Rajesh Thakur / Patna : बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ बिहार के बैनर तले 9 सूत्री मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के वादा खिलाफी, टालमटोल की नीति, आश्वासन एवं घोषणा को धरातल पर लागू नहीं करने के खिलाफ आक्रोश मार्च निकालकर मुख्यमंत्री का घेराव प्रदर्शन किया गया। इसका नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष आमोद निराला एवं प्रदेश उपाध्यक्ष किरण देव यादव ने किया। प्रदर्शन में 2001 से पेंशन चालू करने, पंचायती राज आयोग का गठन करने, एमएलसी चुनाव का वोटर बनाने, सम्मान सुरक्षा सुविधा वेतन बीमा भत्ता पेंशन अधिकार देने, ग्राम कचहरी को सर्वसुविधा संपन्न सुदृढ़ समृद्ध करने, गांव की सरकार को पूर्ण अधिकार देने, गांधीजी का सपना साकार करने, न्याय पगड़ी देने, लाइसेंसी हथियार देने, लंबित वेतन भुगतान करने आदि मांगों को लेकर गगनभेदी नारे लगाये गए। इधर, मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश राय ने पंच-सरपंच संघ के आंदोलन को जायज करार देते हुए पुरजोर समर्थन किया।

प्रदेश अध्यक्ष आमोद निराला ने कहा कि उक्त आंदोलन नौ सूत्री मांगों को लेकर तथा बिहार सरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं पंचायती राज मंत्री के द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद भी उनकी मांगों को धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है। सरकार द्वारा वादा खिलाफी, टालमटोल की नीति अपनायी जा रही है। शांतिपूर्वक जनतांत्रिक तरीके से जुझारू आंदोलन किया गया। प्रदेश उपाध्यक्ष किरण देव यादव ने संबोधित करते हुए 2001 से पेंशन चालू करने, पंचायती राज आयोग का गठन करने, एमएलसी चुनाव का वोटर बनाने से लेकर अन्य मांगों को पूरा करने को कहा। उन्होंने कहा कहा कि जो पंच -सरपंच की बात करेगा, वह बिहार में राज करेगा।
आंदोलन में समस्तीपुर जिला अध्यक्ष महेश राय, प्रदेश महासचिव दिलीप सिंह, सहरसा जिला अध्यक्ष विनोद यादव, मधेपुरा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र यादव, मुंगेर जिला अध्यक्ष राकेश रंजन, संगठन प्रभारी नागेश्वर सिंह, प्रदेश सचिव आर के शेट्टी, जमुई जिला अध्यक्ष केदार प्रसाद, रामस्वरूप यादव, गीतांजलि कुमारी, देवनारायण रजक, प्रहरी संघ के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, लाल मंडल भागवत राम सहित हजारों प्रतिनिधि शामिल हुए।


तत्पश्चात मुख्यमंत्री के नाम स्मार पत्र सौंपा गया। उन्होंने बताया कि पंच-सरपंच संघ का अस्तित्व सम्मान का संघर्ष हुआ। समस्या समाधान करने तथा ग्राम कचहरी को सुदृढ़ एवं समृद्ध करने का सवाल को मजबूती से उठाया गया। गांधीजी का सपना साकार करने एवं गांव की सरकार को पूर्ण अधिकार देने की मांग को लेकर संघर्ष जारी रहेगा। प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार के इस सत्र का अंतिम आंदोलन है। जल्द ही आचार संहिता लगेगी एवं विधानसभा चुनाव का शंखनाद होगा। मांगें पूरी नहीं की गयी तो सरकार को कुर्सी से उखाड़ फेंका जाएगा।
