PATNA (MR) : चुनाव आयोग की ओर से विशेष सघन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम जो शुरू किया गया है, उससे बहुत परेशानी होने वाली है। इससे बिहार के आठ करोड़ मतदाता शक के दायरे में ला दिए गए हैं। यह बात ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत के बिहार संयोजक सैयद नशूर अजमल नूशी ने कही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को मोटे तौर पर उसी वोटर लिस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए, जो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार की गयी थी। इसमें जो जरूरी बदलाव है, वह करना चाहिए। लेकिन सभी आठ करोड़ वोटरों को इसके लिए परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
अजमल ने बताया कि इस बारे चुनाव आयोग के विज्ञापन में यह नहीं बताया गया है कि किन दस्तावेजों की जरूरत होगी। चुनाव आयोग को चाहिए कि अपने विज्ञापन में उन दस्तावेजों का भी जिक्र करे। ऐसे दस्तावेजों की मांग ना की जाए, जिसे जुटाना मुश्किल हो। चुनाव आयोग की कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोटर बनें और मतदान में हिस्सा लें। लेकिन उसके ताजा फैसले से बहुत से योग्य वोटरों को परेशानी होगी और मतदान प्रतिशत भी गिर सकता है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का काम तो सालों भर चलते रहता है और उसमें नाम जोड़े और हटाए जाते हैं। सघन पुनरीक्षण कार्यक्रम में भी उन्हीं दस्तावेजों की मांग की जाए जो आमतौर पर पुनरीक्षण के लिए मांगी जाती है।

अजमल ने कहा कि चुनाव आयोग के हवाले से यह बताया जा रहा है कि ऐसे दस्तावेजों की जरूरत होगी, जो कमजोर वर्गों के लोगों के पास या तो नहीं होंगे या उन्हें उसे जुटाने में समय लगेगा। ऐसे में जरूरी है कि इस प्रक्रिया को आसान बनाया जाए और इसके लिए ज्यादा समय दिया जाए। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया के बारे में जो आपत्ति उठायी है चुनाव आयोग को उस पर भी ध्यान देना चाहिए। बता दें कि दो दिन पहले ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी मीडिया से बात करते हुए चुनाव आयोग की कार्यशैली और मंशा पर सवाल उठया था।
