PATNA (SMR) : बिहार विधान सभा भवन के शताब्दी समारोह का समापन कार्यक्रम 12 जुलाई को संपन्न हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी लोगों को लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए। उन्होंने बिहार की गौरवगाथा को स्वीकार करते हुए इसे लोकतंत्र की जननी बताया। वरीय संसदीय पत्रकार वीरेंद्र यादव भी बिहार विधानसभा के शताब्दी समापन समारोह में मौजूद थे। उन्हीं की आँखों-देखी आप भी जानिए वहां क्या हुआ :
हम समापन समारोह की शुरुआत भोज से करते हैं। कार्यक्रम के बाद अतिथियों के लिए शानदार भोज का आयोजन किया गया था। एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट खाना। इसके लिए दो पंडाल बनाये गये थे। खाने के पंडाल में विधान मंडल के नये-पुराने सदस्य का संगम बन गय था। खाने के साथ अनुभव भी बांटे जा रहे थे। पंडाल पर मजबूत पहरेदारी भी थी कि बिना कार्ड वाला कोई प्रवेश न कर जाये। यह अलग बात है कि विधान मंडल परिसर में पहुंचा हर व्यक्ति कार्डधारी ही था।
हम भोजन करके निकल ही रहे थे कि प्रधानमंत्री को एयरपोर्ट से रवाना कर स्पीकर विजय कुमार सिन्हा पंडाल में पहुंचे। हमने अभिवादन कर उन्हें कहा कि प्रधानमंत्री का प्रोग्राम काफी अच्छा रहा। वे अतिथियों से स्वागत में आगे बढ़े। उन्होंने दोनों पंडालों में अतिथियों से बातचीत की और आयोजन में शामिल होने के लिए आभार जताया।
हम करीब पौने पांच बजे विधायक राहुल तिवारी के आवास में अपनी फटफटिया खड़ी कर हार्डिंग रोड से विधान सभा की ओर पैदल आने लगे। रास्ते में हर जगह पुलिस तैनात थी। रेलवे क्रांसिंग के पास भी बैरियर लगा हुआ था। विधान मंडल के मुख्य गेट के सामने तक अतिथियों को अपने वाहन से आने की सुविधा थी। प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर जिन सड़कों पर वाहनों का परिचालन बंद था, उन सड़कों पर पासधारी वाहनों की आवाजाही की छूट थी। अतिथि (जिनमें लगभग सभी वर्तमान व पूर्व सांसद और विधानमंडल सदस्य थे) शहीद स्मारक के निकट वाहन से उतरकर पैदल की सुरक्षा जांच से गुजर कर समारोह स्थल पर पहुंच रहे थे।
विधानमंडल के मुख्य गेट पर फोटाग्राफरों का जमावाड़ा लगा हुआ था। इन लोगों ने बताया कि कैमरा लेकर अंदर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि सबके पास जिला प्रशासन द्वारा निर्गत कवरेज पास उपलब्ध था। पटना में ऐसा पहली बार हुआ, जब जिला प्रशासन द्वारा निर्गत कवरेज पास होने के बावजूद फोटोग्राफरों को कैमरा के साथ कार्यक्रम स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गयी। तैनात अधिकारियों का कहना था कि ये लोग कैमरा छोड़कर जा सकते हैं।
हम भी सुरक्षा जांच से गुजरते हुए अंदर प्रवेश किये। अंदर में बने काउंटरों पर सभी कार्डधारियों की एंट्री की जा रही थी। उनके पास (आमंत्रण पत्र) का नंबर और नाम का मिलान किया जा रहा था। पीने के पानी का भी वहीं इंतजाम था। जब हम पंडाल के अंदर पहुंचे तो लगभग भरा हुआ था। मीडिया दीर्घा में पहुंचकर हम भी आसन जमा लिये। सीट छोड़ने का मतलब था, बेदखल होना। इसलिए कार्यक्रम के समापन तक कुर्सी पर जमे रहे। प्रधानमंत्री के आने तक हॉल में लगे स्क्रीन पर विधान सभा सचिवालय की उपलब्धियों की डाक्यमेंट्री दिखायी जा रही थी।
प्रधानमंत्री के परिसर में पहुंचने के बाद उनका कवरेज शुरू हुआ। प्रधानमंत्री शताब्दी स्मृति स्तंभ के अनावरण समेत अन्य निर्धारित कार्यक्रमों के बाद करीब 6.10 बजे मुख्य मंच पर आये। स्वागत कार्यक्रम के बाद स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने शताब्दी समारोह के आयोजन को लेकर विधान सभा सचिवालय की कोशिश पर प्रकाश डाला। समारोह में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री से पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग करते हुए संसदीय अध्ययन केंद्र खोलने का आग्रह भी किया। हालांकि तेजस्वी यादव ने जिनती मजबूती से अपने मुद्दे को उठाया है, उनकी प्रस्तुति उतनी की कमजोर रही। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में विधान सभा भवन शताब्दी समारोह की परिकल्पना में पूर्व विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के योगदान को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि शताब्दी समारोह की परिकल्पना 2016 में पूर्व अध्यक्ष श्री चौधरी ने गढ़ा था, उसकी नींव डाली थी और आज शताब्दी समारोह का समापन हुआ। बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की उस मांग को खारिज कर दिया था, जिसमें नीतीश कुमार ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की थी। आज प्रधानमंत्री नेता प्रतिपक्ष की मांग पर मौन रह गये, जिसमें तेजस्वी यादव ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की।