Bihar MLA Election 2025 : Exit Poll क्या बिहार में हुए चुनाव की ‘Actual’ तस्वीर है, सवाल तो हमेशा उठते रहे हैं…

Kamlakant Pandey / Patna : बिहार विधान सभा चुनाव एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत मिला है। अब तक छह एजेंसियों के एग्जिट पोल में एनडीए को फिर से बहुमत दिया गया है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट पोल में भी एनडीए को 145-160 सीटें और महागठबंधन को 73-91 सीटें दिए गए हैं। बाकी विभिन्न प्रेस सहित अन्य सर्वे संस्थान के रिपोर्ट को नीचे खाका में अवलोकनार्थ अंकित किए गए हैं। बस, दो दिनों का और इंतजार पक्ष-विपक्ष के नेताओं एवं समर्थकों को करना पड़ेगा। इसके साथ बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण का मतदान आज 68.6% की वोटिंग का ऐतिहासिक रिकार्ड बना है। 20 जिलों की 122 सीटों के लिए वोट डाले गए हैं। अंतिम चरण में बंपर वोटिंग हुई है। शाम 5 बजे तक 67.14 प्रतिशत मतदान हुआ। पिछली बार से अधिक मतदान हुआ है। पहले चरण में 6 नवंबर को राज्य के 18 जिलों में 121 विधानसभा सीटों पर आजादी के बाद सर्वाधिक 65% वोटिंग हुई थी।

अबकी बार किसकी सरकार : पिछले कई चुनावों के अनुभव बताते हैं कि एग्जिट पोल हर बार सटीक साबित नहीं होते रहे हैं। कई मौकों पर अनुमान और असली नतीजे एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत रहे हैं। यही वजह है कि इस बार भी लोग उत्सुक तो हैं, लेकिन पूरी तरह भरोसा नहीं कर रहे हैं। दूसरे और अंतिम चरण की वोटिंग के साथ ही अब हर किसी को 14 नवंबर की मतगणना का इंतजार है। हालांकि मतगणना से पहले अब हर किसी की नजर उस एग्जिट पोल पर है, जिससे अंदाजा लगाया जाए कि इस बार राज्य में किसकी सरकार बनने वाली है। दूसरे चरण के मतदान खत्म होने के साथ ही शाम से टीवी चैनल्स और सर्वे एजेंसियां अपने अनुमान जारी कर रही है। आम मतदाता से लेकर बड़े-बड़े राजनीतिक चेहरों तक, सभी के मन में सिर्फ एक सवाल है- बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी?

बहसों के बीच उत्साह : एग्जिट पोल चुनाव परिणामों के अनुमान भर होते हैं, लेकिन चुनावी मौसम में इन्हें लेकर उत्साह हमेशा चरम पर रहता है। सोशल मीडिया, राजनीतिक जमघटों और खबरिया बहसों में इसी पर चर्चा जारी है। अधिकतर सर्वे बिहार में एनडीए की सरकार की वापस आने का अनुमान लगा रहे हैं, वहीं महागठबंधन को बहुमत से दूर बता रहे हैं। यही वजह है कि इस बार भी लोग उत्सुक तो हैं, लेकिन पूरी तरह भरोसा नहीं कर रहे। 2015 और 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में भी एग्जिट पोल्स ने जिस तरह के आंकड़े पेश किए थे, नतीजे उससे बिल्कुल उलट थे। ऐसे ही कुछ और चुनावों के एग्जिट पोल पर नजर डालें तो परिणाम में तब्दील नहीं हो सके। दरअसल, एग्जिट पोल हर चुनाव में लोगों की उत्सुकता का केंद्र होते हैं। ये सर्वे मतदान के तुरंत बाद जारी होते हैं और यह अंदाजा लगाने की कोशिश करते हैं कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं, लेकिन समय-समय पर ऐसे कई मौके आए जब एग्जिट पोल पूरी तरह गलत साबित हुए और असली परिणाम उनके आंकड़ों से बिल्कुल उलटफेर आए हैं। 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव इसका एक ताज़ा उदाहरण है। मतदान समाप्त होने के बाद लगभग सभी बड़े एग्जिट पोल ने यह दावा किया था कि कांग्रेस आसानी से सत्ता में वापसी करेगी। लगभग हर अनुमान में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाया गया, लेकिन जब मतगणना शुरू हुई तो नतीजे बिल्कुल उलटे साबित हुए। भारतीय जनता पार्टी ने 50 से ज़्यादा सीटें जीतते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया। यह परिणाम देश के राजनीतिक विश्लेषकों और सर्वे एजेंसियों के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि एग्जिट पोल में इस तरह की जीत का संकेत कहीं नहीं था।

