Rajesh Thakur l Patna : पीस विंग प्रोडक्शन प्रा. लि. की मनोवैज्ञानिक थ्रिलर बिसाही अब देशभर के 125 से अधिक सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है और दर्शक पसंद भी कर रहे हैं। बेगूसराय के अभिनव ठाकुर निर्देशित यह फिल्म आधुनिक भारत में अब भी मौजूद डायन-बिसाही प्रथा की भयावह सच्चाई को उजागर करती है। रिलीज के पहले ही हफ्ते में फिल्म को खासकर बिहार, असम, दिल्ली, पंजाब और देशभर के सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। दर्शक ऑनलाइन बुक कर फिल्म देखने सिनेमा हॉल पहुंच रहे हैं। खासकर महिला दर्शक काफी संख्या में पहुंच रही हैं। हालांकि फिल्म बिसाही मुंबई में थोड़ी देर से रिलीज हुई, लेकिन इसके पहले ही यह फिल्म बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित हिंदी पट्टी राज्यों में छा गयी है। कमाई और रैंकिंग, दोनों में ही यह फिल्म उम्मीद से ज्यादा सफल हो रही है।


बताते चलें कि बिसाही का निर्माण नरेंद्र पटेल ने किया है, जबकि लेखन-निर्देशन अभिनव ठाकुर का है। इसमें पूजा अग्रवाल (स्तुति) और इंदु प्रसाद (आशा) मुख्य भूमिकाओं में हैं, जबकि रवि साह और रामसुजान सिंह अहम किरदार निभा रहे हैं। कहानी स्तुति नाम की एक ब्लॉगर की है, जो एक गाँव में डायन-बिसाही जैसी कुप्रथा का सामना करती है और महिलाओं पर हो रहे शोषण को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालती है। फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, रोमांच बढ़ता जाता है। इसे निकट से महसूस करने के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग कर हॉल में जाकर देख सकते हैं। सच्ची कहानी कहने के अंदाज, दमदार सामाजिक संदेश और थ्रिलर ट्रीटमेंट के लिए दर्शक इसे काफी सराह रहे हैं। कई दर्शकों ने इसे झकझोर देने वाला अनुभव बताया है। उनका कहना है कि यह फिल्म समाज को शिक्षाप्रद संदेश देने में काफी सफल साबित हो रही है।
लेखक और निर्देशक अभिनव पटेल ने मुखियाजी डॉट कॉम को फोन करके बताया कि हमें बिसाही को लेकर दर्शकों से मिल रही प्रतिक्रिया से बेहद खुशी है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि समाज में छिपे सच को सामने लाने वाली आवाज है। उन्होंने यह भी बताया कि बिसाही को देशभर में रिलीज होते और दर्शकों को इससे जुड़ते देखना बेहद संतोषजनक है। हमारा मकसद भी था कि डायन-बिसाही जैसी सामाजिक बुराई को सामने लाना और लगता है कि दर्शक इस सच्चाई को गहराई से महसूस कर रहे हैं। अपनी सशक्त कहानी और सामाजिक महत्व के साथ बिसाही न सिर्फ मनोरंजन कर रही है, बल्कि डायन-बिसाही जैसे मुद्दे पर एक गहरी बहस भी छेड़ रही है। बता दें कि निर्देशक बिहार के बेगूसराय स्थित बखरी गांव से आते हैं। कहा जाता है कि एक समय था, जब बिहार में सबसे अधिक बखरी गांव इस कुप्रथा से पीड़ित था। वहां इसे लेकर मंदिर भी बना हुआ है। हालांकि, अब उस गांव में शिक्षा की रोशनी पहुंच गयी है।
