Rajesh Thakur / Patna : राजधानी के ऐतिहासिक गांधी में चल रहे पटना पुस्तक मेला में आज शनिवार को ‘संपादक से संवाद’ कार्यक्रम में हिंदुस्तान अखबार के संपादक पाठकों से रूबरू हो रहे थे। उन्होंने सोशल मीडिया के दौर में अखबारों के भविष्य को लेकर उठ रही आशंकाओं पर पूर्ण विराम लगाते हुए कहा कि दुनिया का कोई भी माध्यम आ जाए अखबार कभी खत्म नहीं होगा। हाँ, उन्होंने बेबाकी से स्वीकार करते हुए कहा कि कोविड के बाद अखबार के प्रिंटिंग कॉस्ट में काफी इजाफा हुआ है, इसलिए विज्ञापन का गणित भी अखबार के लिए जरूरी हो गया है। इसके गणित से अखबार को अलग करके नहीं देखा जा सकता है। संपादक से संवाद कार्यक्रम में विनोद बंधु को सुनने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे।

दरअसल, पटना पुस्तक मेला का शनिवार को 10वां दिन था। इस मेले में ‘संपादक से संवाद’ कार्यक्रम के तहत प्रत्येक दिन किसी बड़े समाचार पत्र के संपादक से चर्चा का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में अब तक कई नामी-गिरामी अखबारों के संपादक शामिल हो चुके हैं। इसी क्रम में शनिवार को बिहार के सर्वाधिक लोकप्रिय अखबार’हिंदुस्तान’ के संपादक विनोद बंधु ने शिरकत की। उनसे निखिल आनंद ने बात की। परिचर्चा का विषय था ‘समाचार पत्रों से गायब होता समाज…’। उन्होंने कहा कि जब तक भरोसा बचा रहेगा, तब तक समाज में अखबार बने रहेंगे। आम आदमी की समस्या को सामने लाना ही हमारे बने रहने का सबसे बड़ा कारण है। दुनिया का कोई भी माध्यम आ जाए अख़बार खत्म नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि समाज का भरोसा आज भी अखबार पर ही है। टीवी, डिजिटल और सोशल मीडिया आने के बाद अखबारों की मर्सिया पढ़ दी गयी। बावजूद उसके अख़बार बचे हुए हैं। उन्होंने हिंदुस्तान अख़बार के नाम को लेकर कहा कि इसका नाम आजादी की लड़ाई से प्रेरणा लेकर ही रखा गया है। बिहार में यह पहले प्रदीप के नाम से जाना जाता था। 1986 से बिहार में इसे हिंदुस्तान के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अख़बार में साहित्य और संस्कृति की सिमटती जगह को लेकर कहा कि अखबार का अपना गणित है। कोविड के बाद अखबार छपने की कीमत में असाधारण बढ़ोतरी हुई, इसलिए विज्ञापन को भी देखना पड़ता है। इसके गणित का भी ख्याल रखना पड़ता है। इससे आज के दौर में अखबार अब अलग नहीं हो सकता है।






