PATNA (MR) : चंद्रयान-3 की सफल और सॉफ्ट लैंडिंग के सप्ताह भर बाद ही एक बड़े खगोलीय घटना में दुनिया भर के लोगों ने सुपर ब्लू मून (Super Blue Moon) को देखा। बिहार की राजधानी पटना में भी लोगों ने इस दुर्लभ नजारे का लुत्फ उठाया। आसमान साफ रहने की वजह से लोगों ने न केवल जी भर के देखा, बल्कि इसे कैमरों में कैद भी किया। देर शाम निकला चांद बाकी पूर्णिमा से 14 प्रतिशत बड़ा था। खास बात कि इस खगोलीय नजारे का गवाह चंद्रयान-3 भी बना। 

दरअसल, इस साल अगस्त महीने में दो पूर्णिमा होने की वजह से सुपर ब्लू मून दिखा। पहली पूर्णिमा 1 अगस्त को थी और दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त को हुई। बता दें कि अंतरिक्ष में खगोलीय घटनाओं की वजह से न्यू मून, फुल मून, सुपर मून और ब्लू मून आसमान में नजर आते हैं। जब एक माह में दो फुल मून निकलते हैं तो दूसरे वाले फुल मून को ब्लू मून या सुपर ब्लू मून कहा जाता है। साइज के साथ ही इसका कलर भी थोड़ा अलग होता है। इतना ही नहीं, अगर किसी वर्ष दो या दो से अधिक महीने में दो पूर्णिमा होती है तो तो उस साल को मून ईयर कहते हैं। वर्ष 2018 ऐसा ही मून ईयर था। तब जनवरी और मार्च महीने में दो-दो पूर्णिमा हुई थीं। वहीं आज वाला सुपर ब्लू मून अब 2037 में होने की बात कही जा रही है। 

खास बात कि आज रात की खगोलीय घटना चंद्रयान-3 की चांद पर उपस्थिति में हुई है। ऐसे में यह घटना लोगों के लिए खास हो गया। बताते चलें कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर कदम रखा था। 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे लॉन्च किया गया था। 40 दिन की यात्रा तय करके चंद्रयान ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी। ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है।

दरअसल, चांद का एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है। इसमें 14 दिनों की रात और 14 दिनों का दिन होता है। 23 अगस्त को यहां सूरज निकला था और उसी दिन चंद्रयान-3 ने चांद पर कदम रखा था। साउथ पोल पर आज तक किसी देश का स्पेस क्राफ्ट नहीं पहुंचा है। भारत को इस मामले में बड़ी कामयाबी मिली। अब तो प्रज्ञान वहां से फोटो भी भेजने लगा है। यह भी पता चला है कि वहां ऑक्सीजन भी है। अन्य गैसों का भी पता चला है। अब हाईड्रोजन की खोज की जा रही है।

बहरहाल, सूरज ढलने के तुरंत बाद जब थाली जैसा चांद आकाश में निकला तो लोग उसकी तस्वीर लेने को बेचैन हो गए। कोई कैमरा से तो कोई मोबाइल फोन से ही इस खूबसूरत नजारे को कैद करने लगा। 30 अगस्त की रात 8 बजकर 37 मिनट पर चांद सबसे ज्यादा चमकदार दिख रहा था। लोगों की मानें तो यह नजारा वाकई दिलचस्प था। छतों पर चढ़कर लोग देर रात चंदामामा को निहारते रहे। 

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