बिहार में नए साल पर घूमने के ये बेस्ट लोकेशंस, हिस्ट्री और नेचुरल ब्यूटी का परफेक्ट कॉम्बिनेशन

PATNA (RAJESH THAKUR) : नए साल को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं। ऐसे में लोग पिकनिक के लिए जनवरी की पहली तारीख से ही प्लानिंग करने लगते हैं। हालांकि जिनके पास आर्थिक आजादी है, वे तो देश के किसी भी इलाके में घूमने के लिए चले जाते हैं, लेकिन मिडिल क्लास के लोगों के लिए महंगाई प्रॉब्लम कर देती है। वे अपने राज्य से बाहर नहीं जा पाते हैं। वैसे लोगों को भी टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। बिहार में भी घूमने के लिए एक से एक लोकेशन हैं। बिहार सरकार ने भी राज्य में पर्यटन स्थल बढ़ाने की बात कही है। पर्यटन विभाग भी इस पर काम कर रहा है। ऐसे में हम आपको बिहार के उन 5 प्रमुख लोकेशंस के बारे में बताएंगे, जहां आप Happy New Year का लुफ्त पूरी फैमिली के साथ जाकर उठा सकते हैं…

नालंदा : नालंदा में मतलब राजगीर। यहां घूमने के लिए क्या नहीं है। पौराणिक से आधुनिक तक की चीजें यहां मिलेंगी। यहां के फेमस ​लोकेशन में पावापुरी सबसे आगे है। यह जैन धर्म के अनुयाइयों का एक पवित्र स्थल है। पावापुरी को अपापुरी के नाम से भी जाना जाता है। एक समय में इसे मॉल महाजनपद की जुड़वां राजधानी के रूप में भी जाना जाता था। राजगीर में ही भगवान महावीर का जन्म स्थान कुंडलपुर अवस्थित है। इसी के आसपास भव्य जल मंदिर है, जहां भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था। यहां का वेणुवन भी घूमने के लिए बेस्ट है। कहा जाता है, वेणुवन में भगवान बुद्ध मुस्कुराते रहते हैं। बगल में ही घोड़ाकटोरा झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है। यहां बोटिंग करने का अपना ही मजा है। जब यहां सूरज ढलता है तो झील की सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है। इसी तरह नेचर सफारी और जू सफारी भी आप घूम सकते हैं। जू सफारी में आप जंगली जानवरों को खुले में विचरण करते हुए देख सकते हैं। पर्यटक बख्तरबंद गाड़ियों में बैठकर बाघों को टहलते हुए देख सकते हैं। और हां, जब आप राजगीर पहुंच ही गए हैं तो भला स्काई ग्लास घूमना क्यों छोड़ेंगे। स्काई ग्लास ने इलाके की ही नहीं, बिहार की भी खूबसरती में चार चांद लगा दिया है। खास बात कि देश का यह पहला स्काई ग्लास है। और समय मिले तो लगे हाथ आप नालंदा विश्वविद्यालय भी घूम सकते हैं। इस विश्वविद्यालय में पूरा इतिहास छिपा हुआ है।

मुंगेर : नए साल पर मुंगेर में भी घूमने के लिए कई लोकेशंस हैं और सबके सब प्रकृति की गोद में अवस्थित है। मीर कासिम का किला आज भी शान से खड़ा है। इसका इतिहास बंगाल के नवाब मीर कासिम से जुड़ा हुआ है। बंगाल पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया था, तब मीर कासिम ने मुंगेर में गंगा तट पर किला का निर्माण कराया था। किला परिसर में ही नवाब का रेसिडेंस भी था। इसी परिसर में योगाश्रम है। यह योगाश्रम विश्व की पहली योग यूनिवर्सिटी भी है। इसकी वजह से यहां सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। मुंगेर में ही भीमबांध और खड़गपुर झील हैं। पर्यटन की दृष्टि से दोनों ही पूरे बिहार का गौरव हैं। भीमबांध में तो लोग केवल विंटर सीजन में घूमने जाते हैं, जबकि झील पर लोग सालों भर घूमते हैं। भीमबांध का संबंध महाभारत काल से है, जबकि झील का संबंध दरभंगा महाराज के कार्यकाल से। भीमबांध में गरम पानी की नदी है। अपने समय में चीनी यात्री ह्वेनसांग और फहियान दोनों आए थे। वहीं मुंगेर गजेटियर के अनुसार इतिहासकार बुकानन ने खड़गपुर झील की तुलना स्वीटजरलैंड की किलनरी झील से की थी।

