बिहार बना नया स्पोर्ट्स हब ! अंतर्राष्ट्रीय खेलों का शुरू हुआ नया अध्याय; हर पंचायत में खेल क्‍लब

PATNA (DESK) : बिहार बना भारत का नया स्पोर्ट्स हब। अंतर्राष्ट्रीय खेलों का शुरू हुआ नया अध्याय। आने वाले दिनों में राजगीर से लेकर पटना तक और भागलपुर से गया तक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का जमावड़ा देखने को मिलेगा। यहां के खेल स्‍टेडिमय से अंतर्राष्‍ट्रीय मैचों के चौके-छक्‍कों का शोर गूंजेगा। दरअसल, बीसीसीआई ने भी बीसीए को राजगीर स्‍पोर्ट्स स्‍टेडियम के रख-रखाव की जिम्‍मेदारी सौंपने को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद बिहार में अंतर्राष्‍ट्रीय मैचों का रास्‍ता साफ हो गया है। इसकी शुरूआत सीएम नीतीश कुमार के उस विजन से हुई, जहां उन्‍होंने बिहार में खेलों के लिए माहौल तैयार करने के प्रयास की शुरूआत की। बिहार के मौजूदा स्‍टेडियम का कायाकल्‍प किया और राजगीर में खेल गांव बसाया गया। बिहार के हर हिस्‍से से खिलाड़ी निकलें, इसके लिए प्रदेश में हर पंचायत में खेल क्‍लब बनाने विजन तैयार किया।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स से हुई शुरूआत : बिहार ने मई 2025 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) की मेजबानी की। राज्य में हुए इस आयोजन ने देश के खेल जगत को चौंका दिया। बिहार ने साबित कर दिया कि राज्य में अब खेलों के मानचित्र पर उभरने की क्षमता है। प्रदेश में केवल राजनीति ही नहीं, खेल भी है, जो भारत का ‘स्पोर्ट्स हब’ बन सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और दूरदृष्टि ने न सिर्फ आयोजन को अभूतपूर्व सफलता दिलायी, बल्कि बिहार में खेल अवसंरचना और संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। पांच जिलों पटना, राजगीर, गया, भागलपुर और बेगूसराय में 28 खेलों के मुकाबले में 6000 से अधिक खिलाड़ियों की भागीदारी ने यह साबित किया कि बिहार बड़े खेल आयोजनों को व्यवस्थित और पेशेवर ढंग से आयोजित करने में सक्षम है। यह सफलता इतनी प्रभावशाली रही कि एशियन रग्बी सेवेंस अंडर-20 चैम्पियनशिप और हीरो एशिया कप हॉकी जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिए अब बिहार को नयी मंजिल के रूप में चुना गया है।

अपग्रेड हुए स्‍टेडियम : बिहार में अब तक 252 प्रखंडों में स्टेडियम तैयार किए जा चुके हैं। राजगीर स्पोर्ट्स एकेडमी और पटना का पाटलिपुत्र खेल परिसर आज विश्वस्तरीय मानकों पर अपग्रेड हो चुका है। पटना-गया मार्ग पर प्रस्तावित स्पोर्ट्स सिटी आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र बनेगा। सीएम नीतीश की प्राथमिकता यही रही है कि खेल केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित न रह जाएं, बल्कि गांव और कस्बों तक पहुंचे। इसी वजह से बिहार का ग्रामीण खिलाड़ी वर्ग भी अब सीधे अंतर्राष्ट्रीय मंच की ओर देख रहा है।

आर्थिक और सामाजिक लाभ : खेलो इंडिया यूथ गेम्स ने केवल खिलाड़ियों को मंच ही नहीं दिया, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी नया जीवन डाल दिया है। होटल, परिवहन और खानपान उद्योग को बड़ा फायदा हुआ है। भागलपुर और बेगूसराय जैसे शहर, जो अभी तक छोटे आयोजनों के लिए जाने जाते थे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर दर्ज हो चुके हैं। खेल पर्यटन को बढ़ावा मिलने से राज्य बाहर से आने वाले निवेशकों और ब्रांडों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है। खेलों के इन आयोजनों में बिहार ने 36 पदक जीता है। एशिया कप महिला हॉकी, सेपकटाकरा, खेलो इंडिया, रग्‍बी अंडर 16, हॉकी हीरो एशिया कप 2025, रग्बी के आयोजन के दौरान राज्य के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है।

भारत के स्पोर्ट्स मैप पर बिहार : अब भारत के खेल नक्शे में बिहार को ‘स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन’ के रूप में देखा जाने लगा है। जिस राज्य को कभी कमजोर अवसंरचना और कुप्रबंधन के लिए जाना जाता था, वही प्रदेश अब अंतर्राष्ट्रीय खेल संस्थाओं का भरोसेमंद साथी बन रहा है। यह बदलाव केवल एक खेल आयोजन की सफलता नहीं, बल्कि रणनीतिक नेतृत्व, दीर्घकालिक निवेश और जवाबदेह शासन व्यवस्था का नतीजा है। अब राज्य केवल मेजबान नहीं, बल्कि वैश्विक खेल आयोजनों के लिए एक भरोसेमंद ठिकाना बनता जा रहा है। आने वाले वर्षों में राजगीर और पटना से लेकर भागलपुर तक, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का जमावड़ा देखने को मिलेगा।