लवली आनंद 2024 में काराकाट से चुनाव लड़ेंगी क्या, उपेंद्र कुशवाहा कहां जाएंगे?

PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार का काराकाट संसदीय क्षेत्र 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर इन दिनों अचानक सुर्खियों में आ गया है। यहां से वर्तमान सांसद महाबली सिंह हैं। तब वे एनडीए की ओर से जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन अब पॉलिटिकल सिनेरियो बदल गया है। जेडीयू ऐनवक्त पर महागठबंधन में चली गई है। नीतीश कुमार विरोधी दलों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है। वहीं, काराकाट से सांसद रहे और नयी पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर एनडीए के साथ हैं। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही होने वाला है। महागठबंधन ‘वन टू वन फाइट’ की रणनीति भी बना रहा है। दोनों ही गठबंधन से किन पार्टियों के प्रत्याशी यहां उतारे जाएंगे, इसकी तस्वीर फिलहाल साफ नहीं है। लेकिन, अब तक अंदरखाने से जो बात छनकर आ रही है, उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा के लड़ने की संभावना ज्यादा है, तो महागठबंधन से पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद के नाम की चर्चा तेज है। आनंद मोहन की रिहाई भी इसी को जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले 14 वर्षों से कारकाट में एनडीए के सांसद बनते आ रहे हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो वन टू वन फाइट होने और लवली आनंद के आने पर समीकरण बदलते देर नहीं लगेगी। 

यह है जातीय समीकरण : काराकाट का जातीय समीकरण क्या कहता है ? यह बड़ा सवाल है। यहां यादव, राजपूत और लवकुश वोटरों की बड़ी आबादी है। इसके अलावा ब्राह्मण, भूमिहार समेत कुर्मी, वैश्य, दलित, महादलित की भी अच्छी संख्या है। मुस्लिम मतदाताओं को भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। स्थानीय नेताओं की मानें तो यहां सबसे ज्यादा तीन लाख से अधिक यादव वोटर हैं। इसके बाद लवकुश वोटरों का नंबर आता है। कुशवाहा और कुर्मी वोटरों की संख्या ढाई लाख के आसपास है। इसी तर, राजपूत और वैश्य वोटर 2-2 लाख के करीब हैं। ब्राह्मण 75 हजार, भूमिहार 50 हजार तो मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब डेढ़ लाख है।

तपेश्वर सिंह कांग्रेस के अंतिम सांसद : तपेश्वर सिंह यहां से कांग्रेस के अंतिम सांसद रहे हैं। सहकारिता सम्राट के नाम से प्रसिद्ध तपेश्वर सिंह यहां से 1980 और 1984 में सांसद बने थे। इसके बाद से कांग्रेस यहां से कभी नहीं जीती है। 2009 में कांग्रेस ने अवधेश सिंह को प्रत्याशी जरूर बनाया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो काराकाट में राजद, जदयू, समता व रालोसपा जैसे क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व रहा है। खास बात कि 1991 के बाद से बीजेपी ने काराकाट में कभी अपने उम्मीदवार नहीं उतारे। उसने हर चुनाव में यह सीट कभी जेडीयू, तो कभी समता पार्टी और कभी रालोसपा को दे दी थी।

महाबली सिंह का यह दूसरा टर्म : आंकड़े देखें तो इस सीट का इतिहास भी काफी रोचक रहा है। जब इस सीट का नाम शाहाबाद दक्षिणी और बिक्रमगंज था, तब भी और जब इसका नाम काराकाट पड़ा, तब भी। इस सीट की यह विडंबना रही है कि क्षेत्र व पार्टी के साथ सासंद बदलते रहे हैं और कोई उम्मीदवार यहां से दो बार से अधिक सांसद नहीं बन सका है। यहां से कमल सिंह, शिवपूजन शास्त्री और तपेश्वर सिंह दो-दो बार सांसद बने हैं। वर्तमान सांसद महाबली सिंह का यह दूसरा टर्म है। इसके पहले महाबली सिंह 2009 में सांसद बने थे। 2014 के चुनाव में जेडीयू अकेले मैदान में था। ऐसे में वे हार गए थे और एनडीए के बैनर तले उपेंद्र कुशवाहा को जीत मिली। लेकिन, 2019 में फिर पासा पलट गया। एनडीए से महाबली सिंह जीत गए और महागठबंधन की ओर रालोसपा की टिकट पर लड़ रहे उपेंद्र कुशवाहा को हार का मुंह देखना पड़ा। 

6 विस में से 5 पर राजद का कब्जा : बता दें कि काराकाट लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से 5 विधानसभा क्षेत्र पर राजद का कब्जा है। दरअसल, रोहतास जिले के नोखा, डेहरी और काराकाट तथा औरंगाबाद जिले के गोह, ओबरा और नबीनगर को मिलाकर काराकाट संसदीय क्षेत्र बना है। 2020 के विधानसभा चुनाव में नोखा, डेहरी, गोह, ओबरा और नबीनगर में राजद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी, जबकि काराकाट विधानसभा पर भाकपा माले ने कब्जा जमाया था। माले भी महागठबंधन का ही हिस्सा है। यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का सुपड़ा साफ हो गया था।

आनंद मोहन फैक्टर कितना कारगर : आनंद मोहन फैक्टर कितना कारगर ? यह भी सियासी गलियारे में बड़ा सवाल है। लेकिन, यह भी सच है कि आनंद मोहन आज भी राजपूत समाज में सबसे बड़े नेता हैं। उन्हें बिहार सरकार की पहल पर जेल से रिहा कर दिया गया हैं। हालांकि, उनकी रिहाई को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में क्या फैसला होता है, यह तो आनेवाला समय बताएगा। लेकिन दोनों ही स्थिति में महागठबंधन को ही फायदा मिलने वाला है। बता दें कि आनंद मोहन के बड़े बेटे चेतन आनंद वर्तमान में शिवहर से राजद विधायक हैं। लवली आनंद भी फिलहाल राजद में ही हैं। चर्चा है कि लवली आनंद काराकाट लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन की ओर से राजद की उम्मीदवार हो सकती हैं। आनंद मोहन की रिहाई भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है और इसका फायदा बाकी लोकसभा क्षेत्रों में भी उठाने की रणनीति है। 

काराकाट से अब तक के सांसद

साल : निर्वाचित सांसद

1952 : कमल सिंह 

1957 : कमल सिंह 

1962 : राम सुभग सिंह

1967 : शिवपूजन शास्त्री

1971 : शिवपूजन शास्त्री

1977 : राम अवधेश सिंह

1980 : तपेश्वर सिंह 

1984 : तपेश्वर सिंह

1989 : रामप्रसाद सिंह

1991 : रामप्रसाद सिंह

1996 : कांति सिंह

1998 : वशिष्ठ नारायण सिंह

1999 : कांति सिंह

2004 : अजीत सिंह

2009 : महाबली सिंह

2014 : उपेंद्र कुशवाहा

2019 : महाबली सिंह 

नोट : (काराकाट लोकसभा क्षेत्र का गठन 2008 के परिसीमन में हुआ है। 1952 में इस क्षेत्र का नाम शाहाबाद दक्षिणी था। 1962 में इस सीट का नाम बदलकर बिक्रमगंज संसदीय क्षेत्र कर दिया गया था।)

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