Rajesh Thakur। Patna : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस बार महिलाओं को लेकर बड़ा और संतुलित कदम उठाया है। पार्टी ने कुल 24 महिलाओं को टिकट देकर यह दिखा दिया है कि वह न सिर्फ संख्या बढ़ाने की नीति पर है, बल्कि समाज के हर तबके से आने वाली महिलाओं को बराबरी का अवसर देने के पक्ष में है। राजद की सूची में सवर्ण, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित, आदिवासी और मुस्लिम, सभी वर्गों की महिलाएं शामिल हैं। यह संयोजन उस सामाजिक न्याय की परंपरा को आगे बढ़ाता है, जो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक दर्शन की पहचान रही है। हलांकि, 24 में से एक महिला उम्मीदवार श्वेता सुमन का नॉमिनेशन रद्द हो गया है।


एक मुस्लिम महिला को भी : दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हर दल महिला वोटरों को अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह की रणनीति बना रहे हैं। इसी के तहत महिला उम्मीदवारों को उतारा जा रहा है। इसी के तहत, राजद ने इस बार 24 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। इसमें सवर्ण वर्ग से 3 महिलाएं हैं, जिनमें 2 भूमिहार और 1 राजपूत समुदाय से आती हैं। वहीं, पिछड़ा वर्ग में सबसे अधिक 10 महिलाओं को टिकट दिया गया है। इनमें 6 यादव, 2 कुशवाहा, 1 सूढ़ी और 1 गंगोता समुदाय की हैं। अतिपिछड़ा वर्ग से 3 महिलाओं में से तेली, नोनिया और धानुक समुदाय की एक-एक उम्मीदवार मैदान में हैं। दलित वर्ग से 6 महिलाएं मैदान हैं। इनमें 3 पासी, 1 रविदास, 1 मुसहर और 1 दुसाध समाज से है। इसके अलावा 1 आदिवासी और 1 मुस्लिम महिला को भी चुनावी मैदान में उतारा गया है।
क्या कहते हैं सियासी पंडित : सियासी पंडितों का कहना है कि अन्य दल जहां टिकट वितरण में सीमित सामाजिक दायरे में सिमट जाते हैं, वहीं राजद ने इस बार व्यापक प्रतिनिधित्व देकर ‘समान अवसर की राजनीति’ को बल दिया है। बिहार की राजनीति पर अपनी पैनी पकड़ रखने वाले शिक्षविद विश्वनाथ कुमार उर्फ लालटुन यादव ने बताया कि यह रणनीति केवल चुनावी संतुलन नहीं, बल्कि संगठनात्मक बदलाव का संकेत है। राजद का मकसद है कि बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अब ‘प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वास्तविक’ बने। सियासी गलियारे में इसे लालू यादव और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सामाजिक न्याय के नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है।
