—– संपादक —–
(बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। राजनीतिक दलों के साथ ही चुनाव आयोग ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। सोशल मीडिया पर भी राजनीतिक दलों की स्थितियों को लेकर अपने-अपने विचार रखे जा रहे हैं। इस बार पढ़ते हैं युवा पत्रकार विवेकानंद सिंह की कलम से। ये लेखक के निजी विचार हैं। फेसबुक से साभार)

—– विवेकानंद सिंह —–


PATNA (SMR)। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान आजकल बार-बार अपने बयानों से जाहिर करते रहते हैं कि बिहार में महागठबंधन ही नहीं, बल्कि एनडीए में भी कलह है। चिराग, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना भी कर चुके हैं और वे कह चुके हैं कि उनकी पार्टी का गठबंधन भाजपा के साथ है।

दरअसल, मौसम वैज्ञानिक माने जाने वाले रामविलास पासवान के पुत्र चिराग के पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। इस समय चिराग के लिए अपने पिता की लिगेसी को बनाये रखने की चुनौती भी है। घोर परिवारवाद के तमाम आरोप लगने के बावजूद यह माना जाता है कि बिहार में पासवान जाति का वोट उसी खेमे में जाता है, जिधर रामविलास पासवान होते हैं।

ऐसे में भाजपा, नीतीश कुमार पर सीट बंटवारे के मामले में दबाव बनाने के लिए चिराग को ट्रंप कार्ड की तरह यूज कर रही है। चिराग का भाजपा के लिए झुकाव शुरू दिन से रहा है। उसी के झुकाव की वजह से असहज होते हुए भी रामविलास पासवान भाजपा के साथ बने हुए हैं। ऐसे में चिराग के जो भी बयान आ रहे हैं, असल में मुंह चिराग का है, लेकिन बयान भाजपा के इनकोड किये मालूम पड़ते हैं।

इससे साफ है कि बिहार में एनडीए में जो शांति-शांति है, उसके पीछे तरीके से राजनीतिक गर्मी बनी हुई है। यहां देखना यह दिलचस्प होगा कि भाजपा और जदयू के बीच की अंदरूनी तनातनी का कितना लाभ चिराग खुद उठा पाते हैं?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here