PATNA (MR) : बिहार में निर्वाचन आयोग की ओर से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का एक चरण खत्म हो चुका है और अब दूसरे चरण में भरे गये फॉर्म (गणना प्रपत्र) के सपोर्ट में डॉक्यूमेंट्स जमा करने का काम होगा। इसके पहले एक अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का प्रकाशन होगा। इसके खिलाफ दर्ज केसों की आज मंगलवार (29 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 12 और 13 अगस्त की तारीख तय की है। कोर्ट ने मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया, जो 1 अगस्त को प्रकाशित होनी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची के पीठ ने आज हुई सुनवाई में कहा कि याचिकाकर्ता अपनी लिखित दलीलें 8 अगस्त तक दाखिल करें। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक बार फिर यह आरोप दोहराया कि चुनाव आयोग द्वारा जारी की जा रही ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कई पात्र वोटरों के नाम छोड़े जा रहे हैं, जिससे उन्हें मतदान के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसे कानून के अनुसार ही काम करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई गड़बड़ी हो रही है तो याचिकाकर्ता उसे अदालत के संज्ञान में ला सकते हैं। आपलोग ऐसे 15 लोगों को सामने लाइए, जिनके बारे में आयोग कह रहा है कि वे मृत हैं, लेकिन वे लोग जीवित हैं, हम इस पर विचार करेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग दोनों पक्षों की ओर से नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जो सभी लिखित दस्तावेज और तर्क समय से दाखिल करेंगे। बता दें कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कल सोमवार को भी सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कल मौखिक रूप से दो आदेश दिया था। पहला, सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को मतदाता सूची का मसौदा (ड्राफ्ट वोटर लिस्ट) जारी करने पर रोक नहीं लगायी, जो आयोग के लिए राहत की बात रही। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर बहस के दौरान कोर्ट याचिकाकर्ताओं की दलीलों से संतुष्ट होता है तो पूरी प्रक्रिया को भी रद्द कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं और दूसरे संगठनों को राहत देते हुए कहा कि चुनाव आयोग वोटर पुनरीक्षण में आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड भी लें। कोर्ट ने राशन कार्ड में गड़बड़ी को मानते हुए आयोग से कहा कि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड के सही होने की धारण है। गड़बड़ी हो तो केस टू केस बेसिस पर आप देखिए। ये दोनों कानूनी पहचान पत्र हैं। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को चुनाव आयोग को सुझाव दिया था कि वोटर से लिए जा रहे कागज में वो आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने पर विचार करे। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने हलफनामा दायर करके कहा कि ये तीनों पेपर भरोसेमंद नहीं हैं, क्योंकि इन्हें गलत तरीके से फर्जी बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कल 28 जुलाई को हुई सुनवाई में चुनाव आयोग के इस स्टैंड को आड़े हाथ लिया और कहा कि धरती पर कोई भी पेपर फर्जी बनाया जा सकता है। आयोग ने जो 11 पेपर मांगे हैं, उन्हें भी फर्जी बनाया जा सकता है। बहरहाल, आयोग ने कोर्ट से कहा है कि किसी भी सही मतदाता का नाम नहीं कटेगा।