UP Panchayat Chunav : बिहार में करारी हार के बाद कांग्रेस का बड़ा निर्णय, एकला चलो रे…

Rajesh Thakur / Lucknow : उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस ने अपने निर्णय से अचानक सियासी हलचल मचा दी है। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी ने यूपी पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने अकेले मैदान में उतरने का ऐलान किया है। दिल्ली में राहुल गांधी के साथ हुई यूपी कांग्रेस सांसदों की बैठक में यह फैसला हुआ है। बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस आगामी पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। बता दें कि एक माह पहले बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। महागठबंधन में रहते हुए कांग्रेस को 61 में से महज 6 उम्मीदवारों को जीत मिली। इसी से खिन्न कांग्रेस ने यूपी पंचायत चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान किया है।

बताया जाता है कि बैठक में हर विधानसभा क्षेत्र में संगठन को पुनर्गठित करने और बूथ स्तर तक सक्रियता बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा की गयी। कांग्रेस के इस फैसले से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में सियासी हलचल तेज हो गयी है। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अब अपनी रणनीति को नए सिरे से गढ़ रही है और उत्तर प्रदेश में संगठन की जमीन को फिर से मजबूत करने के लिए ‘एकला चलो’ की राह पर आगे बढ़ रही है। सपा की ओर से अब तक इस राजनीतिक बदलाव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आयी है। हालांकि कुछ दिन पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया था कि सपा और कांग्रेस 2027 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे और गठबंधन जारी रहेगा। वैसे विधानसभा चुनाव में अभी काफी देर है और उस समय क्या होगा, अभी कहना जल्दबाजी होगा।

सियासी पंडितों की मानें तो कांग्रेस के इस कदम को सपा से राजनीतिक दूरी नहीं मानें, बल्कि यह पार्टी का एक रणनीतिक और राजनीतिक प्रयोग होगा। दरअसल, पार्टी पंचायत स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत करना चाहती है, साथ ही टिकट वितरण के जरिए नया कैडर खड़ा करना चाहती है। प्रदेश में कमजोर जनाधार को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व अब ‘स्वतंत्र लड़ाई’ के जरिए अपनी वास्तविक ताकत और संगठनात्मक स्थिति परखना चाहता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यूपी की 80 में से 43 सीटें जीती थीं, जिनमें सपा को 37 और कांग्रेस को केवल 6 सीटें मिलीं। इसी तरह, हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 61 सीटों पर लड़कर सिर्फ 6 सीटें जीतीं।

बहरहाल, लगातार कमजोर पड़ते जनाधार ने कांग्रेस को अब हर प्रदेश में अपनी जमीन स्वतंत्र रूप से नापने की दिशा में धकेल दिया है। ऐसे में कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यूपी पंचायत चुनाव के बहाने कांग्रेस ने एक बड़ा पॉलिटिकल मैसेज दिया है कि पार्टी फिलहाल सहयोगियों पर निर्भर नहीं रहेगी और 2027 से पहले संगठन, रणनीति और जनाधार, तीनों मोर्चों पर खुद को नए सिरे से खड़ा करेगी। आने वाले दिनों में सपा की क्या प्रतिक्रिया होगी और दोनों दलों के बीच कैसा संबंध रहेगा, यह यूपी की सियासत को और दिलचस्प बनाएगा।