MUZAFFARPUR (MR)। पूरे देश में बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची फेमस है। पिछले साल इस पर चमकी बुखार का ग्रहण लगा था। बदनाम हो गई थी। चमकी बुखार के पीछे लीची को ही दोषी ठहराया जाने लगा था, लेकिन बाद में शोध हुआ और शोधकर्ताओं से लेकर कृषकों तक ने माना कि लीची का चमकी बुखार से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। इससे लीची अभी ठीक से बरी भी नहीं हुई कि अब इस पर कोरोना संकट और लॉकडाउन का ग्रहण लग गया। लॉकडाउन की वजह से पूरे देश का बाजार बंद है। कहीं लीची की सप्लाई नहीं हो पा रही है। किसान रो रहे हैं। ऐसा ही हाल आम का है। दोनों फलों पर लॉकडाउन ने बिक्री पर लॉक लगा दिया है।
लॉकडाउन की वजह से पूरे देश का बाजार बंद है। कहीं लीची की सप्लाई नहीं हो पा रही है। किसान रो रहे हैं।
जानकारों की मानें तो मुजफ्फरपुर में लीची व आम का लगभग 700 करोड़ का बिजनेस होता है। इसकी सप्लाई दिल्ली-मुंबई से लेकर पश्चिम बंगाल-दार्जिलिंग आदि शहरों तक होता है, लेकिन लॉकडाउन और कहीं-कहीं रेड जोन के कारण लीची-आम को मार्केट नहीं मिल रहा है। इसे लेकर किसान मायूस हैं। हालांकि, हार्टीकल्चर मंत्रालय ने वाट्सएप ग्रुप बनाकर देशभर के किसानों, कारोबारियों और खरीदारों को जोड़ा है, ताकि सरकारी पहल से किसानों को एक हद तक राहत मिले। बता दें कि मुजफ्फरपुर में लगभग 11 हेक्टेयर में लीची और 10 हेक्टेयर में आम की खेती होती है। 450 करोड़ का लीची तो 250 करोड़ का आम का कारोबार होता है।
मुजफ्फरपुर में लगभग 11 हेक्टेयर में लीची और 10 हेक्टेयर में आम की होती है खेती।
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में 70 से 75 परसेंट तक लीची-आम के बगीचे नहीं बिक सके हैं। लीची की फसल लगभग तैयार है, जबकि आम में थोड़ा वक्त है। वहीं दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े बाजार रेड जोन में हैं। बिजनेस पूरी तरह ठप है। कहा जा रहा है कि लॉकडाउन यदि हट भी जाता है तो पहले जैसा बाजार नहीं रहेगा। हालांकि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ के अनुसार, सरकार ने लीची-आम के अलावा सभी उद्यानिक फसलों की मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टिंग की व्यवस्था कर दी है। किसानों के लिए एप बनाया गया है। इसकी मदद से वे अपना उत्पादन बेच सकेंगे। वहीं कई किसान भी सरकारी स्तर पर लीचीआम की बिक्री के आश्वासन मिलने से थोड़ा संतुष्ट हैं।
कोरोना संकट में फंसी मुजफ्फरपुर की शाही लीची की देखें वीडियो…