PATNA (MR) : मलमास 16 अगस्त को खत्म हो गया। इसकी वजह से इस बार दो सावन चल रहा है। 17 अगस्त से फिर से कांवरिया मेला शुरू हो गया। लेकिन, सबसे बड़ा कन्फ्यूजन रक्षाबंधन को लेकर है। बहनें राखी किस तिथि को बांधेंगी, 30 अगस्त को या 31 अगस्त को ? भद्रा का साया कब तक रहेगा ? दरअसल, मलमास की वजह से रक्षाबंधन, नागपंचमी, जन्माष्टमी समेत कई व्रत और त्योहार देर से हो रहे हैं। वैसे तो सभी पर्व-त्योहार महत्वपूर्ण हैं, किंतु रक्षाबंधन को लेकर बहनें काफी उत्साहित रहती हैं।
वे अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र के साथ ही उनकी सुख-समृद्धिके लिए भगवान से कामना करती हैं। इसके बदले में भाई भी बहन के जीवन में आने वाली हर मुसीबत से उसकी रक्षा करने का संकल्प लेता है। यदि खुशी के इस त्योहार पर ‘भद्रा’ का संकट रहे तो बहनों को चिंतित रहना लाजिमी है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पूर्णिमा कब है, रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कौन-सा है और भद्रा की टाइमिंग क्या है ?
राजा बली की कहानी : रक्षाबंधन से सबसे चर्चित कहानी राजा बली से जुड़ी हुई है। राजा बली बहुत दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। एक बार यज्ञ के दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए। उन्होंने दान में राजा बली से तीन पग भूमि मांगी। लेकिन, भगवान ने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश को नाप लिया। तीसरे के लिए राजा ने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया। फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें। भगवान ने उनकी बात मान ली और वे बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए। उधर, देवी लक्ष्मी परेशान हो गईं। फिर उन्होंने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सामने पहुंचीं और राजा बलि को राखी बांधी। फिर उन्होंने भगवान को मांग लिया। जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीना चर्तुमास के रूप में जाना जाता है, जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी तक होता है।
द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को बांधा साड़ी का पल्लू : इसी तरह एक कहानी महाभारत से भी जुड़ी है। राजसूय यज्ञ के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया था। इस क्रम में श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्र से छोटी उंगली थोड़ी कट गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। वह सावन पूर्णिमा का दिन था। इनके अलावा और भी कई प्रसंगें हैं।
कौन हैं भद्रा : धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन और भगवान सूर्य व माता छाया की संतान हैं। उनका जन्म राक्षसों व दैत्यों के विनाश के लिए हुआ था। कहा जाता है कि भद्रा जन्म लेते ही पूरे सृष्टि को अपना निवाला बनाने लगी थीं। इससे शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ और अनुष्ठान में भी विध्न आने लगा। इस कारण से जब भद्राकाल लगता है तो शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, भद्रा का वास तीन लोकों में होता है। वह स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी लोक में वास करती हैं। जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में मौजूद होते हैं, तब भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है। इस बार भद्रा का वास पृथ्वीलोक पर है। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण की बहन ने भद्राकाल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का नाश हुआ था।
यह है शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचाग के अनुसार, इस साल पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से शुरू होगी तथा यह 31 अगस्त 2023 को सुबह 7 बजकर पांच मिनट तक रहेगी। लेकिन, पूर्णिमा के साथ ही भद्राकाल भी शुरू हो जाएगा। भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से ही भद्राकाल भी लग जाएगा, जो रात 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। ऐसे में 30 अगस्त को भद्रा खत्म होने पर रात में 09 बजकर 02 मिनट से 31 अगस्त की सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक राखी बांधी जा सकती है। वैसे अधिसंख्य ज्योतिष का कहना है कि उदयातिथि के अनुसार 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक राखी बांध लेनी चाहिए।