PATNA (MR) : कॉफ्फेड ने बिहार सरकार के एक मंत्री पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया है। इसके पदाधिकारियों ने मीडिया से कहा कि बिहार सरकार के मत्स्य मंत्री के संरक्षण में हो प्रतिबंधित मछलियों का व्यापार हो रहा है। बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ (कॉफ्फेड) के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने मीन भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार एवं बिहार सरकार ने थाई मांगुर एवं बिगहेड मछली के पालन, प्रजनन एवं बिक्री पर देशभर में प्रतिबंध लगा रखा है। प्रतिबंध के बावजूद बिहार राज्य के प्रत्येक जिले में थाई मांगुर मछली का पालन, प्रजनन एवं बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। यह राज्य के ईको सिस्टम के लिए घातक है।

कानूनी कार्रवाई की मांग के लिए लिखा पत्र : ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से निर्गत पत्र को कॉफ्फेड के द्वारा राज्य के सभी मछुआ समितियों के मंत्रियों, अध्यक्षों संघ के निदेशक बोर्ड के सदस्यों तथा संघ के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों को थाई मांगुर एवं बिगहेड मछली के पालन, प्रजनन एवं बिक्री पर प्रतिषेध संबंधी आदेश को सख्ती से अनुपालन करने का निर्देश जारी किया गया। निर्देश के आलोक में प्रमंडल संयोजक के द्वारा औरंगाबाद जिले में 4 सितंबर को थाई मांगुर से भरा ट्रक पकड़ कर मुफस्सील थाना, औरंगाबाद के हवाले किया गया। प्रबंध निदेशक की ओर से थाई मांगुर मछली की पहचान कर थानाध्यक्ष को आवश्यक कानूनी कारवाई हेतु पत्र लिखा गया।
सतीश कुमार एवं अमित कुमार पर धमकी देने का आरोप : इसी बीच मंत्री कोषांग से सतीश कुमार एवं अमित कुमार के द्वारा फोन करके कॉफ्फेड के प्रमंडल संयोजक राकेश कुमार को धमकी देते हुए कहा गया कि तुमको जेल भेजवा देंगें, तुम मछली रोकने वाले कौन होते हो ? मालूम हो कि प्रधान लिपिक के पद पर कटिहार जिला मत्स्य कार्यालय में पदस्थापित सतीश कुमार 27 अप्रैल 2018 को रिश्वत लेने के आरोप में निगरानी के हत्थे चढ़कर जेल की हवा खा चुके हैं। 18 नवंबर 2022 एवं 25 अप्रैल 2024 को वे सस्पेंड भी हो चुके हैं। उनको बरखास्त करने के स्थान पर विभाग उन्हे मंत्री कोषांग में पदस्थापित किए हुए हैं। उनके माध्यम से विभागीय पदाधिकारियों, कर्मचारियों एवं मछुआ समितियों के मंत्रियों से करोड़ों रुपये की उगाही विभागीय मंत्री के द्वारा की जा रही है, जिसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए।

दो लाख मैट्रिक टन थाई मांगुर का अवैध व्यापार सिर्फ बिहार में : प्रबंध निदेशक कश्यप ने आगे कहा कि दो लाख मैट्रिक टन थाई मांगुर का अवैध व्यापार अकेले बिहार में हो रहा है, जिससे दो हजार करोड़ रुपये सेे अधिक की अवैध कमाई हो रही है। अवैध कमाई में विभागीय मंत्री, अधिकारी एवं पुलिस प्रशासन सभी का हिस्सा है। इस प्रकार यह व्यवसाय सरकार की मिलीभगत से धड़ल्ले से जारी है, जिसका सीधा नुकसान परंपरागत मछुआरा समाज को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि ये विदेशी मछलियाँ मांसाहारी एवं आक्रामक प्रकृति की होती हैं और स्थानीय देशी मछली की प्रजातियों को खाकर उनकी संख्या कम कर देती है। इससे जैव विविधता को भारी नुकसान हो रहा है। थाई मांगुर विशेष रूप से गंदे पानी में पाली जाती है और जलाशयों, तालाबों, नदियों को प्रदूषित कर देती है, जिससे अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में आ जाता है। इन प्रजातियों के प्रसार के कारण स्थानीय मत्स्यपालकों की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है और इसके सेवन से संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे ये सब : कश्यप ने कहा कि सभी जिलों के मत्स्य पदाधिकारियों एवं जिला पदाधिकारियों को इन प्रतिबंधित प्रजातियों का पालन, व्यापार और उत्पादन पूर्ण रूप से रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाए। स्थानीय स्तर पर इन मछलियों के अवैध प्रसार को रोकने के लिए सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाए। इस संवाददाता सम्मेलन में निदेशक अरुण साहनी, पूर्व उपाध्यक्ष प्रो० शिव शंकर निषाद, निदेशक विद्याभूषण केवट, निदेशक मदन कुमार, प्रमंडलीय राकेश कुमार, जिलाध्यक्ष कैलाश सिंह निषाद, मनोज कुमार, सतीश कुमार, लाल बाबू, सुदामा, रवि कुमार, गोपी कुमार, प्रमोद कुमार, दयानंद कुमार आदि उपस्थित थे।
