SIR पर पटना में योगेंद्र यादव सम्मानित, बोले- सुप्रीम कोर्ट नहीं जाता तो 2 करोड़ वोटरों के नाम कटते

Rajesh Thakur l Patna : राजधानी पटना में शनिवार को बिहार संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन। इसमें राजनैतिक विश्लेषक व सोशल एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव को ‘नागरिक सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम बिहार के नागरिक समूहों की पहल पर पटना के प्रेरणा संस्थान की ओर आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों पर सार्थक विमर्श को आगे बढ़ाना था। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद बेस्ट सेलर बुक प्रोफेसर की डायरी के लेखक डॉ. लक्ष्मण यादव और वरीय पत्रकार शम्भु कुमार सिंह ने क्रमशः परिचय, विषय-प्रवेश और कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। इसके बाद मुख्य वक्ता के रूप में योगेंद्र यादव ने SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पर विस्तार से अपनी बात रखी।

भाजपा कर रही बड़ी साजिश : समाजसेवी योगेंद्र यादव ने कहा कि यदि SIR का मामला सुप्रीम कोर्ट नहीं जाता तो 2 करोड़ वोटरों के नाम काटे जाते। सुप्रीम कोर्ट जाने की वजह से ही 65 लाख पर आकर मामला रुक गया। उन्होंने कहा कि SIR के नाम पर केंद्र की भाजपा सरकार की एक बड़ी साजिश चल रही है। यह एक तरह से वोटबंदी है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग कोर्ट में अपनी गर्दन बचाने के लिए BLO पर प्रेशर डाल कर फर्जी तरीके से फॉर्म जमा कराये गये। कोर्ट में फजीहत नहीं हो, इसलिए चुनाव आयोग लगातार नए-नए आदेश जारी कर रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि SIR में आयोग के जितने भी आदेश लिखित में जारी हुए थे, आज भी वही बरकरार है। एक भी संशोधित आदेश जारी नहीं हुए हैं।

सवाल आयोग से जवाब मिलता है भाजपा से : उन्होंने यह भी कहा कि EVM तो शंका के दायरे में आ ही रहा था, लेकिन वोटरों को इस तरह वोटर लिस्ट से नाम हटाए जा रहे हैं, इसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। इसमें पूरी तरह भाजपा सरकार की साजिश है। इस साजिश पर मुहर तब लगती दिखी, जब विरोधी दल चुनाव आयोग से सवाल करते तो आयोग के बदले जवाब देने के लिए भाजपा के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सामने आ जाते। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया को लेकर जो सवाल उठे हैं, वे लोकतंत्र की जड़ों से जुड़े हैं, और इस पर ईमानदार जनसंवाद जरूरी है। बिहार की पहल प्रशंसनीय है। बिहार ने ही भाजपा के रामरथ को रोका था और लोकतंत्र को खत्म करने की भाजपा की इस साजिश को भी बिहार ही रोकेगा। पूरे हिंदी पट्टी राज्यों के बीच बिहार का अपना एक खास व्यक्तित्व है। इस राज्य का अपना तेवर है।

प्रेरणा IAS संस्थान ने किया सम्मानित : इस मौके पर प्रेरणा IAS संस्थान की ओर से योगेंद्र यादव को नागरिक सम्मान से नवाजा गया। संस्थान के निदेशक विश्वनाथ उर्फ लालटुन यादव ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया। सम्मान ग्रहण करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि यह सम्मान मेरा नहीं, बल्कि उन तमाम नागरिकों का है जो मतदाता सूची की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह सम्मान उस पूरी टीम का है, जिसने सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लोकतंत्र की इस लड़ाई को लड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन लड़ाई अभी अधूरी है, क्योंकि वोट की कैची, यानी SIR का खतरा कम नहीं हुआ है, बल्कि अब पूरे देश पर मंडरा रहा है। संघर्ष अभी बाकी है। अब इस सम्मान को संवाद में, और संवाद को संकल्प में बदलना होगा, ताकि लोकतंत्र केवल कागज पर नहीं, हर नागरिक के अधिकार में जीवित रहे। बिहार तो एक हद तक बचा, लेकिन बंगाल सहित उन राज्यों को बचाना चुनौती होगा, जहां भाजपा की सत्ता नहीं है।

लोगों को जागरूक होने की जरूरत : बहरहाल, योगेंद्र यादव ने अपने संबोधन में भाजपा को जमकर धोया। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास सबकुछ है। सत्ता है, ताकत है, पैसा है, मीडिया है, संस्थान हैं, लेकिन पब्लिक की ताकत नहीं है। इसी वजह से 2024 में सबकुछ रहते हुए भी वह 240 पर रुक गयी। आगे ऐसा नहीं हो, इसलिए तीन तरह से पब्लिक को घेरने की साजिश कर रही है। पहला वन नेशन वन इलेक्शन, दूसरा डीलिमिटेशन तथा तीसरा SIR है। बिहार संवाद कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के विभिन्न जिलों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और युवाओं ने अपने अनुभव साझा किए। वक्ताओं ने कहा कि SIR प्रक्रिया को लेकर देशभर में व्यापक जनजागरण की जरूरत है, ताकि कोई भी नागरिक मताधिकार से वंचित न हो। बिहार की यह पहल आगे भी जारी रखने की जरूरत है। वक्ताओं ने प्रेरणा संस्थान की भी प्रशंसा की और कहा कि इस तरह के सामाजिक कार्यों से लोगों के बीच जागरूकता आएगी। संस्थान के निदेशक लालटुन यादव ने सबों के प्रति आभार जताया।