2015 में दिल्ली : इसी तरह, दिल्ली के 2015 विधानसभा चुनाव की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। यहां आम आदमी पार्टी के लिए जीत के संकेत जरूर दिए गए थे, लेकिन कोई भी सर्वे यह कल्पना नहीं कर पाया था कि यह जीत एक सुनामी का रूप ले लेगी। आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें मिलीं, जो भारतीय चुनाव इतिहास की सबसे बड़े जनादेशों में से एक के रूप में दर्ज हुई। एग्जिट पोल ने अधिकतम 50 सीटें तक का अनुमान लगाया था, लेकिन नतीजों ने सारे गणित को किनारे कर दिया था। वहीं 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल ने एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला दिखाया था, लेकिन नतीजों में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला महागठबंधन भारी बहुमत के साथ विजेता बनकर उभरा था। राजद उस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आया, जबकि एनडीए स्पष्ट रूप से पीछे रह गया था। यह परिणाम भी एग्जिट पोल के लिहाज से पूरी तरह से बदल गया था।

2024 का लोकसभा चुनाव : 2024 के लोकसभा चुनाव में तो एग्जिट पोल और नतीजों के बीच का अंतर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था। कई एग्जिट पोल्स ने यह छवि बनायी कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 400 से अधिक सीटों तक पहुंच सकता है, लेकिन जब नतीजे घोषित हुए तो एनडीए गठबंधन 293 सीटों तक सीमित रह गया। भाजपा की सीटें भी 2019 की तुलना में काफी कम 240 रह गई. इस चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन ने कई क्षेत्रों में मजबूत वापसी की और यह दिखाया कि सार्वजनिक राजनीतिक लहर और मतदाता की वास्तविक पसंद हमेशा एक जैसी नहीं होती है। हरियाणा के 2024 विधानसभा चुनाव में भी यही पैटर्न दोहराया गया। जहां अधिकांश एग्जिट पोल्स ने कांग्रेस को बहुमत दिखाया था, वहीं परिणामों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इस एग्जिट पोल में कांग्रेस को 44 से 64 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था जबकि भाजपा को सिर्फ 15 से 32 सीटें मिलने का अनुमान था। लेकिन भाजपा ने 48 सीटें जीत ली और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। उत्तरप्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव को भी याद किया जाना चाहिए, जब लगभग सभी सर्वेक्षण हंग विधानसभा की बात कर रहे थे। लेकिन नतीजों में भाजपा ने 300 से अधिक सीटें जीतकर ऐसा बहुमत हासिल किया, जिसकी कल्पना किसी भी एग्जिट पोल ने नहीं की थी. इससे स्पष्ट हुआ कि राजनीतिक माहौल को आंकने में कई बार जमीन की सच्चाई और सर्वेक्षणों के नमूनों के बीच भारी अंतर रह जाता है।

2014 का लोकसभा चुनाव : 2014 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल ने एनडीए को बहुमत के करीब बताया था। लेकिन नतीजों में भाजपा ने अकेले 282 सीटें जीतकर वह ऐतिहासिक परिणाम दिया, जिसने भारतीय राजनीति के कई दशकों की दिशा बदल दी। वहीं 2004 के आम चुनाव में एग्जिट पोल ने एनडीए की जीत का दावा किया था, लेकिन सत्ता कांग्रेस गठबंधन के हाथ में चली गयी थी। यह उन सबसे बड़े उदाहरणों में से एक है, जब एग्जिट पोल जमीन के वास्तविक राजनीतिक वातावरण को समझ पाने में असफल रहे। ऐसे में यह सच साबित होता है कि एग्जिट पोल वास्तव में एक संकेत भर होते हैं, एक अंदाजा, जो कभी सही भी हो सकता है और कभी पूरी तरह गलत भी। जब तक असली मतगणना नहीं होती, कोई भी अनुमान सच्चाई नहीं होता है। बहरहाल, आगामी 14 नवंबर को 243 सीटों का रिजल्ट आने पर एग्जिट पोल का सच सामने आयेगा। बिहार सहित अन्य कई राज्यों के पिछले एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित नहीं रहे हैं। (लेखक वरीय पत्रकार हैं और इसमें उनके निजी विचार है।)

फोटो सोशल मीडिया से साभार