आरक्षण पर बिहार में केंद्र के खिलाफ मोर्चाबंदी शुरू, SC-ST के 22 MLA आए एक मंच पर

PATNA (MR)। बिहार पर आरक्षण को लेकर एससी-एसटी से जुड़े​ विधायकों ने कमर कस ली है। वे सीधे अब केंद्र से फरियाने का मन बना लिया है। इसे लेकर दो बार पीएम नरेंद्र मोदी को नीतीश सरकार में शामिल मंत्री श्याम रजक ने पत्र लिखा। इतना ही नहीं, वे इसकी अगुवाई करते हुए एससी-एसटी से जुड़े विधायकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की, जिसमें उन्हें सफलता हाथ लगी है। शुक्रवार को दलीय बंधन को तोड़ते हुए एससी-एसटी के 40 में से 22 विधायक एक मंच पर पहुंचे। उन्होंने बैठक में अपना हक लेने को आवाज बुलंद की और दिल्ली को पैगाम दिया। मंत्री श्याम रजक जदयू विधायक के अलावा अखिल भारतीय धोबी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। बैठक में हम सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, राजद विधायक स्वीटी हेंब्रम समेत अन्य जुटे थे।

बता दें कि नीतीश सरकार में शामिल मंत्री श्‍याम रजक ने इसके पहले 25 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पत्र लिखा था। उन्होंने केंद्र को आगाह करते हुए कहा था कि कुछ संस्थाएं कोरोना संकट के बीच चुपके से आरक्षण से छेड़छाड़ करने की साजिश कर रही हैं। इसे हमारा समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। खास बात कि इस पत्र को मंत्री श्याम रजक ने कांग्रेस की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गांधी, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई दलों के सुप्रीमो को भी भेजा था।

इतने पर श्याम रजक नहीं रुके। प्रधानमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं आने पर उन्होंने 4 मई को फिर पत्र लिखा और उनसे इस ज्वलंत मुद्दे पर जवाब की उम्मीद जतायी। रजक ने दोबारा लिखे अपने पत्र में कहा कि पीएम मोदी आरक्षण की व्यवस्था को अक्षुण्ण रखने के मसले पर आश्वासन से संबंधित वक्तव्य दें। अब नये मामले में दलीय सीमाओं को तोड़ते हुए एससीएसटी के विधायकों ने 8 मई को बैठक की। इसे लेकर श्याम रजक कितने गंभीर हैं, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

पटना में शुक्रवार को हुई बैठक में रजक, मांझी, स्वीटी हेंब्रम के अलावा ललन पासवान, रामप्रीत पासवान, शिवचंद्र राम, प्रभुनाथ प्रसाद, रवि ज्योति, शशिभूषण हजारी, निरंजन राम समेत कुल 22 विधायकों ने शिर​कत की और इन सभी के हस्ताक्षर से इस बार प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति को भी पत्र भेजा। विधायकों ने कहा कि हाल के वर्षों में न्यायपालिका के जरिए आरक्षण के संविधान प्रदत्त अधिकारों में कटौती की कोशिश की जा रही है, इसलिए केंद्र सरकार आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची का अंग बनाए, ताकि इसमें छेड़छाड़ की गुंजाइश खत्म हो।

उन्‍होंने कहा कि यदि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से वक्त नहीं मिला तो हमलोग बिहार के राज्यपाल फागू चौधरी से मुलाकात करेंगे। उन्हें ज्ञापन देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हमलोग चुप नहीं बैठेंगे, लड़ाई लंबी होगी। जल्द ही इसके लिए विधिवत मोर्चा बनेगा और जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी होगा।

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