो सकते हैं।

आजादी के समय से ही पीड़ा : दरअसल, कुर्था की जनता ‘बाहरी’ विधायक की पीड़ा आजादी के समय से ही झेल रही है और इस पीड़ा से उन्हें आजादी कब मिलेगी, इस पर राजद के बड़े नेता बोलना नहीं चाह रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 1952 से 2020 तक कुल 16 चुनाव हुए। इनमें 11 उम्मीदवारों को विधायक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इनमें से कई लोग दो बार विधायक चुने गये। दो बार विधायक बनने वालों में राम चरण यादव, जगदेव प्रसाद, नागमणि, सुचित्रा सिन्हा, सहदेव यादव और सत्यदेव प्र सिंह शामिल हैं। दूसरी ओर कामेश्वर शर्मा, मुंद्रीका सिंह यादव, रामाश्रय प्र सिंह, शिववचन यादव और 2020 में राजद के टिकट पर चुनाव जीतने वाले बागी कुमार वर्मा एक-एक बार चुनाव जीते हैं। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि इन सारे विधायकों में से सिर्फ मुंद्रीका सिंह यादव ऐसे विधायक हैं, जो स्थानीय हैं, बाकी सबके सब ‘बाहरी’ का ठप्पा लिये हुए हैं। सिटिंग विधायक बागी कुमार वर्मा भी बाहरी ही हैं।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ युवा राजद नेता लवकुश यादव।

2020 में अंतिम समय में कट गया टिकट : कहा जाता है कि 2020 के चुनाव में वरीय नेता सुनील यादव को टिकट मिलना तय हो गया था। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने भी मुहर लगा दी थी, लेकिन अंतिम समय में बागी कुमार वर्मा ‘हेलीकाप्टर प्रत्याशी’ बनकर आए और राजद से टिकट हथिया लिये। कहा तो यह भी जाता है कि 2015 में यदि यह सीट जदयू कोटे में नहीं जाती तो बेशक सुनील यादव को ही टिकट मिलता। सियासी पंडितों की मानें तो 2025 में राजद के लिए ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ से खुद को निबटना बड़ी चुनौती होगी। इसे लेकर बहस तेज हो गयी है। वहीं राजद खेमे में टिकट की दौड़ इस बार दिलचस्प मोड़ पर है। टिकट की दौड़ में मौजूदा विधायक बागी कुमार वर्मा के साथ ही सुपर थर्टी के निदेशक आनंद कुमार के भाई प्रणव कुमार, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश कुमार सहित राजद के वरीय नेता सुनील यादव और कुर्था के लोगों के बीच युवा डायनमिक के रूप में फेमस लवकुश यादव के नाम आ रहे हैं। सियासी पंडितों का यह भी मानना है कि भले ही बागी कुमार वर्मा सहित प्रणव कुमार और आकाश कुमार मजबूत दावेदार माने जा रहे हों, लेकिन ये सभी कुर्था से बाहर के हैं। दूसरी ओर, केवल वरीय नेता सुनील यादव और युवा नेता लवकुश यादव स्थानीय हैं। इन दोनों के समर्थन में अब आवाज बुलंद होने लगी है। वैसे रंजन यादव भी इस दौड़ में शामिल हैं। इनकी पत्नी मुखिया हैं। दूसरी ओर महिलाओं की बात करें तो किरण देवी भी राजनीति में काफी सक्रिय हैं और राजद की जिला स्तरीय टीम का नेतृत्व कर रही हैं। फिलहाल किरण देवी वर्तमान मुखिया हैं। वहीं खुशबू कुमारी भी काफी सक्रिय हैं। ये सोनभद्र वंशी प्रखंड से जिला परिषद की प्रत्याशी रह चुकी हैं।

तेजस्वी यादव के साथ वरीय राजद नेता सुनील यादव।

लालू के समक्ष लोगों ने रखी अपनी बात : पिछले दिनों कुर्था के कई नेताओं ने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की थी। उनलोगों ने साफ लब्जों में मीडिया को बताया कि इस बार बाहरी को हमलोग स्वीकार नहीं करेंगे। बाहरी होने के नाते स्थानीय लोगों का काम नहीं हो पाता है। किसी भी नेता को टिकट दीजिए, हमें मंजूर है; लेकिन वे स्थानीय हो। उनलोगों ने राजद के वर्तमान विधायक बागी कुमार वर्मा पर स्थानीय समस्याओं को अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है। कहा है कि बहुत दिनों से यहां की जनता बाहरी होने का दंश झेल रही है। इस बार वे चुप नहीं बैठेगी। उनलोगों ने यहां तक कह दिया कि बागी वर्मा के खिलाफ उनलोगों को ‘बागी’ भी बनना पड़े तो कोई गम नहीं है। स्थानीय मतदाताओं का भी मानना है कि बाहरी नेताओं ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व जरूर किया, लेकिन उनकी प्राथमिकताओं में कुर्था पीछे छूट गया। सड़क, रोजगार, शिक्षा और कृषि संकट जैसे मुद्दे हर बार अधूरे रह जाते हैं। ऐसे में लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं कि जब अपने ही विधानसभा क्षेत्र में योग्य नेता मौजूद हैं, तो आखिर क्यों हर बार बाहरी को ही उम्मीदवार बनाया जाता है।

जनता बाहरी को स्वीकार करने के मूड में नहीं : बहरहाल, आजादी के समय तो बाहरी ठीक था, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी कुर्था के लोगों पर बाहरी नेता ही थोपा जाए तो यह हमें मंजूर नहीं है। बाहरी नेताओं के आने-जाने से हमारी समस्याएं जस की तस रहती हैं। इस बार हम चाहते हैं कि स्थानीय बेटा ही कुर्था का विधायक बने। वही हमारे सुख-दुख को समझ सकता है। राजद के भीतर भी यह बहस जोर पकड़ चुकी है। कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि टिकट स्थानीय को मिले, जिससे जनता में सकारात्मक संदेश जाए। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि शुरू से समाजवाद की धरती रही कुर्था के लिए राजद नेतृत्व क्या करता है, स्थानीय नेता को टिकट देकर इतिहास बनाता है, या 2025 में बाहरी की परंपरा पर कायम रहता है। राजद जो भी निर्णय ले, लेकिन इस बार जनता बाहरी को स्वीकार करने के मूड में नहीं है।

कुर्था विधानसभा के अब तक के विधायक
1952 : राम चरण यादव – सोशलिस्ट
1957 : कामेश्वर शर्मा – कांग्रेस
1962 : राम चरण यादव – सोशलिस्ट
1967 : जगदेव प्रसाद – सोशलिस्ट
1969 : जगदेव प्रसाद – सोशलिस्ट
1972 : रामाश्रय प्र सिंह – कांग्रेस
1977 : नागमणि – शोषित समाज दल
1980 : सहदेव प्र यादव – जेएनपी
1985 : नागमणि – शोषित समाज दल
1990 : मुंद्रीका सिंह यादव – जनता दल
1995 : सहदेव प्रसाद यादव – जनता दल
2000 : शिव वचन यादव – राजद
2005 : सुचित्रा सिन्हा – लोजपा
2005 : सुचित्रा सिन्हा – जदयू
2010 : सत्यदेव सिंह – जदयू
2015 : सत्यदेव सिंह – जदयू
2020 : बागी कुमार वर्मा – राजद
2025 : स्थानीय या कोई और…??