महाशिवरात्रि पर विशेष : पांडवों ने देवघरा पहाड़ पर डाला था डेरा, हवेली खड़गपुर में है शिवमंदिरों की श्रृंखला

PATNA (RAJESH THAKUR) : महाशिवरात्रि पर बिहार ही नहीं, पूरा देश भक्तिमय हो उठा है। ॐ नमः शिवायः, हर-हर महादेव के जयकारों से गली-गलियारों के चप्पे-चप्पे तक गूंज रहे हैं। बिहार में ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां शिव मंदिर नहीं है। किसी-किसी गांव में तो शिवमंदिरों की श्रृंखला बसी हुई है। ऐसा ही मुंगेर जिला का हवेली खड़गपुर अनुमंडल है। यहां भी भोलेनाथ के सैकड़ों मंदिरें हैं। कई शिवालय हैं। इनमें कई शिवमंदिर तो काफी अलौकिक माने जाते हैं और उन मंदिरों में पूजा करने से लोगों की मुरादें पूरी होती हैं। देवघरा पहाड़ और रंगनाथ पहाड़ पर स्थित मंदिरों का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।

बाबा उच्चेश्वरनाथ महादेव मंदिर
हवेली खड़गपुर स्थित प्रमुख मंदिरों में सबसे पहले देवघरा पहाड़ स्थित मंदिर के बारे में बात करते हैं। यह मंदिर बाबा उच्चेश्वरनाथ महादेव के नाम से ख्यातिलब्ध है। हवेली खड़गपुर अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर देवघरा गांव है। उसी गांव के पहाड़ की लगभग 500 फीट ऊंची चोटी पर उच्चेश्वरनाथ महादेव अवस्थित है। यहां आसपास के श्रद्धालु सालोंभर पूजा करते हैं। खासकर सोमवार को ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि पर सर्वाधिक भीड़ लगती है। लोक मान्यता है कि बाबा उच्चेश्वरनाथ भक्तों की सारी मुरादें पूरी करते हैं। किंवदनंती है कि महाभारत काल में पांडव इस इलाके में अज्ञातवास के दौरान ठहरे थे। तब युधिष्ठिर माँ कुंती और सभी भाइयों के साथ देवघरा पहाड़ पर पहुंचे थे और सबों ने बाबा उच्चेश्वरनाथ महादेव की पूजा की थी। कहा जाता है कि इसी पहाड़ पर अर्जुन ने कठोर तपस्या कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। इस बात में इसलिए भी सच्चाई लगती है कि देवघरा पहाड़ से लगभग 20 किमी की दूरी पर भीमबांध जंगल है। यहां भीम ने बांध का निर्माण किया था तथा हिडिम्बा से ब्याह रचाया था। यह भी कहा जाता है कि इसी जंगल में भीम और हिडिम्बा का पुत्र घटोत्कच का जन्म हुआ था। देवघरा मंदिर पर आज भी महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है।

बाबा रंगनाथ महादेव मंदिर
हवेली खड़गपुर प्रखंड के बनहरा गांव में पहाड़ी पर अवस्थित है बाबा रंगनाथ महादेव मंदिर। यहां के महादेव को ‘जाग्रत महादेव’ माना जाता है। कहा जाता है कि यह स्वयंभू महादेव हैं, जो स्वतः प्रगट हुए थे। सबसे खास बात कि महादेव का यह शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा केदार की आकृति में है। इस मंदिर के पास एक चन्द्रकूप भी है, जिसका जल काफी मीठा है। यह कूप मात्र 8 फीट गहरा है, लेकिन कभी सूखता नहीं है। इस मंदिर से जुड़ी एक कथा यह भी है कि इस पहाड़ी से सटे गांव में रंगनाथ नाम का एक व्यक्ति रहता था। संतान प्राप्ति की इच्छा से वह और उसकी पत्नी रोज बाबा की पूजा करते थे। इसके बाद भी संतान नहीं होने पर उन्होंने गुस्से में कुल्हाड़ी से शिवलिंग पर वार कर दिया। इसके बाद उसे बेटा हुआ तो उन्होंने अपने किए का घोर प्रायश्चित किया। तभी से इसका नाम रंगनाथ महादेव पड़ गया। दूसरी कथा के अनुसार, यहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी राधा के साथ होली खेल रहे थे। उसी वक्त महादेव पहुंच गये। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें रंगनाथ कहकर संबोधित किया। तब से इस मंदिर को रंगनाथ महादेव कहा जाता है।

बाबा पंचबदन महादेव मंदिर
यह मंदिर खड़गपुर मुख्यालय से महज 3-4 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। यहां आपरूपी भोला बाबा हैं तथा इलाके में इनकी ख्याति जबरदस्त है। पांच मुख और बदन होने के कारण इन्हें पंचमुखी और पंचबदन महादेव मंदिर भी कहा जाता है। इतना ही नहीं, इसे लघु देवघर भी कहा जाता है। दरअसल, सावन माह में काफी संख्या में श्रद्धालु सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा का जल भरकर बाबा पंचमुखी नाथ पर अभिषेक करते हैं। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण राजा संग्राम सिंह ने करवाया था। 1934 में आए भूकंप में इस मंदिर को भी क्षति पहुंची थी। बाद में भक्त विशेश्वर राम ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। अब तो यह मंदिर और भव्य बन गया है। इसके निकट ही बड़ा तालाब है, जो शिवगंगा के नाम से प्रचलित है। बगल में ही एक बड़ा-सा कुआँ है, जिसे चंद्रकूप कहा जाता है। यहां सालों भर भक्तों का ताँता लगा रहता है।