सासाराम : सासाराम में भी घूमने के कई लोकेशंस हैं। इनमें रोहतास गढ़ किला और शेरशाह का मकबरा काफी लोकप्रिय हैं। दरअसल,  सासाराम बिहार का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है.. यह रोहतास का जिला मुख्यालय है.. यहां मंदिर, मकबरा, पहाड़ी, हरियाली से लेकर जलप्रपात तक वह सब कुछ हैं, जो एक पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए चाहिए। यहां की हरियाली, पहाड़ी, किले और कल-कल बहती नदियों और झरनों के बीच आकर आप जिम कॉर्बेट और मसूरी झील को भूल जाएंगे। पौराणिक हिंदू राजा हरीशचंद्र का बनवाया रोहतास गढ़ का किला आज भी खंडहर के रूप में खड़ा है। शेरशाह सूरी का मकबरा की खूबसूरती देखते ही बनती है। यह एक बड़े सरोवर के बीचोंबीच लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। हिंद-इस्लामी वास्तुकला की खूबसूरती को लिए यह मकबरा देश के सबसे सुंदर स्मारकों में से एक है। हिस्ट्री और नेचुरल ब्यूटी के परफेक्ट कॉम्बिनेशन के रूप में इसकी ख्याति है।

दरभंगा : दरभंगा महाराज का किला भी किसी टूरिस्ट पैलेस से कम नहीं है। एक जमाने में उनके कायल अंग्रेज भी रहे थे। अपनी शानो शौकत के लिए दरभंगा महाराज की कोई सानी नहीं है। आज भले ही तेजस के रूप अपने देश में प्राइवेट ट्रेन शुरू हुई है, लेकिन दरभंगा महाराज उस जमाने में अपने आंगन में ट्रेन को चलवाया था। ब्रिटिश हुकूमत की ओर से उन्हें महाराजाधिराज की उपाधि दी गई थी। तभी से वे महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कहलाने लगे। इस राजकुल के वे 20वें महाराज थे। जब अपना देश आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ रहा था, उसी दौरान सुरक्षा को लेकर महाराज ने 85 एकड़ जमीन पर आलीशान व मजबूत किले का निर्माण कराया था। उस जमाने में इसकी सुंदरता दिल्ली के लाल किले से किसी मायने में कम नहीं थी। 90 फीट ऊंचे इस लाल किले का निर्माण 1934 के भूकंप के बाद शुरू हुआ था, जो सालों तक चलता रहा। दरभंगा किले के अंदर न सिर्फ महाराज का निवास था, बल्कि 11 देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर भी हैं। जब किला के अंदर ट्रेन चलती थी तो उसके लिए प्लेटफॉर्म बनाए गए थे। सरकार इस पर थोड़ा ध्यान दे तो बेशक यह मिथिलांचल का बेस्ट टूरिस्ट पैलेस बन जाएगा। यहां कोई सुविधा नहीं रहने के बाद भी काफी संख्या में लोग दरभंगा महाराज का किला देखने आते हैं। दरभंगा के निकट मधुबनी में बना मिथिला हाट भी लोगों को लुभा रहा है।

भागलपुर : नए साल पर भागलपुर जोन में भी घूमने के कई लोकेशंस हैं। सिल्क सिटी के रूप में फेमस भागलपुर मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर पूरब में कहलगांव के निकट विक्रमशिला विश्वविद्यालय का खंडहर आज भी अपनी कहानी कह रहा है। इसे देखने के लिए केवल देश से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते हैं। इसे प्राचीन राजकीय विश्वविद्यालय के रूप में भी जाना जाता है। इसकी स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने आठवीं सदी के अंतिम वर्षों या नौवीं सदी की शुरुआत में की थी। 13वीं सदी की शुरुआत में यह नष्ट हो गया था। आज यह खंडहर पर्यटकों के लिए टूरिस्ट पैलेस बन गया है। इसके अलावा आप भागलपुर मुख्यालय से सटे गंगा तट पर कुप्पा घाट भी घूम सकते हैं। पूजा-पाठ के शौकीन हैं तो फिर भागलपुर के पश्चिम में सुलतानगंज स्थित अजगैबीनाथ मंदिर घूम सकते हैं। यह मंदिर उत्तरवाहिनी गंगा नदी की बीच धारा में अवस्थित है। इन 5 जिलों के लोकेशंस के अलावा पटना, चंपारण, सारण, गोपालगंज, पूर्णिया, बांका आदि जिलों में भी कई लोकेशंस हैं, जहां आप भर विंटर सीजन घूम सकते हैं।

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