विश्वस्तरीय बनेगा हवेली खड़गपुर का भीमबांध, चुनावी वादों पर सम्राट चौधरी का एक्शन शुरू

खास बातें
– उपमुख्यमंत्री सह गृहमंत्री सम्राट चौधरी ने अधिकारियों को प्रस्ताव बनाने का दिये निर्देश
– वन अनुभव केंद्र, योग ग्राम, आयुर्वेद केंद्र, ट्री हाउस-सह-कॉटेज, व्यू प्वाइंट, ट्रैकिंग मार्ग, भीम-सेन कुंड, ऑर्किड एवं फल उद्यान, वॉच टॉवर का होगा विकास
– आदिवासियों एवं स्थानीय लोगों के रोजगार और विकास के लिए योजनाएं भी प्रस्ताव में होंगी शामिल

Rajesh Thakur / Patna : तारापुर के नवनिर्वाचित विधायक अब बिहार के उपमुख्यमंत्री के साथ ही गृहमंत्री भी बन गए हैं। नयी सरकार के गठन के ठीक से माह भर भी नहीं हुआ है। लेकिन वे ‘रफ्तार पकड़ चुका बिहार’ को और भी गति देने में जुट गये हैं। उन्हें पूरे बिहार के साथ ही अपने क्षेत्र के विकास की भी बड़ी जिम्मेदारी है। चुनाव के दौरान हवेली खड़गपुर के विकास पर ज्यादा जोर देने का प्रेशर उन पर पड़ रहा था। और अब जब मौका मिला तो उन्होंने अपने चुनावी वादों की कसौटी पर खड़ा उतरने की कोशिश भी शुरू कर दी। उपमुख्यमंत्री सह गृहमंत्री सम्राट चौधरी ने कैबिनेट की दूसरी ही मीटिंग में मुंगेर को ‘नागरिक सुरक्षा जिला’ में शामिल करा लिया। और अब हवेली खड़गपुर स्थित पर्यटन केंद्र भीमबाँध को विश्व के मानचित्र पर लाने का कार्य भी शुरू हो गया। उन्होंने घोषणा करने से पहले इसके लिए प्रस्ताव बनाने का निर्देश भी अधिकारियों को दे दिया।

अज्ञातवाश में पहुंचे थे भीम : दरअसल, भीमबाँध का संबंध महाभारत काल से है। इसकी चर्चा इतिहासकार बुकानन ने भी की है। मुंगेर गजेटियर में भी इसका वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव 12 साल के वनवास व्यतीत करने के बाद एक साल का अज्ञातवास की सजा काट रहा था तो कुंती पुत्र भीम खड़गपुर की पहाड़ियों में वेश बदलकर पहुंचे थे। यहां रहने के दौरान हिडिम्बा नामक राक्षसनी से वे प्यार कर बैठे। फिर भीम ने उससे शादी कर ली। दोनों से पुत्र घटोत्कच पैदा हुआ। घटोत्कच्छ इसी जंगल में पल कर बड़ा हुआ। बाद में वह कुरुक्षेत्र में हुई महाभारत की लड़ाई में मारा गया। यह भी कहा जाता है कि भीम ने बाँध भी बाँधा था, इसलिए इसका नाम भीमबाँध पड़ा। महाभारत काल के इतिहास को अपनी सीने में संजोकर रखने वाले भीमबाँध बरसों से विकास की राह देख रहा था। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की पहल से अब यह विश्व के मानचित्र पर फिर से अपना डंका बजायेगा।

उपमुख्यमंत्री ने दिये निर्देश : उपमुख्यमंत्री सह गृहमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि भीमबांध वन्यजीव अभ्यारण के समग्र विकास के लिए विस्तृत परियोजना प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव के साथ बैठक भी की। उन्होंने विभागीय सचिव से कहा कि इस परियोजना का प्रस्ताव जल्द तैयार किया जाए। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रस्तावित परियोजना में महत्वपूर्ण निर्माण और विकास, जिसमें वन अनुभव केंद्र-सह-कार्यशाला एवं प्रशिक्षण केंद्र, वेलनेस सेंटर, योग ग्राम, आयुर्वेद केंद्र, इनडोर गतिविधि क्षेत्र, कैफेटेरिया/भोजनालय, प्रशासनिक भवन, रेस्टोरेंट और सभा-कक्ष, गरम पानी की झील, ट्री हाउस-सह-कॉटेज, व्यू प्वाइंट, ट्रैकिंग मार्ग, लैंडस्केपिंग, भीम-सेन कुंड, ऑर्किड एवं फल उद्यान, वॉच टॉवर/निगरानी मीनार आदि के निर्माण और विकास को शामिल किए जाने का निर्देश दिया है।

रोजगार के खुलेंगे नए द्वार : श्री चौधरी ने कहा कि विकास प्रस्ताव में बेलाटांड़, चोरमारा, नारोकॉल, बहेरातानड़, बघेल, कुकुरझाप धाम, खड़गपुर झील और भौराकुंड को भी जोड़ा जाए। इन क्षेत्रों के पर्यटकीय विकास से भीमबांध वन्यजीव अभ्यारण का और वृहत पहचान स्थापित होगा। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि अभ्यारण के परिक्षेत्र में रहने वाले 12 से 13 हजार आदिवासियों एवं स्थानीय लोगों के रोजगार एवं विकास के लिए योजना बनाकर प्रस्ताव में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर स्थित भीमबांध वन्यजीव अभ्यारण अपनी प्राकृतिक संपदा, गरम जलधाराओं, घने जंगलों और जैव विविधता के लिए अद्वितीय है। इसके विकसित होने से जिले को जहां अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर नयी पहचान मिलेगी, वहीं बड़े पैमाने पर रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर भी सुनिश्चित होंगे। इसका सीधा लाभ जंगल में रहने वाले आदिवासी लोगों को मिलेगा। स्थानीय लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा।

प्रकृति प्रेमियों के लिए भीमबाँध वरदान : गौरतलब है कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भीमबाँध वरदान है। दिसंबर और जनवरी, दो माह यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। खासकर ईयरइडिंग के साथ ही नववर्ष पर देशभर से पर्यटक यहां पिकनिक मनाने के लिए पहुँचते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति के अवसर पर भी काफी संख्या में लोग पिकनिक मनाने पहुँचते हैं। यहां की सबसे खास बात है कि गया के गरम पानी का कुंड या मुंगेर स्थित गरमपानी का सीताकुंड अथवा हवेली खड़गपुर स्थित गरम पानी के लिए फेमस ऋषिकुंड की तरह भीमबाँध का पानी बंधा हुआ नहीं है, बल्कि यहां गरम पानी की बहती हुई नदी है और यहां स्नान करने से कई तरह के चर्म रोगों से लोगों को छुटकारा भी मिलता है। इतना ही नहीं, यहां के पानी पीने से पाचन क्रिया भी सही रहता है। बहरहाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की पहल से भीमबाँध के कायाकल्प होने की उम्मीद जगी है और आजादी के बाद पहली बार होगा कि इसके विकास के साथ स्थानीय लोगों के अलावा आदिवासी लोगों को रोजी-रोजगार का सीधा लाभ मिलेगा।