PATNA (MR) : बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही उन्हें स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों की है। 26 प्रधानाध्यापक जिनके सक्षम नेतृत्व में बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (BSVP) के तहत स्कूलों को राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला। वे अन्य स्कूलों को प्रेरित करने और राज्य भर के स्कूलों में वॉश (जल, स्वच्छता एवं साफ़-सफ़ाई) मानकों में सुधार करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे। बिहार सरकार पहले से ही मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छता मानकों में सुधार करने की कोशिश कर रही है। ये बातें शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहीं।
बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (2021) वितरण समारोह सह 2022 के लिए दिशा निर्देशों पर आयोजित कार्यशाला शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम बीएसवीपी के पहले चरण को 7 महीने की छोटी अवधि में पूरा करने में सक्षम हुए हैं, जो वास्तव में उल्लेखनीय है। यह आयोजन निश्चित रूप से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूलों को न केवल बिहार एसवीपी बल्कि राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की नामांकन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करेगा।
बीएसवीपी 2021 के टॉप तीन विजेता स्कूलों में मध्य विद्यालय, उफरैल (पूर्णिया), उत्क्रमित इंदिरा आवास मध्य विद्यालय, बिलौटी (भोजपुर) और उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बादलपुरा (बेगूसराय) शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इन तीनों स्कूलों ने यह उपलब्धि महिला प्रधानाध्यापकों के नेतृत्व में हासिल की है। टॉप तीन विजेता स्कूलों को 50-50 हजार रुपये पुरस्कार में दिये गए, जबकि उनके प्राचायों को 10-10 हजार की राशि दी गयी। इसके अलावा वहां के शिक्षकों को भी अलग से 5-5 हजार नगद पुरस्कार दिये गए। इसी तरह बाकी स्कूलों को 25-25 हजार और प्राचायों को 7500-7500 रुपये दिये गये। वहीं शिक्षकों को भी 4-4 हजार दिये गये।
उत्क्रमित इंदिरा आवास मध्य विद्यालय, बेलौटी की प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि छात्र-छात्राएं शुरू-शुरू में स्वच्छता की जिम्मेदारी लेने से हिचकिचाते थे, लेकिन जब शिक्षक खुद स्कूल परिसर और शौचालय की सफाई करने लगे तो विद्यार्थी भी सफाई की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे आए। हमने बच्चों को शौचालय का उपयोग करने बाद एवं मध्याह्न भोजन से पहले हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित किया और इसके लिए पानी व साबुन की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई। उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बादलपुरा की प्रधानाध्यापिका कंचन कुमारी ने कहा कि हमने बच्चों के व्यवहार में बदलाव पर ध्यान केंद्रित किया है। नतीजतन, हमारे छात्रों को अब कोई निर्देश देने की आवश्यकता नहीं होती और वे सक्रिय रूप से स्कूल परिसर की साफ़-सफाई की जिम्मेदारी ले रहे हैं।
सभी पुरस्कृत प्रधानाध्यापकों और स्कूल स्टाफ के प्रयासों की सराहना करते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि कई स्कूलों में स्कूल परिसर और शौचालयों की सफाई और रखरखाव अभी भी एक बड़ी चिंता है। इसके साथ ही हाथ धोने को आदत के तौर पर बढ़ावा देने की जरूरत है। डीईओ और विभाग के अन्य अधिकारियों को स्कूलों का दौरा करते समय शौचालयों की सफाई और रखरखाव की जांच पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। सम्मिलित प्रयासों से हम बिहार में स्वच्छता को निश्चित तौर पर जन आंदोलन बना सकते हैं।
यूनिसेफ बिहार के प्रोग्राम मेनेजर शिवेंद्र पांड्या ने कहा कि कुल 77,983 विद्यालयों में से 72,486 को स्व-नामांकन करते देखना सुखद रहा। इनमें से कुल 66,125 विद्यालयों ने सफलतापूर्वक नामांकन की पूरी प्रक्रिया अब तक पूरी कर ली है। उन्होंने कार्य के और गति पकड़ने की आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जो बचे हुए विद्यालय हैं, वो भी आने वाले वर्षों में नामांकन पूरा कर लेंगे। बीएसवीपी की वेबसाइट के संबंध में उन्होंने बताया कि अभी तो ये एक बाहरी संस्था की देखरेख में है, लेकिन वेबसाइट का काम भी जल्दी ही विभाग के शैक्षणिक वेबसाइट के साथ चलने लगेगा।
26 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ-साथ 38 जिलों से डीईओ, डीपीओ एवं सहायक अभियंता भी इस पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। पुरस्कार वितरण के पश्चात जिला स्तर के शैक्षणिक अधिकारियों ने बीएसवीपी 2021 की अब तक की यात्रा पर चर्चा करते हुए इसके मुख्य बिन्दुओं, चुनौतियों और समस्याओं के साथ-साथ कैसे इन दिक्कतों को दूर किया गया, इस बारे में एक-दूसरे से जानकारी साझा की।
श्रीकांत शास्त्री, राज्य परियोजना निदेशक, बीईपीसी ने कहा कि हम बीएसवीपी की यात्रा को उसके मुकाम तक पहुँचाने के लिए कृतसंकल्प हैं। इस मौके पर उन्होंने स्कूलों की ओर से वाश (डब्ल्यूएएसएच) युनिसेफ के सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।