PATNA (RAJESH THAKUR) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या 17 सितंबर को इस्तीफा देंगे…? इसे लेकर बिहार से लेकर नेशनल पॉलिटिक्स तक में सियासी हलचल तेज हो गयी है। RSS प्रमुख मोहन भागवत की ओर से आए ताजा बयान के बाद यह हलचल तेज हुई है। यह बयान नेताओं के 75 साल की उम्र को लेकर आया है। चूंकि यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले आया है, इसलिए भाजपा के कई बुजुर्ग विधायक अपनी-अपनी जन्म कुंडली को खंगालने लगे हैं। उनके मन में टिकट को लेकर धुकधुकी बढ़ गयी है।
बिहार में खंगाली जा रही जन्म कुंडली
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान आने के बाद बिहार के कुछ ऐसे नेताओं को राहत मिली है, जो 70 प्लस के हैं। दरअसल, उन नेताओं पर तलवार लटक रही थी, जो 70 प्लस के हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान ही कहा जा रहा था कि 70 से अधिक उम्र वाले लगभग आधा दर्जन नेताओं के टिकट कटेंगे। लेकिन, जिस तरह से विपक्ष की रणनीति बनी, उससे टिकट बंटवारे में भाजपा ने वैसे उम्रदराज उम्मीदवारों पर एक्शन नहीं लिया। पार्टी की ओर से लगभग आधा दर्जन उम्मीदवारों में से सिर्फ दो सीटिंग उम्मीदवारों के टिकट ही काटे गये। इनमें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और तत्कालीन सांसद रमा देवी शामिल रहे। जहां तक बिहार में भाजपा विधायकों की बात है तो एक-दो ही 75 के नजदीक पहुंचे हैं, यानी वे सब भी 74 के ही हैं।

क्या बोले हैं मोहन भागवत
पहले यह जानते हैं कि RSS प्रमुख मोहन भागवत क्या बोले हैं। उन्होंने 75 साल की उम्र के बाद पद छोड़ने का सुझाव क्यों दिया है। दरअसल, संघ के विचारक स्वर्गीय मोरोपंत पिंगले पर आधारित पुस्तक ‘Moropant Pinglay: The Architect of Hindu Resurgence’ का 9 जुलाई को विमोचन समारोह था। इसी समारोह में उन्होंने कहा- ‘जब आप 75 साल के हो जाते हैं, तो इसका मतलब है कि अब आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों के लिए रास्ता बनाना चाहिए।’ उन्होंने दिवंगत RSS विचारक मोरोपंत पिंगले के शब्दों को याद करते हुए कहा- ‘मोरोपंत पिंगले ने एक बार कहा था कि अगर आपको 75 साल की उम्र के बाद शॉल से सम्मानित किया जाता है, तो इसका मतलब है कि अब आपको रुक जाना चाहिए, आप बूढ़े हो गए हैं और दूसरों को आने देना चाहिए। मोरोपंत जो भी कार्य करते थे, वह दूरदृष्टि के साथ करते थे कि इससे राष्ट्र के निर्माण में क्या योगदान होगा। वे आत्मप्रशंसा से दूर रहते थे और हर प्रकार के सम्मान से बचने का प्रयास करते थे।’

क्यों मची है सियासी हलचल
खास बात कि मोहन भागवत खुद 11 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे। इससे सियासी गलियारे में सवाल उठने लगा है कि क्या 11 सितंबर के बाद वे RSS प्रमुख के पद से हट जाएंगे। कयासबाजी भी तेज हो गयी है। लेकिन ज्यादा कयासबाजी पीएम मोदी को लेकर हो रही है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सितंबर में ही 75 साल के हो रहे हैं। सियासी गलियारे में इसे लेकर बयानबाजी तेज हो गयी है। भले ही मोहन भागवत ने किसी नेता का नाम नहीं लिया है, लेकिन विपक्ष उनके बयान के मायने निकालकर प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कस रहे हैं। कांग्रेस के वरीय नेता जयराम रमेश ने निशाना साधते हुए कहा कि सर संघचालक ने बिना नाम लिये संकेत तो दे ही दिये हैं।
बीजेपी और RSS दे रहे सफाई
शिवसेना (UBT) के संजय राउत ने भी सवाल दागा है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने खुद आडवाणी, जोशी और जसवंत जैसे बुजुर्गों को 75 के बाद किनारे किया था। अब खुद वही उम्र पा रहे हैं। क्या अब भी नियम चलेगा, या ये भी ‘एक व्यक्ति, एक अपवाद’ बनेंगे?’ हालांकि, बीजेपी और आरएसएस इस पर सफाई दे रहे हैं। आरएसएस की ओर से कहा गया है कि उनके बयान का कोई राजनीतिक आशय नहीं था। बीजेपी ने भी इसे ‘बेवजह की राजनीति’ बताया है। लेकिन विपक्ष को भला कौन समझाये। उन्हें तो बस मौका मिलना चाहिए। यह सही भी है कि अत्यधिक उम्र की वजह से ही पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को साइड कर दिया गया था। बहरहाल, मोहन भागवत के बयान आने के बाद से बिहार से लेकर नेशनल तक के बीजेपी खेमे में हलचल तो मच ही गयी है।
