SP Murder Mistry : दो दशक बाद भी अपने कप्तान की हत्या की गुत्थी नहीं सुलझा सकी मुंगेर पुलिस

MUNGER (CHAITANY) : जनवरी 2005 को भीमबांध के सोनरवा में हुए बारूदी विस्फोट में  5 सुरक्षाकर्मियों सहित मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू की शहादत कुछ मामलों में अब भी रहस्य बना हुआ है। 1997 बैच के जांबाज एसपी सुरेंद्र बाबू मुंगेर में अपनी पदस्थापना के ठीक 22 वें दिन अतिवादी संगठन एमसीसी एवं मारक दस्ता पीएलजीए के गठजोड़ के बाद बने सीपीआई माओवादी लेनिनवादी द्वारा अंजाम दिए गए लोमहर्षक हत्याकांड के शिकार बने थे। इस रहस्यमयी हत्याकांड की परत-दर-परत अब खुलता प्रतीत होता है।

इस मुठभेड़ में शामिल रहे एक प्रत्यक्षदर्शी विश्वस्त सूत्रों की मानें तो बारूदी सुरंग की विस्फोट के बाद भी मुंगेर एसपी सकुशल थे। इसी सूत्र द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार विस्फोट में पूरी जिप्सी धरातल से 20 फीट ऊपर लहराकर हवा में ही ब्लास्ट हुई थी, लेकिन ठीक विस्फोट के वक्त ही जिप्सी के अगले गेट खुल जाने के कारण एसपी सुरेंद्र बाबू बाहर फेंका गए थे और नीचे जमीन पर गिरते ही उन्होंने अपनी पिस्टल का रुख दूर खड़े नक्सलियों की ओर झोंक दिया, लेकिन मुठभेड़ के वक्त मौजूद दूसरी गाड़ी पर चल रहे अन्य सुरक्षाकर्मी विस्फोट के बाद इतने भयभीत हुए  थे कि उन्होंने वस्तु स्थिति को समझे बगैर जहां-तहां दुबक गए।

उधर,  मुंगेर एसपी केसी सुरेंद्र बाबू जो उस वक्त जिंदा थे, को पीएलजीए के मारक दस्तों ने समीप आकर गोलियों से छलनी कर दिया। इन्हीं सूत्रों की मानें तो यदि विस्फोट के बाद उनके साथ चल रहे सुरक्षाकर्मी आक्रामक हो जाती तो नक्सलियों से मुठभेड़ किया जा सकता था और शायद एसपी की जान भी बच जाती। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि जहां सभी सुरक्षाकर्मियों के परखच्चे उड़ गए थे, वहीं एसपी के शव में सिर्फ गोलियों के सुराख थे।

बता दें कि घटना के एक दिन पूर्व ही 4 जनवरी 2005 को लखीसराय के कजरा रेलवे स्टेशन पर इसी दस्ते ने आरपीएफ से 4 राइफल और 1 कार्बाइन लूटी गई थी। उसी स्टेशन पर एक मतदाता परिचय पत्र मिला था, जो भीमबांध के समीपवर्ती गांव के किसी नागरिक का था। मुंगेर एसपी उसी सिलसिले में दबिश देने अगले ही दिन भीमबांध पहुंच गए थे। 

सूत्र बताते हैं कि यह भी नक्सली मास्टरमाइंड की एक चाल थी और लौटते वक्त एसपी व्यूह रचना में फंस गए। उस वक्त सुलतानगंज सबजोन की कमान वरीय कमांडर सुबीर दा उर्फ सुधीर दा के पास थी और मारक दस्ते के प्रमुख सुनील हेम्ब्रम उर्फ बड़का सुनील थे। तब इस घटना में एसपी सुरेंद्र बाबू के अलावा आरक्षी ध्रुव ठाकर, ओमप्रकाश गुप्ता, मुहम्मद अंसारी, शिवकुमार राम और ड्राइवर मुहम्मद इस्लाम वीरगति को प्राप्त हुए थे।

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